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Sonbhadra news: डाॅक्टर ने जैसे ही लगाया इंजेक्शन, उखड़ गई मरीज की सांसें, परिजनों ने काटा जमकर बवाल, अस्पताल सील।
Sonbhadra news: बताते हैं कि सहिजन कला निवासी राजकुमारी को सांस की समस्या थी। परिजनों का कहना था कि हालत बिगड़ने पर उन्हें मणि स्पेशियलटी हॉस्पिटल लेकर आया गया।
Sonbhadra Rajkumari died in District Hospital due to wrong injection
Sonbhadra news: कलेक्ट्रेट मोड़ के बगल में जिला अस्पताल से चंद कदम की दूरी पर स्थित मणी मल्टी स्पेशियलटी हॉस्पिटल में मरीज की अचानक मौत से खफा परिजनों ने जमकर बवाल काटा। लोगों का गुस्सा बढ़ता देख डॉक्टर और स्टाफ भाग खड़े हुए। घंटों हंगामा चलता रहा। पुलिस के समझाने-बुझाने पर किसी तरह आक्रोशित परिजन शांत हुए। इसके बाद शव को पीएम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया। उधर, जानकारी पाकर पहुंचे प्राइवेट चिकित्सालयों के नोडल डा. गुलाब शंकर यादव ने परिजनों से घटना की जानकारी ली। अस्पताल में डाक्टर-स्टाफ के मौजूद न रहने को लेकर भी नाराजगी जताई। देर तक इंतजार के बाद भी जब अस्पताल से जुड़ा कोई जिम्मेदार उनके सामने नहीं आया तो उन्होंने पूरी जानकारी सीएमओ डा. आरजी यादव को दी। उधर, डीएम चंद्रविजय सिंह ने भी मामले का संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। बृहस्पतिवार की दोपहर अस्पताल को सील करने के साथ ही, संचालक को नोटिस जारी कर दी गई है। संतोषजनक जवाब न मिलने पर एफआईआर की चेतावनी दी गई है।
डॉक्टरों ने कहा- वाराणसी न ले जाओ, यहीं ठीक कर देंगे
बताते हैं कि सहिजन कला निवासी राजकुमारी को सांस की समस्या थी। परिजनों का कहना था कि हालत बिगड़ने पर उन्हें मणि स्पेशियलटी हॉस्पिटल लेकर आया गया। वहां मौजूद डॉक्टर ने उन्हें ठीक कर देने की बात कही। वाराणसी जाने की बात पर कहा कि कहीं ले जाने की जरूरत नहीं है। डॉक्टर को यह भी बताया कि उन्हें दवा और इंजेक्शन से रिएक्शन भी होता है लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया और बगैर किसी जांच पड़ताल के सीधे इंजेक्शन लगा दिया गया। इंजेक्शन लगते ही उनकी आवाज निकलनी बंद हो गई। काफी प्रयास के बाद जब कोई नतीजा नहीं निकला। यह देख डॉक्टर वहां से भाग निकले। शव आईसीयू में ही उसी हाल में बेड पर पड़ा रहा। यह देख परिवार के लोग भड़क उठे और हंगामा शुरू कर दिया। आधी रात के बाद तक हंगामा चलता रहा।
जानकारी पाकर पहुंचे नोडल डा. गुलाब शंकर भी देर तक अस्पताल में बने रहे लेकिन मरीज से जुड़ी फाइल या अस्पताल का कोई जिम्मेदार मामले की जांच के उपलब्ध नहीं हो पाया। इसको देखते हुए जहां नोडल ने कड़ी कार्रवाई की बात कही। वहीं पुलिस ने मामले में कार्रवाई का भरोसा दिया, तब जाकर आक्रोश जता रहे लोग शांत हुए। इसके बाद शव को पीएम के लिए भेजा जा सका। वहीं बृहस्पतिवार को इस मामले में डीएम से मिली हिदायत और सीएमओ के निर्देश के क्रम में अस्पताल को सील करते हुए, गेट पर नोटिस चस्पा कर दी गई। अस्पताल प्रबंधन को भी नोटिस थमाई गई है। नोडल डा. गुलाब शंकर ने कहा कि अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो एफआईआर की कार्रवाई की जाएगी।
मेडिकल स्टोर की तरह खुलते जा रहे अस्पताल
जुगाड़ सिस्टम के जरिए जिला मुख्यालय पर इन दिनों अस्पताल खोलने की बाढ़ सी आई हुई है। यहां महज हाइवे पर ही दो दर्जन से अधिक अस्पताल खोल दिए गए हैं। एक तरफ जहां डॉक्टरों का टोटा है। वहीं एक ही सर्जन के बूते अधिकांश अस्पतालों में मरीजों को सर्जरी के लिए भर्ती कर लिया जा रहा है। यहीं कारण है कि इलाज के नाम जहां मरीजों और उनके तीमारदारों का जमकर शोषण हो रहा है। वहीं आए दिन किसी न किसी की जान जा रहा है। हाल के महीनों में चलाए गए चेकिंग अभियान में भी कई अस्पतालों को बगैर डॉक्टर, बगैर प्रशिक्षित स्टाफ के ही संचालित करने की बात सामने आ चुकी है, बावजूद लगातार नए अस्पतालों का खुलना जारी है।
जिला अस्पताल के पास भी तेजी से खुलते जा रहे अस्पताल
मरीजों का शोषण और जिला अस्पतालों में दलालों को हावी होने से रोकने के लिए जिला अस्पताल से एक निश्चित दूरी पर निजी अस्पताल संचालित करने पर पाबंदी है, लेकिन सोनभद्र में यह निर्देश मायने नहीं रखते। न केवल ऐसे अस्पतालों का पंजीयन हो रहा है बल्कि जिला अस्पताल के ठीक सामने जहां आर्थों का बड़ा अस्पताल खोल दिया गया है। वहीं चंद कदम की दूरी पर हर मर्ज के इलाज का दावा करने वालों द्वारा चांदी काटी जा रही है। यह हालत तब है, जब जिला अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को दलालों और कुछ स्टाफों की मिलीभगत से बगैर विशेषज्ञ डाक्टर वाले निजी अस्पतालों में पहुंचाए जाने की लगातार शिकायत बनी हुई है।
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