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Sonbhadra News: एनडीआरएफ के लिए पहेली बनी खदान की गहराई, 45 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी नहीं चल पाया डूबे युवक का पता

Sonbhadra News: इस टीम की तरफ से भी रविवार को पूरे दिन रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। अंधेरा गहराने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया।

Kaushlendra Pandey
Published on: 1 Dec 2024 7:02 PM IST
Sonbhadra News ( Photo- Newstrack )
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Sonbhadra News

Sonbhadra News: लगभग ढाई सौ फीट गहरी बताई जा रही खदान की गहराई, डूबे युवक को तलाशने पहुंची एनडीआरएफ की टीम के लिए पहेली सी बन गई है। 45 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी पानी भरी खदान में डूबे युवक का पता नहीं चल पाया है। रेस्क्यू ऑपरेशन अभी जारी है। जो हालात हैं, उसको देखते हुए, बेतरतीब तरीके से खोदी गई खदान और उसमें गहरी झील की शक्ल में भर चुके पानी में समाए युवक की तलाश कब तक संभव हो पाएगी? इसको लेकर जहां कुछ कह पाना मुश्किल हो गया है। वहीं अब लोगों की निगाहें सोमवार को चलाए जाने वाले रेस्क्यू ऑपरेशन पर टिकी हुई हैं।

बताते चलें कि 28 वर्षीय अशोक सिंह उर्फ छोटू पुत्र स्व. धर्मजीत सिंह निवासी न्यू कॉलोनी ओबरा गत शुक्रवार की रात अपने छोटे भाई हरेंद्र सिंह, जितेंद्र सिंह तथा कुछ दोस्तों के साथ रास पहाड़ी क्षेत्र में 10 वर्ष से बंद पड़ी खदान के किनारे स्थित खंडहरनुमा मकान में पार्टी करने के लिए गया हुआ था । इस दौरान लड़खड़ाकर वह पानी भरी लगभग ढाई सौ फीट गहरी खदान में जा गिरा। पहुंची पुलिस ने रात में ही युवक की तलाश करवाई। पता न चलने पर शनिवार को गोताखोरों की मदद से पूरे दिन रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। कामयाबी न मिलती देख वाराणसी से एनडीआरएफ की टीम बुलाई गई। इस टीम की तरफ से भी रविवार को पूरे दिन रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। अंधेरा गहराने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया। अब सोमवार की सुबह फिर से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया जाएगा।

खदान की स्थिति बन रही है रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी बाधा

खदान में बेतरतीब तरीके से हुए पत्थर खनन के कारण, जहां खदान के अंदरूनी स्थिति काफी खतरे वाली है। वहीं लोगों का कहना है कि इस खदान की गहराई भी लगभग ढाई सौ फीट तक है।साथ ही खदान में कई जगह बड़ी- बड़ी चट्टानें और पत्थर पड़े हुए हैं। इस कारण एनडीआरएफ की टीम को रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।

झील की शक्ल में तब्दील है कई खदानें, नहीं है किसी का ध्यान

ओबरा खनन क्षेत्र में कई खदानें ऐसी हैं जो काफी गाड़ी होने के कारण झील की शक्ल में तब्दील हो चुकी है। नियमानुसार इन खदानों में मिट्टी, गिट्टी डस्ट और राख की फीलिंग कर पौधों का रोपण किया जाना चाहिए, लेकिन मौत के खंदक में तब्दील हो चुकी खदानों के लिए ऐसे नियम मायने नहीं रखते। गहरी और निष्प्रयोजक घोषित हो चुकी खदानों में इस फीलिंग की गाइडलाइन भी अब तक मूर्त रूप नहीं ले पाई है। यहीं कारण है कि निष्प्रयोज्य तथा पानी भरी खदानों में कभी डूब कर तो कभी गिरने से मौत की खबरें सामने आती रहती हैं।



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Shalini singh

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