TRENDING TAGS :
Sonbhadra News: सोनभद्र के रामबाबू ने संघर्षों के बीच एशियन गेम्स का तय किया सफर, मिश्रित मुकाबले में ब्रांज मेडल जीत भारत को दिलाया 70वां पदक, अब ओलंपिक की चाहत
Sonbhadra News: चीन के हांगझाउ में खेले जा रहे एशियन गेम्स में 11वें दिन मंजू रानी की जोडी़ के साथ ब्रांज मेडल जीत, भारत को बड़ी कामयाबी दिलाने वाले रामबाबू के सफर की कहानी संघर्षों से भरी है।
सोनभद्र के रामबाबू और मंजू रानी की जोड़ी ने एशियन गेम्स में ब्रांज मेडल जीता: Photo-Newstrack
Sonbhadra News: चीन के हांगझाउ में खेले जा रहे एशियन गेम्स में 11वें दिन मंजू रानी की जोडी़ के साथ ब्रांज मेडल जीत, भारत को बड़ी कामयाबी दिलाने वाले रामबाबू के सफर की कहानी संघर्षों से भरी है। आर्थिक तंगी के बीच उपलब्धि का सफर तय करने वाले रामबाबू को तैयारी पूरी करने के लिए कभी होटल में वेटर का काम करना पड़ा था तो कभी कोरियर कंपनी में जूट का बोरा सिलकर अपनी जरूरत पूरी की। कुछ समय के लिए मनरेगा में मजदूरी का भी काम किया लेकिन पिछले वर्ष जैसे ही उसके पैदल चाल ने गुजरात के गांधीनगर में हुई राष्ट्रीय खेलों की प्रतियोगिता में स्वर्णपदक पर कब्जा जमाया। वैसे ही, उसका सितारा राष्ट्रीय फलक पर चमक उठा। चीन में हो रहे एशियन गेम्स में बुधवार को 35 किमी पैदल चाल में मिली कामयाबी ने जनपद के प्रत्येक व्यक्ति को गर्वान्वित कर दिया है। जहां रामबाबू का सपना अब ओलंपिक में बड़ी कामयचाबी दर्ज करने की है। वहीं, लोगों की भी निगाहें, रामबाबू के आगे के सफर पर टिक गई है।
छोटे से खपरैल के मकान से तय किया गया एशियन गेम्स तक का मुकाम
किसी ने खूब कहा है कि प्रतिभा सुविधाओं की मोहताज नहीं होती। इसे जिले में बहुआर ग्राम पंचायत के भैरवागांधी गांव के रहने वाले रामबाबू ने न केवल चरितार्थ कर दिखाया, बल्कि दूसरों के लिए भी, कामयाबी की एक नई नजीर लिख दी। एक छोटे से खपैरल और एक सामान्य खेतिहर परिवार से आने वाले रामबाबू ने पांचवीं तक की पढाई पूरी करने के बाद कक्षा छह में नवोदय विद्यालय में दाखिला लिया तो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि एक दिन गरीबी से गुजरकर आगे बढ़ना वाले रामबाबू एशियन गेम्स में भारत को मेडल दिलाता नजर आएगा।
गरीबी के बीच सपनों को पूरा करने के लिए जारी रखा संघर्ष
मां मीना देवी कहती हैं कि इस कामयाबी भरे सफर के लिए रामबाबू ने न केवल हाड़तोड़ मेहनत की बल्कि गांव के मेड़ और सड़कों पर दौड़ लगाई। वाराणसी जाकर होटल में वेटर का काम किया। कोरियर कंपनी में जूट के बोरे सिले। कोराना काल में जब कमाई के सारे रास्ते बंद हो गए तो घर आकर पिता के साथ मनरेगा में मजदूरी की। हालात कुछ सामान्य हुए तो रामबाबू भोपाल पहुंच गया। वहां, उसकी मुलाकात पूर्व ओलंपियन बसंत बहादुर राणा से हुई। उन्होंने उसके कोच की भूमिका निभाई। चंद महीनों की ट्रेनिंग के बाद ही रामबाबू ने राष्ट्रीय ओपेन चैंपियनशिप की 35 किमी पैदल चाल में स्वर्णपदक जीतकर जता दिया कि अब उसे देश के लिए पदक जीतना है। इस कामयाबी के बाद उसका चयन राष्ट्रीय कैंप के लिए यहां। यहां मिले प्रशिक्षण के बाद अक्टूबर 2022 में गुजरात के हुई राष्ट्रीय खेलों के प्रतिस्पर्धा में शामिल होने का मौका मिला और उसने स्वर्णपदक जीतकर, पूरे देश में अपनी प्रतिभा का झंडा गाड़ दिया।
रामबाबू के नाम कुछ तरह दर्ज होती चली गई उपलब्धियां:
- पांच अक्टूबर 2022: राष्ट्रीय खेलों की 35 किमी पैदल चाल में नए राष्ट्रीय रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक।
- 15 फरवरी 2023 को झारंखड की राजधानी रांची में हुई राष्ट्रीय पैदल चाल चैंपियनशिप में नया राष्ट्रीय रिकार्ड।
- 25 मार्च 2023 को स्लोवाकिया में खेले जा रहे गेम्स में नया राष्ट्रीय रिकार्ड बनाकर एशियन गेम्स के लिए जगह बना ली।
- 04 अक्टूबर 2023 - चीन में खेले जा रहे एशियन गेम्स में मंजू रानी के साथ मिलकर, 11वें दिन का पहला मेडल(ब्रांज मेडल), एशियन गेम्स में भारत को अब तक मिले कुल मेडलों में 70वां मेडल जीता।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!


