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Sonbhadra News: एसडीएम के यहां भेजी आख्या.. आदेश में है पत्रावली सुरक्षित, ..और बैकडेट में कर दिया आर्डर, तहसीलदार-पेशकार से जवाब तलब
Sonbhadra News: एक पत्रावली स्थानांतरण के लिए दिए गए आवेदन पर एसडीएम ने तहसीलदार न्यायालय से जानकारी मांगी तो आख्या/रिपोर्ट भेजी गई कि पत्रावली आदेश के लिए सुरक्षित है लेकिन जब पत्रावली एसडीएम के सामने पहुंचा तो पता चला कि उसमें आख्या देने के पूर्व की तिथि में निर्णय पारित किया जा चुका है।
तहसीलदार-पेशकार से जवाब तलब (photo: social media )
Sonbhadra News: एक तरफ जहां सरकार राजस्व मुकदमों के समय से और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण पर जोर दे रही है। वहीं, जिले के सदर तहसील में राजस्व मुकदमे के निस्तारण को लेकर हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। दावा किया जा रहा है कि एक पत्रावली स्थानांतरण के लिए दिए गए आवेदन पर एसडीएम ने तहसीलदार न्यायालय से जानकारी मांगी तो आख्या/रिपोर्ट भेजी गई कि पत्रावली आदेश के लिए सुरक्षित है लेकिन जब पत्रावली एसडीएम के सामने पहुंचा तो पता चला कि उसमें आख्या देने के पूर्व की तिथि में निर्णय पारित किया जा चुका है। इसको गंभीरता से लेते हुए जहां तहसीलदार और उनके पेशकार से जवाब तलब किया गया है। वहीं, क्यों न उनके खिलाफ एडवर्स इंट्री (प्रतिकूल प्रविष्टि) की कार्रवाई की जाए.. इसको लेकर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
यह बताया जा रहा मामला, यहां पकड़ में आई बैकडेटिंग
बताया जा रहा है कि जमीन से जुड़े एक मामले में अधिवक्ता के जरिए एसडीएम की अदालत में यूपी राजस्व संहिता 2006 की धारा 212(2) के तहत आवेदन प्रस्तुत किया गया। मांग की गई कि, उनसे जुड़ा प्रकरण तहसीलदार के न्यायालय में लंबित है। तहसीलदार न्यायालय से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है, इसलिए पत्रावली दूसरी कोर्ट में स्थानांतरित की जाए। इस पर एसडीएम की ओर से तहसीलदार न्यायालय से पत्रावली के स्थिति की जानकारी मांगी गई। बताया जा रहा है कि गत 26 मार्च को इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें कहा गया पत्रावली आदेश के लिए सुरक्षित है। आख्या आने के बाद जब एसडीएम ने आगे की कार्रवाई के लिए पत्रावली तलब की तो पता चला कि, जिस तिथि को आख्या भेजी गई, पत्रावली में उससे पांच दिन पहले ही निर्णय पारित हो चुका है।
एसडीएम ने कहाः न्यायालय को गुमराह करने का मामला, दें जवाब
गत नौ अप्रैल को प्रकरण की उप जिलाधिकारी के न्यायालय में सुनवाई हुई। प्रकरण की सुनवाई कर रहे पीठासीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/असिस्टेंट कलेक्टर प्रथम श्रेणी उत्कर्ष द्विवेदी की अदालत ने पाया कि प्रकरण को लेकर चाही गई जानकारी में तहसीलदार न्यायालय ने लिखा कि पत्रावली आदेश के लिए सुरक्षित है। जबकि पत्रावली के अवलोकन से यह पाया गया कि आदेश पहले ही हो चुका है। आदेश पाारित किया कि न्यायालय को गुमराह करने के लिए तहसीलदार एवं पेशकार को स्पष्टीकरण तलब किया जाए कि क्यों उनके विरूद्ध एडवर्स इंट्री न दी जाय। बाद आवश्यक कार्यवाही पत्रावली दाखिल दफ्तर करने के लिए कहा गया। इस बारे में जानकारी के लिए तहसीनदाल अमित सिंह से उनके सीयूजी नंबर 94416848 पर संपर्क का कई बार प्रयास किया गया लेकिन स्वीच्ड आफ उत्तर मिलने से उनका पक्ष नहीं लिया जा सका।
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