Sonbhadra News: आग लगी नहीं, लगाई गई..? कूड़े की शक्ल में छत पर रखे थे दस्तावेज, फायर बिग्रेड देख पिछले दरवाजे से भाग निकले लोग

Sonbhadra News: चर्चाओं में किए जा रहे दावे पर यकीं करें तो आग लगी नहीं लगाई गई थी? वहीं, अंदरखाने मिल रही जानकारी पर ध्यान दें तो छत पर कूड़े की शक्ल में दस्तावेज दो-चार महीने से नहीं, दो साल से अधिक समय से पड़े हुए थे।

Kaushlendra Pandey
Published on: 13 April 2025 9:48 PM IST
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Sonbhadra News: सोनभद्र जिलाधिकारी बीएन सिंह के निर्देश पर एडीएम सहदेव मिश्र की तरफ से की जा रही मजिस्ट्रियल जांच के बीच सदर तहसील भवन के छत पर लगी आग को लेकर चर्चाओं-सूत्रों के जरिए बड़े दावे सामने आए हैं। चर्चाओं में किए जा रहे दावे पर यकीं करें तो आग लगी नहीं लगाई गई थी? वहीं, अंदरखाने मिल रही जानकारी पर ध्यान दें तो छत पर कूड़े की शक्ल में दस्तावेज दो-चार महीने से नहीं, दो साल से अधिक समय से पड़े हुए थे। चर्चाओं में इस दस्तावेज के तार, जहां पूर्व में राजस्व घोटाले को लेकर दर्ज कराई गई एफआईआर से जोड़ा जा रहा है। वहीं, आग लगने के पीछे, भी इसी को लेकर चर्चाएं बनी हुई हैं।

बड़ी चर्चा: मुख्यालय के एक दुकान से खरीदी गई थी बोरियां

चर्चाओं और सूत्रों के जरिए मिल रही जानकारी पर यकीं करें तो पूर्व डीएम चंद्रविजय सिंह के समय, सदर तहसील में 51 लाख से अधिक का राजस्व घोटाला पकड़ में आया था। तत्कालीन समय में, तत्कालीन तहसीलदार अरूण कुमार गिरि की तरफ से राबटर्सगंज कोतवाली में एक एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी। लोगों के बीच चल रही बतकही में किए जा रहे दावों पर यकीन करें तो तत्कालीन डीएम की जांच तथा कार्रवाई से बचने के लिए मुख्यालय की एक दुकान से बोरियां खरीदी गईं और उसमें गट्ठर की शक्ल में दस्तावेज भर कर, तहसील की बिल्डिंग के सबसे उपर वाली छत पर रख दिए गए।


अफसरों के तबादले से ही ठंडा पड़ गया बोरियों का मामला

एफआईआर की कार्रवाई के बाद तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार के तबादले के साथ ही, बाद में आने वाले तहसील के हुक्मरानों की नजर से छत वाली बोरियां ओझल सी हो गईं। चर्चाओं की मानें तो धूप और पानी से कई बोरियां गल गईं तो कई दस्तावेज नष्ट हो गए लेकिन इसके बाद भी ढेरों बोरियांें का ढेर छत पर बना हुआ था। लोगों का कहना था कि यहीं कारण है कि जब आग लगने की सूचना पर फायर बिग्रेड की टीम पहुंची तो छत पर एक जगह नहीं, पांच जगह आग लगी हुई थी और उसमें तरह-तरह के दस्तावेज जलते दिख रहे थे।

दावाः कटर से काटने में थे मशगूल, ..निकल गए लोग

चर्चाओं और लोगों की ओर से किए जा रहे दावे पर गौर करें तो आग लगने की सूचना पर जिस वक्त फायर बिग्रेड की टीम पहुंची, उस समय तहसील भवन के सामने का गेट और उपर का गेट बंद था। कहा जा रहा है कि फायर बिग्रेड की टीम कटर से तालों को काटने में मशगूल थी और उसी दौरान, जिसको लेकर प्रभारी जिला अग्निशमन अधिकारी द्वारा भी दावा किया गया था, कथित आगजनी से जुड़े लोग पिछले गेट के रास्ते वहां से निकल गए।


शार्ट सर्किट की बताई जा रही काफी कम गुंजाइश

कहा जा रहा है कि छत पर उस तरह की वायरिंग नहीं है कि जिससे शार्ट सर्किट की गुंजाइश बन सके। हालांकि तहसील प्रशासन शार्ट सर्किट का दावा कर रहा है लेकिन आग लगने के दौरान पहुंचे लोगों ने जिस तरह की स्थिति देखी, जैसा अग्निशमन विभाग की टीम की तरफ से भी संकेत सामने आया है, उसको देखते हुए यहीं कहा जा रहा है कि छत पर शार्ट सर्किट से आग लगने की गुंजाइश काफी कम है। सही माजरा क्या है? यह तो मजिस्ट्रियल जांच पूरी होने के बाद ही सामने आएगा। फिलहाल, आग लगने के दौरान मौके पर पहुंचे तहसीलदार और सामने वाले व्यक्ति के बीच हो रहे तीखे संवाद को लेकर सामने आए वीडियो को देखते हुए, लोग छत पर दस्तावेजों को कूड़े जैसी शक्ल में रखने की चर्चा-दावा करने में लगे हुए हैं।

Shashi kant gautam

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