Sonbhadra News: महंगी फीस, कापी-किताब, ड्रेस के नाम पर बढ़ते बोझ के खिलाफ शुरू हुआ हस्ताक्षर अभियान, महज एक दिन की सख्ती के बाद चुप्पी पर उठे सवाल

Sonbhadra News: एक तरफ जहां, प्राइमरी कक्षा के पठन-पाठन के नाम पर 1800 से 3000 रुपये प्रतिमाह फीस के नाम पर वसूले जाए रहे हैं। वहीं री एडमीशन का हवाला देते हुए अभिभावकों से 12 माह की बजाय, 14 माह की फीस जमा करवाई जा रही है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 18 April 2025 7:04 PM IST
Signature campaign launched against rising burden in the name of expensive fees, copy-books, dresses
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महंगी फीस, कापी-किताब, ड्रेस के नाम पर बढ़ते बोझ के खिलाफ शुरू हुआ हस्ताक्षर अभियान (Photo- Social Media)

Sonbhadra News: सोनभद्र । सीबीएसई माध्यम स्कूलों में मनमाने तरीके से साल दर साल बढ़ाई जाती फीस, महंगी कापी-किताब और एक निश्चित दुकान से ऊंची कीमत पर मिलते ड्रेस को लेकर सपा की ओर से जनजागरण अभियान शुरू किया गया है। नगर क्षेत्र में हस्ताक्षर अभियान शुरू किए जाने के साथ ही, माह भर तक हस्ताक्षर अभियान के जरिए जनजागरण करने का निर्णय लिया गया है। इसके बाद अभिभावकों के साथ कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर आवाज उठाई जाएगी। उधर, कांग्रेस, सपा सहित अभिभावकों की तरफ से जताई गई नाराजगी के बाद, प्रशासन की तरफ से शुरू किए गया चेकिंग-सख्ती अभियान, महज एक दिन चलाने के बाद साधी गई चुप्पी को लेकर सवाल उठाए जाने लगे हैं। कांग्रेस की तरफ से मामले को लेकर बड़े स्तर पर आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी गई है।

फीस के बाद ही महंगे ड्रेस, कापी-किताबों का पड़ रहा बोझ

एक तरफ जहां, प्राइमरी कक्षा के पठन-पाठन के नाम पर 1800 से 3000 रुपये प्रतिमाह फीस के नाम पर वसूले जाए रहे हैं। वहीं री एडमीशन का हवाला देते हुए अभिभावकों से 12 माह की बजाय, 14 माह की फीस जमा करवाई जा रही है। एक निश्चित दुकान से ड्रेस, जूता मिलने की अनिवार्यता के चलते, अभिभावकों को दुकान पर मांगे जाने वाली मुंहमांगी कीमत अदा करनी पड़ रही है। सरकार की ओर से जहां, परिषदीय विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को पूरे गणवेश के नाम पर 11 सौ रुपये प्रदान किए जा रहे हैं।

वहीं, प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को, महज सप्ताह में दो दिन पहने जाने वाले विशेष कलर कोड वाले जूते के लिए 800 रूपये अदा करने पड़ रहे हैैं। सप्ताह में पहनी जाने वाले दो दिन के विशेष ड्रेस के अलावा नियमित ड्रेस की भी अच्छी खासी कीमत वसूली जा रही है। गुणवत्ता के नाम पर खराब स्थिति के बावजूद, अभिभावकों को, विद्यालय की ड्रेस कोड की अनिवार्यता को देखते हुए, मजबूरन, बगैर फिटिंग वाले कपड़ों को भी खरीदना पड़ रहा है।

किसी विद्यालय में 1700 तो किसी में किताब के लिए अदा करने पड़ रहे 4900

एक तरफ जहां कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों के लिए भी ज्यादा से ज्यादा एनसीईआरटी, एसईआरटी पुस्तकें पाठ्यक्रम में शामिल करने के निर्देश हैं। वहीं, सीबीएसई माध्यम के कई ऐसे विद्यालय हैं, जो इस निर्देश को दरकिनार करते हुए प्राइवेट प्रकाशकों की पुस्तकें पाठ्यक्रम में शामिल किए हुए हैं। इसका परिणाम यह है कि जहां जिला मुख्यालय क्षेत्र स्थित एक विद्यालय की कक्षा छह से आठ तक की पुस्तकें महज 16 से 1700 में मिल जा रही हैं। वहीं, कान्वेंट के नाम पर अंग्रेजी माध्यम की अच्छी शिक्षा देने का दावा करने वाले स्कूलों में इसी कक्षा की किताब खरीदने के लिए 4900 की रकम अदा करनी पड़ रही है।

सख्ती का चला अभियान महज एक दिन रह पाया प्रभावी

मामले में सपा-कांग्रेस के प्रदर्शन और मीडिया में प्रकरण को प्रमुखता से दिखाए जाने के बाद सक्रिय हुए प्रशासनिक टीम की तरफ से मुख्यालय पर अभियान चलाकर एक विद्यालय को नोटिस थमाई गई। एक बुक डिपो को सील भी दिया गया। दावा किया गया कि तीन दिन तक अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी लेकिन अगले दिन अवकाश पढ़ने के साथ यह अभियान भी नेपथ्य में चला गया। अब कभी सरकारी तो किसी और व्यवस्तता के नाम पर जहां अभियान ठप सा पड़ गया है। वहीं, इस गैप के चलते, अभिभावकों के सामने भी, बच्चों के लिए महंगी किताबें-गणवेश खरीदना बाध्यता बन गई। ऐसे में अगर आगे चेकिंग-सख्ती अभियान शुरू भी किया जाएगा, तो वह कितना प्रभावी होगा कहना मुश्किल है?

निर्देश के बाद भी नहीं वापस हुई बढ़ी हुई फीस: सपा

एनसीईआर-एसईआरटी पाठ्यक्रम के पुस्तकों की अनदेखी, महंगी फीस को लेकर अभियान शुरू किए जाने के साथ ही, बढ़ी फीस वापस लेने को लेकर प्राइवेट विद्यालयों के सभी प्रधानाचार्यों-प्रबंधकों को निर्देश दिए गए। एक ही दुकान से किताब-गणवेश खरीदने की बाध्यता समाप्त किए जाने की भी हिदायत दी गई थी लेकिन हस्ताक्षर अभियान की अगुवाई कर रहे सपा नेता प्रमोद यादव सहित अन्य सपा नेताओं का कहना है कि जारी किए निर्देश अधिकांश विद्यालयों के लिए अभी तक कागजी साबित हुए हैं। कहा गया कि एक तरफ सरकार परिषदीय विद्यालय गणवेश के लिए जहां 1100 रूपये निर्धारित किए हुए है। वहीं, प्राइवेट स्कूलों में यह बजट दो से ढाई हजार पहुंच जा रहा है। कहा कि एक माह तक यह अभियान जारी रहेगा। इसके बाद, लोगों के हस्ताक्षर और अभिभावकों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचकर आवाज उठाई जाएगी।

हस्ताक्षर अभियान को मिल रहा खासा समर्थन

एक तरफ जहां इस मसले पर सत्तापक्ष चुप्पी साधे हुए है। सरकारी अमले की ओर से भी कोई प्रभावी राहत अभिभावकों को नहीं मिल पाई है। इसको देखते हुए सपा के इस हस्ताक्षर अभियान को खासा समर्थन मिल रहा है। बृहस्पतिवार से शुरू किए गए इस अभियान से अभिभावकों का जिस तरह का जुड़ाव देखने को मिल रहा है, वह आने वाले चुनाव में, एक नया परिदृश्य/समीकरण तैयार करता नजर आए तो बड़ी बात नहीं होगी।

Shashi kant gautam

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