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Sonbhadra News: कोयले की राख का असुरक्षित निस्तारण और टूटी सड़कें फैला रहीं प्रदूषण, यूपी-एमपी की 30 किमी एरिया प्रभावित, एनजीटी ने दो माह में मांगी फाइनल रिपोर्ट
Sonbhadra News: फ्लाई ऐश परिवहन के लिए निर्धारित मानकों-नियमों का उल्लंघन करते हुए खुले ट्रकों में परिवहन किए जाने संबंधी जानकारी भी बेंच के सामने प्रस्तुत की गई है। न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने संयुक्त समिति को दो माह के भीतर फाइनल रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।
Sonbhadra News (Pic:Newstrack)
Sonbhadra News: सोनभद्र और सिंगरौली में स्थापित बिजलीघरों से निकलने वाली राख और उसके असुरक्षित निस्तारण तथा हैवी ट्रैफिक के चलते टूटी सड़कें, इसके चलते फैलते प्रदूषण को लेकर एनजीटी ने कड़ा रवैया अपनाया है। मामले में दाखिल की गई अंतरिम रिपोर्ट को दृष्टिगत रखते हुए, यूपी-एमपी दोनों राज्यों कें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को, याचिका में उल्लिखित तथ्यों के प्रकाश में दो माह के भीतर फाइनल रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
30 किमी एरिया प्रभावित
चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अगुवाई वाली प्रिंसिपल बेंच ने 11 अक्टूबर को मामले की सुनवाई की। संयुक्त समिति की तरफ से अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। इस दौरान आवेदक के अधिवक्ता की तरफ से न्यायाधिकरण को अवगत कराया गया कि यूपी-एमपी की 30 किमी एरिया में कोयले की राख निस्तारण में मानकों-नियमों की अनदेखी की जा रही है जिसका स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। आवेदक की तरफ से यह भी मसला उठाया गया कि सिंगरौली और सोनभद्र में कोयले की राख के भारी परिवहन के कारण सड़कें क्षतिग्रस्त हैं और इससे प्रदूषण फैल रहा है।
एनजीटी ने दो माह में मांगी फाइनल रिपोर्ट
फ्लाई ऐश परिवहन के लिए निर्धारित मानकों-नियमों का उल्लंघन करते हुए खुले ट्रकों में परिवहन किए जाने संबंधी जानकारी भी बेंच के सामने प्रस्तुत की गई है। इसको गंभीरता से लेते हुए न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने संयुक्त समिति को दो माह के भीतर, याचिका में उल्लिखित तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए दो माह के भीतर फाइनल रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा। बेंच ने माना कि मुख्यतः मामला प्रदूषण से जुड़ा हुआ है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए डाला क्षेत्र में संचालित 313 क्रशर प्लांटों की स्थिति जांचने और प्रदूषण के दृष्टि से चिन्हित कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। बता दें कि ट्रिब्यूनल ने 10 मई 2023 को प्रकरण को लेकर विस्तृत आदेश पारित किया था और पूर्व में गठित संयुक्त समिति की तथ्यात्मक रिपोर्ट पर ध्यान देने और यूपी और एमपी राज्यों के संबंध में भी सिफारिशों के लिए निर्देशित किया था। इस मामलें में अगली सुनवाई की तिथि तीन जनवरी 2024 नियत की गई है।
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