TRENDING TAGS :
संत, संस्कृति की रक्षा करते है और सैनिक देश की सीमाओं की: चिदानन्द सरस्वती
प्रयागराज कुम्भ नगर के सेक्टर 18 परमार्थ निकेतन शिविर में शिविर के परमाध्यक्ष चिदानन्द सरस्वती को प्रयागराज के वरिष्ठ नागरिकों एवं जमुनापार जागृति मिशन द्वारा विशेष नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया।
कुम्भ नगर : प्रयागराज कुम्भ नगर के सेक्टर 18 परमार्थ निकेतन शिविर में शिविर के परमाध्यक्ष चिदानन्द सरस्वती को प्रयागराज के वरिष्ठ नागरिकों एवं जमुनापार जागृति मिशन द्वारा विशेष नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया।
परमार्थ निकेतन शिविर प्रयागराज में देश की रक्षा के लिये अपनी शहादत देने वाले वीर शहीदों के परिवारीजनों को सम्मानित किया गया। शहीद सम्मान समारोह में कारगिल शहीद सन्तोष त्रिपाठी , ग्राम डीहा करछना, प्रयागराज की पत्नी मंजू त्रिपाठी पिता रमाकान्त और माता, शहीद गिरीश शुक्ला के पुत्र, शहीद राघवेन्द्र शुक्ला, नागेन्द्र शुक्ला, श्यामू शुक्ला, शहीद आर. के. तिवारी के पुत्र विवेक तिवारी को सम्मानित किया गया।
ये भी देखें :पुलवामा अटैक के बाद अलगाववादी नेता पर बड़ी कार्रवाई, हटाई गई सुरक्षा
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भारत के शहीद वीर जवानों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि भारत के सैनिक किसी संत से कम नहीं हैं। संत, संस्कृति की रक्षा करते है और सैनिक देश की सीमाओं की सुरक्षा करते है। सैनिक है तो हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं, सैनिक हैं तो हम हैं, हमारा अस्तित्व है उनकी वजह से आज हम जिंदा है और हमारा देश भी ज़िंदा है। सैनिक अपनी जान को हथेली पर रखकर अपने देश की रक्षा करते हैं। उन्हाने कहा कि भारत की महान, विशाल और गौरवशाली विरासत है। हमें इस देश की विशालता, विरासत में मिली है। इसके गौरव को बनाये रखने में सहयोग प्रदान करें और जिन जवानों की वजह से हमारा तिरंगा लहरा रहा है। उनके परिवार के साथ खड़े रहें।
डा भगवत पाण्डेय और जमुनापार जागृति मिशन परिवार के सदस्यों ने कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती एक वैश्विक संत हैं। उन्होने विश्व मानव मूल्यों को संरक्षित करने में विशेष योगदान दिया है।
उन्होंने भारतीय संस्कृति को केवल विदेश की धरती पर ही नहीं पहुंचाया बल्कि विश्व के लोगों को प्रयागराज की धरती पर बुलाने का अद्भुत कार्य किया है। इसका जीता जागता उदाहरण कीवा कुम्भ है। जिसमें विश्व के 42 देशों के श्रद्धालु आये हुये हैं साथ ही परमार्थ शिविर में दुनिया के 9 देशों से कीर्तन, संगीत और सूफी गायक आये हुये है जो कि भारत की संस्कृति को अपने अपने भावों में पिरोकर गा रहे हैं। उन्होने कहा कि जमुनापार को परमार्थ निकेतन शिविर ने विश्व पटल पर स्थापित कर दिया है। यह वह स्थान है जहां पर भारत के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सपत्नीक और भारत के उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू भी पधारे।
ये भी देखें : भारत के क्रिकेट क्लब में इमरान खान की तस्वीर पर लगा पर्दा
भारत के प्रथम राष्ट्रपति महामहिम राजेन्द्र प्रसाद के बाद यह दूसरा अवसर था जब भारत के वर्तमान राष्ट्रपति प्रयागराज की धरती पर कुम्भ के दौरान आये यह अद्भुत अवसर स्वामी चिदानन्द सरस्वती के अथक प्रयासों का परिणाम है।
इस शिविर में कथा, ध्यान, पूजा, भण्डारा के साथ शहीद परिवार सम्मान, निषाद परिवार सम्मान, स्वच्छताग्राही सम्मान, नारी शक्ति सम्मान, बेटियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की रक्षा के लिये मासिक धर्म शिक्षा, स्वच्छता शिक्षा, हाथ धोने की शिक्षा, शौचालय के प्रति जागरूकता जैसे नवोदित आयामों को सम्पन्न किया जा रहा है। यहां से प्रतिदिन देवभक्ति से पहले देशभक्ति का संदेश दिया जा रहा है। संगम आरती के साथ राष्ट्रगान किया जाता है। वास्तव के यह कुम्भ का अद्भुत दृश्य है। ऐसी अनेक उपलब्धियों और नवोदित आयाम स्वामी जी महाराज के पावन सान्निध्य में सम्पन्न हो रहे हैं। दूसरी ओर पर्यावरण एवं नदियों के संरक्षण के लिये वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी का संदेश प्रसारित किया जा रहा है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती , साध्वी भगवती सरस्वती और परमार्थ निकेतन शिविर प्रयागराज में व्यासपीठ पर विराजमान कथाव्यास मुरलीधर जी महाराज द्वारा श्री रामकथा के मध्य शहीद परिवार के सदस्यों को सम्मानित किया।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!