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MP-MLA की तरह टीचर को भी मिले पेंशन, HC ने केन्द्र और राज्य सरकार से मांगा
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने केन्द्र और राज्य कर्मचारियों की नई पेंशन स्कीम की वैधता की चुनौती याचिका पर केन्द्र व राज्य सरकार से छह हफ्ते में जवाब मांगा है। याची का कहना है कि सांसदों और विधायकों को एक दिन भी सदन का सदस्य बनते ही बीस हजार प्रतिमाह पेंशन निर्धारित है और सरकारी कर्मचारियों को लंबी सेवा के बावजूद अंशदायी पेंशन की अनिवार्य व्यवस्था की गई है। यह अनुच्छेद-14 और 21 के विपरीत है।
ये आदेश न्यायमूर्ति एसएन शुक्ला ने प्राइमरी स्कूल जोखल, इलाहाबाद के सहायक अध्यापक विवेकानंद की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता शिवबाबू और प्रशांत शुक्ल ने बहस की। याचिका में नई पेंशन स्कीम को रद्द करने और पुरानी पेंशन स्कीम फिर से लागू करने की मांग की गई है।
पुरानी योजना को बताया बेहतर
याची का कहना है कि अंशदायी पेंशन की नई योजना, एलआईसी योजना की तरह निवेश पर निर्भर करेगी। इस योजना के तहत 60 साल में सेवानिवृत्त होने से पहले यदि कुल राशि का 40 फीसदी जमा है तो 60 फीसदी पेंशन मिलेगी और 80 फीसदी जमा करने पर ही पूरी पेंशन मिलेगी। इस योजना में कर्मचारी बीमा कंपनी में पेंशन पाएगा। इसमें कोई इंक्रीमेंट नहीं जुड़ेगा। जबकि पुरानी पेंशन योजना में समय-समय पर डियरनेस एलाउंस जुड़ता जाता था।
सुनवाई 8 हफ्ते बाद
केन्द्र सरकार ने एक जनवरी 04 से और राज्य सरकार ने एक अप्रैल 05 से नई पेंशन योजना लागू की है। भारतीय सेना में पुरानी पेंशन योजना ही लागू है। शेयर बाजार की तरह निश्चित पेंशन मिलने की कोई गारंटी नहीं है। यह केन्द्र और राज्य कर्मचारियों के साथ अन्याय है। सरकार को ऐसी नीति बनाने का अधिकार नहीं है जो नागरिकों के बीच भेदभाव करती हो और मूल अधिकारों के खिलाफ हो। याचिका की सुनवाई 8 सप्ताह बाद होगी।
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