दमन चक्र के खिलाफ वामदल 30 दिसंबर को राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे

नागरिकता कानून और नागरिकता रजिस्टर पर प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री आज भी भ्रामक बयानबाजी कर रहे हैं। वे विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं जबकि वे दोनों सवालों पर वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं।

SK Gautam
Published on: 25 Dec 2019 9:03 PM IST
दमन चक्र के खिलाफ वामदल 30 दिसंबर को राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे
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लखनऊ: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) एवं भाकपा, माले- लिबरेशन के राज्य के पदाधिकारियों की एक आपात्कालीन बैठक वाराणसी में संपन्न हुयी। बैठक में उत्तर प्रदेश और देश के मौजूदा हालातों पर गंभीरता से चर्चा हुयी और तदनुसार भविष्य की कार्यवाहियों का निर्धारण किया गया।

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पड़ोसी देशों में धार्मिक ही नहीं वैचारिक, नस्लीय और अन्य कई तरह का उत्पीड़न होता है

बैठक में नागरिकता कानून और नागरिकता रजिस्टर पर प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री आज भी भ्रामक बयानबाजी कर रहे हैं। वे विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं जबकि वे दोनों सवालों पर वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। पड़ोसी देशों में धार्मिक ही नहीं वैचारिक, नस्लीय और अन्य कई तरह का उत्पीड़न होता है उन आधारों पर भी लोग विस्थापित होते हैं।

लेकिन केन्द्र सरकार ने धर्म को आधार बना कर अन्य वजहों से विस्थापित लोगों को नागरिकता पाने से वंचित कर दिया। ऐसा एक समुदाय विशेष को संदेश देने के लिये किया गया ताकि बदले हालातों में भी वह भाजपा का वोट बैंक बना रहे है। उनकी इस स्वार्थपूर्ण राजनीति को अब सब समझ गये हैं और निहित स्वार्थों के लिये संविधान और लोकतन्त्र से छेड़छाड़ करने की कार्यवाहियों का सब विरोध कर रहे हैं।

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इसी तरह आसाम में पक्ष विशेष को प्रताड़ित कर दूसरों को खुश कर अपना वोट बैंक बनाने के उद्देश्य से भाजपा सरकार ने एनआरसी लागू किया लेकिन 20 में 12 लाख हिन्दू नागरिकता रजिस्टर से बाहर रह गये। एनआरसी देश के किसी भी कोने में लागू किया जाये, आसाम जैसे ही नतीजे आयेंगे। क्योंकि रोजगार, खेती और व्यापार के लिये असंख्य लोग एक से दूसरी जगह जाकर बसते रहे हैं और उनके पास वहाँ का वाशिंदा होने के सबूत किसी के पास नहीं हैं।

आंदोलन में बड़े पैमाने पर लोग उतरे उन पर गोलियां बरसाई गईं

वामपंथी दलों की इस बैठक में इस बात पर गहरी चिन्ता व्यक्त की गयी कि वामपंथी दलों के आह्वान पर 19 दिसंबर को सीएए के खिलाफ देश भर में हुये आंदोलन के बाद जिन राज्यों में भाजपा सरकारें हैं उन्होने उत्पीड़न की सारी सीमाएं लांघ दी हैं। उत्तर प्रदेश में तो स्थिति बहुत ही भयावह बनी हुयी है। वाराणसी में प्रशासन ने वामदलों के 56 कार्यकर्ताओं को संगीन दफाएँ लगा कर जेल भेज दिया। वामदलों के नेताओं को भी फँसाने की कोशिश की जारही है।

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जनसंगठनों के नेताओं से वेवजह पूछताछ की जारही है। लखनऊ में सिविल सोसायटी के लोगों को न केवल गिरफ्तार किया गया है अपितु उन्हें हिरासत में बुरी तरह पीटा भी गया। प्रदेश में जहां भी आंदोलन में बड़े पैमाने पर लोग उतरे उन पर गोलियां बरसाई गईं जिससे प्रदेश भर में दर्जनों लोगों की जानें चली गईं। मुस्लिम अल्पसंख्यकों की बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियाँ की जारही हैं और उन पर संगीन धाराएं लगाई जारही हैं।

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