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सचिवालय प्रशासन विभाग की चालाकी: तबादला नीति से खुद को दी राहत, जानें कैसे?
लखनऊ: योगी आदित्यनाथ सरकार ने भले ही वर्ष 2017-18 के लिए नई तबादला नीति जारी कर दी हो। लेकिन सचिवालय प्रशासन विभाग के बाबुओं पर ट्रांसफर-पोस्टिंग का कोई खास असर नहीं पड़े, इसकी काट भी निकाल ली और खुद को स्थानान्तरण नीति से मुक्त रखा है। सचिवालय संघ के नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई है।
दरअसल, नई तबादला नीति में प्रथम से तृतीय श्रेणी तक के अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए कुर्सी पर बने रहने की अवधि को घटा दिया गया है। इसमें सचिवालय प्रशासन के साथ न्याय, विधायी व कुछ अन्य विभागों को स्थानान्तरण नीति से बाहर रखा गया है। सचिवालय प्रशासन के अपर मुख्य सचिव एनएस रवि ने यह आदेश जारी किया है।
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इन विभागों को तबादला नीति से रखा गया है मुक्त:
सचिवालय प्रशासन विभाग (इरला चेक अनुभाग, इरला वेतन पर्ची अनुभाग सहित), न्याय विभाग/विधायी विभाग, संसदीय कार्य विभाग (इन विभागों में स्थापित अधिष्ठान कार्य से संबंधित अनुभागों को छोड़कर), गोपन अनुभाग- 1,5,6,7। वित्त विभाग के अंतर्गत बजट एवं लेखा के अनुभाग, वित्त (व्यय नियंत्रण) के अनुभागों को छोड़कर।
समूह- ग के कर्मचारी (कम्प्यूटर सहायक एवं सहायक समीक्षा अधिकारी व समकक्ष) एक जगह सिर्फ 7 साल तक रह सकते हैं। पहले यह समय सीमा 10 साल तक थी।
समूह- ख के अधिकारी (समीक्षा अधिकारी एवं अनुभाग अधिकारी व समकक्ष) अब एक जगह पर सिर्फ 5 साल तक रह सकते हैं। पहले यह छूट 7 साल तक की थी।
समूह- क के अधिकारी (अनुसचिव से विशेष सचिव तक) अब एक जगह सिर्फ 3 साल तक रह सकते हैं। अनुसचिव/उपसचिव के लिए पहले यह समय सीमा 5 साल थी।
सचिवालय संघ करेगा विरोध-प्रदर्शन
नई तबादला नीति के विरोध में सचिवालय संघ प्रदर्शन करेगा। संघ के प्रतिनिधियों के मुताबिक, इस नीति से सचिवालय प्रशासन के अधिकारियों को बाहर रखा गया है, जो न्यायसंगत नहीं है। संघ इसके विरोध में चीफ सेक्रेटरी का घेराव कर अपना विरोध दर्ज कराएगा।
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