UP Election 2022: यूपी के रण में अपने भी हुए बेगाने, इन सीटों पर एक दूसरे के खिलाफ लड़ने की कर रहे तैयारी

लेकिन तब क्या जब रिश्ते में बाप – बेटी ही एक दूसरे को चुनावी मैदान में शिकस्त देने के लिए खड़ा हो जाए। विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ा देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश ऐसे कई अनगनित सियासी लम्हों का साक्षी बनने जा रहा है।

Krishna Chaudhary
Newstrack Krishna ChaudharyPublished By Divyanshu Rao
Published on: 23 Jan 2022 11:19 PM IST
UP Election 2022
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यूपी विधानसभा चुनाव की तस्वीर (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022. ये सियासत ही है जहां रिश्ते भी गौण हो जाया करते हैं। व्यक्ति राजनीतिक महात्वाकांक्षा इस कदर प्रबल हो जाती है लोग सारे उस क्षण सारे रिश्ते – नाते भूल जाते हैं। हमने देश में नेताओं के अपने परिवार औऱ रिश्तेदारों के लिए टिकट मांगने की बात खूब सुनी है औऱ देखी है।

लेकिन तब क्या जब रिश्ते में बाप – बेटी ही एक दूसरे को चुनावी मैदान में शिकस्त देने के लिए खड़ा हो जाए। विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ा देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश ऐसे कई अनगनित सियासी लम्हों का साक्षी बनने जा रहा है। जहां एक ही परिवार के दो लोग एक दूसरे की सियासी करियर को समाप्त करना चाहते हैं।

बाप – बेटी की जंग

औरैया जिले की बिधूना सीट इन दिनों देशभर में सुर्खियां पा रही है। यहां से कोई बड़ा दिगग्ज नेता नहीं बल्कि रिश्ते में सगी बाप – बेटी एक दूसरे खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। इस देश में ऐसे कई राजनेता हुए और हैं जिन्होंने अपनी सियासी विरासत को अपनी बेटी सौंप दिया औऱ वो आज इसे आगे भी बढ़ा रही हैं। मगर बिधूना में मामला अलग है।

इस सीट से निर्वतमान विधायक विनय शाक्य 2017 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत कर आए थे। अब कुछ ही दिनों पहले उन्होंने साइकिल सवारी करनी शुरू कर दी। बेटी रिया शाक्य पिता के इस फैसले के खिलाफ है। रिया का कहना है कि उनकी दादी औऱ चाचा ने उनके पापा को बरगला दिया है। रिया को बीजेपी ने अपने सिंबल पर पिता के सामने उतारा है। लिहाजा ये चुनावी लड़ाई चर्चा का केंद्र बन गई है।

अमेठी राजपरिवार में जंग

अमेठी राजघराने में इन दिनों टिकट को लेकर जबरदस्त रस्साकशी देखी जा रही है। अमेठी राजपरिवार के महाराज डॉ संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह इस सीट से मौजूदा भाजपा विधायक हैं। हालांकि उन्हें उनकी ये सीट अब खतरे में दिख रही है। दरअसल 2019 में कांग्रेस और राज्यसभा सांसद के पद से इस्तीफा देकर संजय सिंह बीजेपी में शामिल हो गए।

उनके साथ उनकी दूसरी पत्नी अमिता सिंह भी शामिल हो गई। बता दें कि संजय सिंह का पहली पत्नी गरिमा सिंह से तालाक हो चुका है। अमिता 2002 में भाजपा के टिकट पर और 2007 में कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से विधानसभा पहुंची। हालांकि 2017 में उन्हें यहां गरिमा सिंह ने पटखनी दी। संजय़ सिंह अब अपनी दूसरी पत्नी के लिए यहां से टिकट चाह रहे हैं।

यूपी विधानसभा चुनाव की तस्वीर (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

भाई बनाम भाई

सोनभद्र जिले के घोरावल सीट पर भी मुकाबला दिलचस्प बनता जा रहा है। पिता – पुत्री के बाद अब भाई के भाई के बीच चुनावी लड़ाई की पटकथा तैयार हो रही है। घोरावल सीट से भाजपा विधायक अनिल मौर्य जहां इस बार फिर कमल के सिंबल पर मैदान में हैं। वहीं वाराणसी के शिवपुर सीट से पूर्व विधायक उदयलाल मौर्य चुनाव से ऐन पहले बीजेपी छोड़ सपा ज्वाइन कर ली। बताया जा रहा है कि वो सपा के टिकट पर अपने भाई के खिलाफ लड़ने को तैयार हैं औऱ उन्होंने टिकट भी मांगी है।

भतीजा बनाम चाची

गाजीपुर जिले के मुहम्मदाबाद सीट बीजेपी के विधायक रहे कृष्णानंद राय हत्याकांड के लिए जानी जाती रही है। हत्याकांड के आरोपी पूर्वांचल के सबसे बड़े माफिया मुख्तार अंसारी अभी जेल में बंद है। 2005 में कृष्णानंद राय की हत्या के बाद उनकी पत्नी अलका राय उपचुनाव में लड़ीं औऱ जीत गईं। अलका राय 2017 में भी मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबगतुल्ला अंसारी को हराने में सफल रहीं।

अलका अब अपने बेटे पीयूष राय को राजनीति में उतराना चाहते हैं। उन्होंने इस सीट से अपने बेटे को टिकट देने की वकालत की है। हालांकि उनके भतीजे आनन्द राय खूद चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने भी इलाके में पोस्टर बैनर लगाकर अपना दावा ठोंक दिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी भतीजे औऱ बेटे में किसको तरजीह देती है।

Divyanshu Rao

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