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UP Election 2022 : मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर बंपर वोटिंग से भाजपा के माथे पर शिकन
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में पश्चिमी यूपी में मतदान प्रतिशत ज्यादा रहा। खासकर उन विधानसभा सीटों पर जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है।
प्रतीकात्मक तस्वीर
लखनऊ। यूपी का पश्चिमी क्षेत्र राजनीति की दृष्टि से मुस्लिम बाहुल्य सीटों वाला इलाका कहा जाता है। इसलिए जब भी चुनाव होते हैं, गैर भाजपा दल इस क्षेत्र की अधिकतर सीटों पर कब्जा करने की जुगत लगाना शुरू कर देते हैं। इसके पीछे एक कारण यह भी कहा जाता है कि पश्चिमी यूपी से बही हवा मध्य यूपी से होते हुए पूर्वांचल तक बहने का काम करती है।
हालांकि भाजपा नेता इस बात से इंकार कर रहे हैं। उनका दावा है बंपर मतदान मोदी-योगी सरकार की नीतियों पर जनता की मुहर है। जिस तरह से तीन तलाक से मुस्लिम बहनों से मोदी सरकार ने मुक्ति दिलाने का काम किया है उसी का परिणाम है कि भाजपा के पक्ष मे आज उन्होेंने जमकर मतदान किया हैं।
एक अनुमान के अनुसार मुरादाबाद में मुस्लिम समुदाय की आबादी लगभग 50.80 प्रतिशत और रामपुर में 50.57 प्रतिशत है। इसके अलावा बिजनौर में 43.04 प्रतिशत, सहारनपुर में 41.95 फीसदी और अमरोहा में 40.04 प्रतिषत मुस्लिम आबादी चुनाव बडी भूमिका निभाती रही हैं। इसके अलावा बरेली में 34.54 फीसदी और संभल में 32.88 प्रतिशत मुस्लिम आबादी किसी भी उम्मीदवार की किस्मत बदल सकने की ताकत रखते हैं। इसके अलावा बदायूं में 23.26 प्रतिशत और शाहजहांपुर में 17.55 फीसदी मुस्लिम आबादी भी मुद्दा हैं।
भाजपा के लिए चिंता
आज नौ जिलों की मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर हुआ बंपर मतदान भाजपा के लिए चिंता का सबब कहा जा रहा है। आज हुए चुनाव में अधिकतर हिस्सा मुस्लिम बाहुल्य है। कई जगह हुए फर्जी मतदान की षिकायत भी भाजपा की तरफ से चुनाव आयोग से शिकायत भी की गयी है।
अब भाजपा की उम्मीदें जाट गुर्जर और पिछडी जाति के वोटों पर टिकी हुई है। इसे लेेकर सबसे अधिक उम्मीदें भाजपा को ही है। क्योंकि यही एक ऐसा क्षेत्र है जहां वोटों की गोलबंदी कर भाजपा यूपी में भाजपा का रास्ता तय होने की उम्मीद जताई जा रही हैे।
जातिगत समीकरण
इस लिए भाजपा ने एक रणनीति के तहत पश्चिमी उप्र में पिछड़ी जाति के अधिकतर प्रत्याशियों को उतारने का काम किया है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण सपा और रालोद गठबन्धन के लिए काट करने की हैं। भाजपा ने गठबन्धन की काट के लिए ज्यादातर सैनी, मौर्य, कुषवाहा, लोधी, गुर्जर, जाट, कष्यप आदि को उतारने का काम किया।
इस पूरे क्षेत्र की सभी 149 विधानसभा सीटों पर गौर किया जाए तो इन सीटों पर जाट जाटव गुर्जर व मुस्लिम के अलावा यादव कुर्मी व लोध मतदाता अधिक प्रभावी है। पूरा क्षेत्र जाट बाहुल्य क्षेत्र कहा जाता है लेकिन इनमें से कई जिले ब्राम्हण और पिछड़ी जाति पर आधारित है।
इससे पहले इस पूरे क्षेत्र का अधिकतर लाभ जाट नेता चौधरी अजित सिंह उठाते रहे है लेकिन 2014 के लोेकसभा चुनाव में माहौल भाजपा के पक्ष में रहा जिसे वह 2017 के बाद 2019 में भी कायम रखा है। पर इस बार चै अजित सिंह के बेटे जयंत चैधरी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबन्धन कर भाजपा को बडी चुनौती देने का काम किया है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार पश्चिमी उप्र की इन सीटों पर जाट तथा दलितों के वोटों को लेकर भाजपा और बसपा के बीच वोटों की जमकर खींचतान हुई है।
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