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संघर्ष समिति ने कहा "समर्थ उत्तर प्रदेश -विकसित उत्तर प्रदेश 2047" के लिए निजीकरण रद्द करना जरूरी
UP Electricity Privatization: समिति ने कहा, विज़न पूरा करने को बिजली का सार्वजनिक क्षेत्र में रहना ज़रूरी, निजीकरण रोका जाए।
UP Electricity Privatization (photo: social media )
UP Electricity Privatization: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के "समर्थ उत्तर प्रदेश-विकसित उत्तर प्रदेश 2047" विजन पोर्टल का विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने स्वागत किया है। समिति ने कहा कि इस विज़न को साकार करने के लिए बिजली को सार्वजनिक क्षेत्र में बनाए रखना बेहद जरूरी है, निजीकरण के निर्णय को तुरंत रद्द कर देना चाहिए।
निजीकरण के विरोध में प्रमुख बिंदु
संघर्ष समिति ने बताया कि वे जल्द विजन 2047 पोर्टल पर अपना विस्तृत प्रस्ताव भेजेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि निजीकरण के विरोध में उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा। जब तक यह निर्णय वापस नहीं लिया जाता। इस विरोध प्रदर्शन का 281वां दिन था। प्रदेश के जिलों में व्यापक प्रदर्शन किए गए। समिति के पदाधिकारियों ने पांच प्रमुख बिंदुओं पर जोर दिया, उनका मानना है कि बिजली का सार्वजनिक क्षेत्र में रहना विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
आम जनता को सस्ती बिजली: बिजली एक आवश्यक वस्तु है, लेकिन इसकी वास्तविक लागत को देखते हुए सभी लोग भुगतान नहीं कर सकते। वर्तमान में सरकारी बिजली कंपनियां किसानों, गरीबों और मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं को लागत से कम दाम पर बिजली उपलब्ध कराती हैं। निजीकरण के बाद कोई भी निजी कंपनी घाटा उठाकर बिजली नहीं देगी, जिससे किसानों और गरीब उपभोक्ताओं पर सबसे बुरा असर पड़ेगा।
सेवा बनाम व्यवसाय: सार्वजनिक क्षेत्र के लिए बिजली एक सेवा है, जबकि निजी क्षेत्र के लिए यह एक व्यवसाय है। समिति ने मुंबई का उदाहरण देकर बताया कि बिजली निजीकरण के कारण घरेलू बिजली की दरें 16.71 प्रति यूनिट हैं, जबकि प्रदेश में दर 6.50 प्रति यूनिट है। बिजली निजीकरण के बाद प्रदेश में बिजली के दाम आसमान छूने लगेंगे।
सस्ते बिजली उत्पादन: सरकारी क्षेत्र के बिजली घरों से उत्पादित बिजली सबसे सस्ती होती है, जिसका औसत मूल्य 4.17 प्रति यूनिट है। इसके विपरीत, निजी क्षेत्र से खरीदी जाने वाली बिजली 7 से 19 रूपया प्रति यूनिट तक होती है। निजीकरण के बाद बिजली खरीद की लागत बढ़ेगी, जिससे उपभोक्ताओं को महंगी बिजली मिलेगी।
महंगे बिजली खरीद समझौते रद्द हो
उत्तर प्रदेश में बिजली उत्पादन घरों के साथ 25-25 साल के महंगे बिजली खरीद समझौते हैं। समिति के सुझाव अनुसार करारों को रद्द करके सौर ऊर्जा जैसी सस्ती बिजली के करार किए जाएं, जो विकसित उत्तर प्रदेश 2047 के लिए जरूरी है। जम्मू-कश्मीर में साइबर सुरक्षा के खतरे में बिजली नेटवर्क को बड़ा माध्यम बताया गया था। समिति का कहना कि बिजली को सार्वजनिक क्षेत्र में बनाए रखना इसलिए भी ज़रूरी है ताकि इस तरह के साइबर सुरक्षा केऔर भी विस्तृत जानकारी देंगे।
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