यूपी पावर कार्पोरेशन के दलित इंजीनियरों ने लगाया प्रबंधन पर भेदभाव का आरोप

पावर कार्पोरेशन के दलित अभियंताओं के संगठन उप्र. पावर आफिसर्स एसोसिएशन की रविवार को हुई एक बैठक में बिजली कम्पनियों में दलित अभियन्ताओं की समस्याओं पर विचार विमर्श किया गया।

SK Gautam
Published on: 9 Jun 2019 10:35 PM IST
यूपी पावर कार्पोरेशन के दलित इंजीनियरों ने लगाया प्रबंधन पर भेदभाव का आरोप
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लखनऊ: यूपी पावर कारपोरेशन में तैनात दलित इंजीनियरों ने कार्पोरेशन प्रबंधन पर भेदभाव करने और दबाव बनाने का आरोप लगाया हैै। दलित अभियंताओं का कहना है कि वह इस संबंध में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से मुलाकात कर कार्पोरेशन प्रबंधन की पोल खोलेंगे और अगर इस पर भी दलित अभियंताओं को राहत नहीं मिली तो आंदोलन करेंगे।

पावर कार्पोरेशन के दलित अभियंताओं के संगठन उप्र. पावर आफिसर्स एसोसिएशन की रविवार को हुई एक बैठक में बिजली कम्पनियों में दलित अभियन्ताओं की समस्याओं पर विचार विमर्श किया गया। बैठक में दलित अभियन्ताओं ने पावर कार्पोरेशन प्रबन्धन पर हमला बोलते हुए कहा कि ज्यादातर बिजली कम्पनियों में ग्रामीण क्षेत्र में संवेदनशील इलाकों में दलित अभियन्ताओं को तैनात किया गया है।

अब आये दिन उन्हें मानक के तहत सुधार न कर पाने के लिये दण्डित किया जाता है और आने वाले समय में इसी को आधार बनाकर उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर भी विचार किया जायेगा, जो गलत है।

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इसी प्रकार कभी फर्जी शिकायतों को आधार बनाकर अभियन्ताओं का उत्पीड़न किया जाता है। ज्यादातर बिजली कम्पनियों में अटैच अभियन्ताओं के पास बैठने तक की जगह नहीं है, जो अपने आप में बड़ा सवाल है।

एसोसिएशन के अध्यक्ष केबी राम ने कहा कि एसोसिएशन द्वारा कार्पोरेशन प्रबन्धन को पहले ही सूचित किया जा चुका है कि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट आदेश को आधार बनाकर दलित अभियन्ताओं को रिवर्ट किया गया था। और अब सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ व अन्य पीठ का निर्णय आ गया है, जिसके आधार पर दलित अभियन्ताओं का रिवर्शन वापस कर उनकी पदोन्नति बहाल होने तक उनका स्थानान्तरण कहीं भी अन्यत्र न किया जाये। क्योंकि दलित कार्मिकों की यह मांग आज भी शासन स्तर पर लम्बित है।

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उन्होंने कहा कि कार्पोरेशन प्रबन्धन पदोन्नति के बाद दलित अभियन्ताओं का स्थानान्तरण कहीं भी करे एसोसिएशन को कोई भी समस्या नहीं होगी। उन्होंने कहा कि स्थानान्तरण प्रक्रिया व अनुशासनात्मक कार्यवाही की विंग में ऊपर से लेकर नीचे तक पूरी चेन में एक भी दलित अभियन्ता तैनात नहीं हैं, इससे कार्पोरेशन प्रबन्धन का दोहरा रवैया साफ जाहिर है।

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