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UP Ration Card: यूपी में राशन कार्ड सरेंडर, रिकवरी का कोई आदेश नहीं; जानें कार्ड धारकों को लेकर गाइडलाइन
UP Ration Card Issue
UP Ration Card: बीते कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश में राशन कार्ड के नए नियम को लेकर बवाल मचा हुआ है। आम आदमी से लेकर सियासी दल तक सरकार के इस आदेश पर जबरदस्त नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। वहीं योगी सरकार विपक्ष के अलावा इसे लेकर अपनों के भी निशाने पर है। नए नियम को लेकर मचे कोहराम के बीच इससे जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। यूपी सरकार के सूत्रों ने ऐसे किसी भी आदेश का खंडन किया है, जिसमें अपात्र लोगों को राशन कार्ड सरेंडर करने का आदेश दिया गया हो।
राशन कार्ड सरेंडर करने का आदेश ?
दरअसल बीते कुछ दिनों से मीडिया रिपोर्टेस में ऐसे दावे किए जा रहे हैं कि जो लोग सरकार द्वारा निर्धारित मानक से अलग जाकर राशन कार्ड का फायदा उठा रहे हैं, उनके खिलाफ योगी सरकार सख्त एक्शन लेने जा रही है। रिपोर्टेस में दावा किया जा रहा है सरकार ने राशन कार्ड को लेकर सख्ती दिखाते हुए कुछ शर्तों के साथ राशन कार्ड सरेंडर करने का नियम बनाया है। यदि किसी ने इसका उल्लंघण किया है तो उसपर कार्रवाई हो सकती है। बताया जा रहा है कि सरकार अब तक 8 लाख अपात्र कार्ड को निरस्त कर चुकी है।
राशन कार्ड की पात्रता के नियम
- यूपी का निवासी होना अनिवार्य
- परिवार का संचालन करने वाली मुखिया महिला हो
- परिवार की मासिक आय 15 हजार से कम हो
- घर की महिला मुखिया की उम्र 18 साल से अधिक हो
- वैसा परिवार जिसके पास सिंचित भूमि 2 हेक्टेयर से कम हो
- अगर परिवार का मुखिया पुरूष है तो जो असाध्य रोग से ग्रसित है और जिसकी उम्र 60 साल से अधिक है
इन्हें करना होगा सरेंडर
जिनकी खुद की कोई जमीन न हो, पक्का मकान न हो, भैस, बैल, ट्रैक्टर ट्रॉली ना हो, मोटरसाइकिल न हो, मुर्गी पालन और गौ पालन न करता हो, शासन की ओर से कोई वित्तीय सहायता न मिलती हो, शहरी क्षेत्र के परिवार का वार्षिक आय 3 लाख से अधिक न हो और जिनके जो हथियार का लाइसेंस रखते हों।
वरूण गांधी ने साधा था निशाना
बता दें कि राशन कार्ड के नए नियम को लेकर योगी सरकार अपनों के भी निशाने पर आ चुकी है। बीते दिनों पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरूण गांधी ने इसे लेकर योगी सरकार को घेरा था। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा था कि चुनाव से पहले पात्र और चुनाव के बाद अपात्र ? जनसामान्य के जीवन को प्रभावित करने वाले सभी मानक अगर 'चुनाव' देख कर तय किए जाएँगे तो सरकारें अपनी विश्वसनीयता खो बैठेंगी। चुनाव खत्म होते ही राशनकार्ड खोने वाले करोड़ों देशवासियों की याद सरकार को अब कब आएगी? शायद अगले चुनावों में..!
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