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वोटर लिस्ट में गड़बड़ी पर बड़े एक्शन की तैयारी, लखनऊ DM का जाना तय !
लखनऊ : राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल ने जो संकेत दिए, उसके बाद अब तो लखनऊ डीएम का जाना तय है।राजधानी के वोटर लिस्ट से नाम कटने की ढेरों शिकायतों ने राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल का गुस्सा सातवें आसमान पर पंहुचा दिया है।
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ऐसा पहली बार हुआ है कि शिकायतों पर निर्वाचन आयुक्त ने राजधानी के डीएम, एडीएम और एसडीएम को दोषी माना और उनके खिलाफ कड़ी कारवाई के संकेत दिए हैं। उन्होंने साफ़ कर दिया है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद एक्शन लेंगे।
इस मामले में जिम्मेदारों ने सिर्फ बीएलओ पर ठीकरा फोड़ अपना कर्तव्य पूरा कर लिया। जबकि निर्वाचन आयुक्त ने सिर्फ बीएलओ को ही नहीं बल्कि डीएम, एसडीएम और एडीएम को भी इस खामी का जिम्मेदार माना है।
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चुनाव आयुक्त ने लखनऊ प्रशासन के लिए सही शब्दों का प्रयोग किया है कि ये सिर्फ फोटो खिंचवाते हैं। तो यहां हम ये कहना चाहते हैं कि लखनऊ की हवा ही कुछ ऐसी है यहां जो भी आता है उसे छपास रोग लग जाता है। कमिश्नर साहेब 6 महीने से यहां हैं। वो क्या कर रहे थे चुनावों की तैयारी को लेकर। क्या उनकी गलती नहीं बनती। लेकिन आयोग ने उन्हें ये जिम्मेदारी सौंप दी है कि वो मामले की जांच करें। जबकि वो तो स्वयं प्रारंभिक तौर पर दोषी नजर आते हैं। देखते हैं जांच में क्या निकल कर आता है। लेकिन जिस तरह से आज चुनाव आयुक्त ने खुलेआम अधिकारियों के आचरण पर सवाल उठाया है वो इनके शर्मिंदा होने के लिए काफी है।
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क्या कहा राज्य चुनाव आयुक्त एसके अग्रवाल ने ?
राज्य चुनाव आयुक्त एसके अग्रवाल ने कहा कि वोटर लिस्ट से नाम काटने की समस्या सिर्फ लखनऊ में नहीं आई है। सिर्फ बीएलओ के खिलाफ एक्शन ले लेना यह गलत है। यह जिम्मेदारी एसडीएम और एडीएम की भी है अगर आप इनसे नहीं पूछेंगे तो हम पूछेंगे इसीलिए यह जिम्मेदारी हमने लखनऊ के आयुक्त को दी है वह 6 महीने से यहां हैं। जांच में यह साफ हो जाएगा कि किसके नाम कटे और क्यों कटे।
पंचायत चुनाव में भी शिकायत पर जांच कराई थी। 2015 में जांच एसटीएफ को दी थी। 3 एसडीएम सस्पेंड हुए थे। जानबूझकर वोटर का नाम काटना अपराध हैं। लखनऊ का प्रशासन करता क्या है। सिर्फ बैठकर फोटो खिंचवाता है।
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हमने कुल 3 चरणों में 503 ईवीएम रिप्लेसमेंट किया। 3 में से 250 ईवीएम मशीन केवल लखनऊ में ही रिप्लेस हुईं। लखनऊ में अव्यवस्था की वजह से यह हुआ। राजधानी में अफसरों को इस पर ध्यान देना चाहिए था। मैं बुलाकर सबसे पूछुंगा सबका दायित्व था।
प्रारंभिक रिपोर्ट 15 तक आ जायेगी। फिर हम देखेंगे कि क्या करें। विनर को सर्टिफिकेट वेबसाइट से डाउनलोड करना होगा। प्रशाशन भी उसी से डाउनलोड करके हस्ताक्षर कर सर्टिफिकेट देगा।
3 चरणों मे आज तक यूपी में कोई चुनाव नहीं हुआ। यूपी में कहीं कोई सांप्रदायिक संघर्ष नहीं हुआ। लखनऊ प्रशाशन को छोड़कर सबने बहुत मेहनत की है। सपा और आप के दो रिप्रजेंटेशन कल मिले हैं। वोटर लिस्ट को आधार से लिंक करना हमारा काम नही है।
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