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डिजिटाइज्ड फाइलें आॅनलाइन न होने से बढ़ रही दुश्वारियां दो हजार से अर्जियां लंबित
प्रयागराज : इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पिछले तीन साल से निर्णीत पुरानी लाखों फाइलों को स्कैन कर डिजिटाइज्ड किया जा रहा है।
योजना के तहत डिजिटाइज्ड फाइलों को आनलाइन किया जाना है। ऐसा होने के बाद एक क्लिक पर किसी भी मुकदमें वर्षों पहले
निर्णीत फाइल व उस पर पारित आदेश को देखा जा सकेगा। 37 लाख से अधिक फाइलें डिजिटाइज्ड की जा चुकी हैं। किन्तु अभी तक यह तय नहीं हो सका है कि इन्हें कब आनलाइन किया जायेगा। डिजिटाइज्ड हो चुकी फाइलों को आनलाइन न करने के परिणाम स्वरूप
दो हजार से अधिक आवेदनों का विगत दो वर्षों से निस्तारण नहीं हो पा रहा है। क्योंकि सभी निर्णीत फाइलें डिजिटाइज्ड सेन्टर में डमप हैं।
फाइलों के ढेर से किसी फाइल को ढूंढ़ निकालना दूर की कौड़ी लाने जैसा है। बिना लिखा पढ़ी के अनुभागों से फाइलें उठा ली गयी और ट्रक में
भर कर सेन्टर में डम्प कर दी गयी, जिनको स्कैन कर डिजिटाइज्ड किया जा रहा है। लगातार निर्णीत हो रही फाइलें भी सेन्टर में भेजी जा रही है। अब अदम पैरवी में यदि केस खारिज हो जाय तो उसे पुनस्र्थापित अर्जी पर कोर्ट में पेश कराना बीरबल की खिचड़ी हो गया है। सेन्टर में पहुंची फाइल ढूढ़ कर वापस अनुभाग में लाना आसान काम नहीं है।
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दिसम्बर 2017 में सूफिया सबा, सीताराम विश्वकर्मा व नवम्बर 2017 में रज्जन प्रसाद, शमीम नाज, जनवरी 2018 में सी.पी उपाध्याय ने सेवा में भेजी गयी फाइल मंगाने के लिए अर्जी दी है। लगभग एक साल होने को है, फाइलें नहीं आ सकी। ऐसे ही दो हजार से अधिक की अर्जियां अपनी बारी का इन्तजार कर रही है। हालांकि डिजिटाइजेशन की निगरानी पांच सदस्यीय न्यायमूर्तियों की कमेटी कर रही है।
यदि डिजिटाइज्ड हो चुकी फाइलें आनलाइन कर दी जाय तो लंबित अर्जियों का शायद निस्तारण हो सके। नियमानुसार अर्जी जमा करने के दस दिन में आदेश की नकल जारी की जानी चाहिए। किन्तु महीनों बीत जाने के बाद फाइल ही नहीं मिल पा रही है।
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एनसीजेडसीसी के पूर्व निदेशक बंसल पर एक रूपये का हर्जाना
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज के सहायक कार्यक्रम अधिकारी कृष्णानंद पाण्डेय की बर्खास्तगी को
अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। यही नहीं कोर्ट ने केंद्र के पूर्व निदेशक गौरव कृष्ण बंसल की कार्यप्रणाली पर तीखी टिप्पणी करते हुए सबक के तौर पर एक रूपये का हर्जाना लगाया है। कोर्ट ने याची को निरंतरता के साथ सेवा बहाली का निर्देश दिया है और कहा है कि पूर्व निदेशक ने उनके आदेश का पालन न करने पर दुर्भावनापूर्ण कार्यवाही की और संविदाकर्मी को जांच अधिकारी नियुक्त कर बिना जांच व सफाई का मौका दिये बर्खास्त कर दिया। आरोप ऐसा जिसके आधार पर सेवा बर्खास्तगी नहीं की जा सकती।
कोर्ट ने कहा कि सामान्यता ऐसे मामले में बर्खास्तगी आदेष रद्द कर जांच नये सिरे से पूरी करने काआदेष देती है किन्तु प्रष्नगत मामले में छोटी सी बीमारी की छुट्टी पर की गयी बर्खास्तगी मामले में जांच पूरी करने का आदेश देना उचित नहीं हेागा।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने कृष्णानंद पाण्डेय की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी व विभू राय का कहना था कि याची की मात्र इतनी गलती थी कि इलाहाबाद से बलिया हुए तबादले के खिलाफ याचिका दायर कर स्थगनादेश प्राप्त कर लिया। याची इस दौरान बीमारी के कारण छुट्टी पर था। याची को कार्यभार ग्रहण कराया गया। इसके बाद पूर्व निदेशक बंसल ने दुर्भावना से ग्रसित हो बीमारी की जांच डाक्टरों की टीम से करायी। डाक्टरों ने याची को अवसादग्रस्त नहीं माना और कहा कि सेवा करने योग्य है। इस आधार पर संविदाकर्मी को जांच अधिकारी नियुक्त कर विभागीय जांच बैठा दी। कानूनी प्रक्रिया ताख पर रखकर बर्खास्त करदिया। याची को सफाई का मौका भी नहीं दिया।
कोर्ट ने कहा कि विभागीय जांच दुर्भावनापूर्ण ढंग से शुरू करायी गयी। ऐसे में बाद में की गयी सभी कार्यवाही भी दुर्भावनापूर्ण थी। यह उचित कार्यवाही नहीं मानी जा सकती। पूरी कार्यवाही कानून की नजर में कायम रहने योग्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि बंसल के इस ऐक्शन पर कोर्ट भारी हर्जाना लगाना चाहती थी किन्तु केन्द्र के अधिवक्ता के सही रूख को देखते हुए टोकन हर्जाना लगाया जा रहा है।
बमरौली एयरपोर्ट टर्मिनल तक फोरलेन रोड बनाने का निर्देश
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बमरौली एयरपोर्ट टर्मिनल के काम में तेजी लाने तथा टर्मिनल तक फोरलेन सड़क का निर्माण करने का राज्य सरकार को निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सड़क पर स्ट्रीट लाइट सहित सीवर लाइन की व्यवस्था की जाए और बरसाती पानी की निकासी का भी इंतजाम किया जाए। कोर्ट ने राज्य सरकार को टर्मिनल तक परिवहन व्यवस्था करने का भी आदेश दिया है। साथ ही एयरपोर्ट अथारिटी से कहा है कि वह एरोप्लेन लैण्डिंग सिस्टम लगाने में तेजी लाये। याचिका की अगली सुनवाई 12 नवम्बर को होगी। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने अधिवक्ता अजय कुमार मिश्र की जनहित याचिका पर दिया है।
अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि चालीस एकड़ जमीन अथारिटी को दी गयी है। शेष 13 एकड़ जमीन किसानों से लेने की प्रक्रिया चल रही है।
कोर्ट ने जिलाधिकारी प्रयागराज से साप्ताहिक बैठक कर आ रही अड़चनों पर विचार कर दूर करने को कहा है और कार्यवाही रिपोर्ट मांगी है।
हाईकोर्ट कर्मचारी, अधिकारी संघ ने पुरानी पेंशन की मांग का किया समर्थन
इलाहाबाद हाईकोर्ट कर्मचारी अधिकारी संघ की कार्यकारिणी ने भी पुरानी पेंशन बहाली की मांग का समर्थन किया है। सर्वसम्मति से राज्य
सरकार से मांग की है कि तत्काल पेंशन स्कीम लागू की जाए। संघ के महासचिव बृजेश शुक्ला ने बताया कि पुरानी पेंशन योजना में जीवन ज्यादा सुरक्षित था। नयी पेंशन योजना बाजार आधारित होने से कर्मचारियों का भविष्य अंधकार मय हो गया है। संघ ने कहा है कि सांसदों विधायकों व संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के लिए पेंशन स्कीम है किन्तु सरकारी सेवा में जीवन खपाने वाले कर्मचारियों के लिए बाजार आधारित पेंशन स्कीम दी जा रही है। यह कल्याणकारी राज्य के सिद्धान्त के विरुद्ध है। बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ उपाध्यक्ष कमलेश कुमार सिंह ने की।
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