Advertisement
Advertisement
TRENDING TAGS :
यूपी में कुलपतियों का कार्यकाल बढकर हो सकता है पांच साल
राजकुमार उपाध्याय
लखनऊ। यूपी के विश्वविदयालयों के कुलपतियों का कार्यकाल अब तीन साल से बढ़कर पांच साल हो सकता है। कुलपति का तीन वर्ष का सामान्य कार्यकाल पूरा हो जाने पर राज्यपाल कुलपति को दो वर्ष का अतिरिक्त सेवा विस्तार दे सकते हैं पर यह तभी संभव होगा, जब वह कुलपति के काम काज से संतुष्ट हों। उच्च शिक्षा में सुधार के लिए गठित समिति ने राज्यपाल रामनाईक को सौंपी अपनी रिपोर्ट में इसकी संस्तुति की है।
रिपोर्ट के मुताबिक महाविद्यालयों के निरीक्षण की वर्तमान व्यवस्था समाप्त की जाए। उसकी जगह एक तीन-सदस्यीय समिति से महाविदयालयों का निरीक्षण कराया जाए। विश्वविद्यालय से सम्बद्धता के प्रश्न पर निर्धारित समय सीमा के अन्दर निर्णय लिया जाना अनिवार्य किया जाएगा। ऐसा नहीं होने पर प्रकरण पर राज्यपाल ही निर्णय लेंगे।रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य विवि फीस बढ़ाने का प्रस्ताव अध्यादेश के जरिए सरकार को भेजी जाए। सरकार 30 दिवस के अन्दर अध्यादेश पर या तो अपना अनुमोदन दे अथवा उसे निरस्त करे पर यदि 30 दिवस के अन्दर सरकार निर्णय नहीं लेती है तो शुल्क अध्यादेश स्वतः अनुमोदित माना जाएगा।
राज्यपाल के विधि परामर्शी हैं समिति के अध्यक्ष
उप्र राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 में संशोधन और उच्च शिक्षा में सुधार के लिए राज्यपाल के विधि परामर्शी एसएस उपाध्याय की अध्यक्षता में 16 जून को एक समिति गठित की गई थी। सदस्यों में छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो जेवी वैशम्पायन, एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ के निदेशक प्रो बलराज चौहान, विशेष सचिव उच्च शिक्षा मधु जोशी, उच्च शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद के विधि अधिकारी शैलेन्द्र कुमार तिवारी, ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू अरबी-फारसी विश्वविद्यालय लखनऊ के कार्यकारी कुलपति एवं कुलसचिव एसके शुक्ला हैं।
Next Story
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!