श्रीराम के नारे के पहले समझे उसका अर्थ : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू

Anoop Ojha
Published on: 26 May 2018 9:38 PM IST
श्रीराम के नारे के पहले समझे उसका अर्थ : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू
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श्रीराम के नारे के पहले समझे उसका अर्थ : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू

लखनऊ: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने शनिवार को कन्वेंशन सेंटर के अटल बिहारी बाजपेई सभागार में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन की पुस्तक ''अनकहा'' का विमोचन किया। इस मौके पर यूपी के राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांंडेय प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने पुस्तक की बारीकियों का जिक्र करते हुए कहा कि इस पुस्तक में लखनऊ की गलियों का भी वर्णन है, बहुत सुंदर चित्रण है। आजादी के बाद 25% लोग अनपढ़ और गरीब हैं। अभी भी अछूत की मान्यता है। इसके।बारे में गंभीरता से सोंचना चाहिए।भारतीयता और हिंदुत्व में इसका स्थान नहीं था। ये बीच में आया है, इसलिए इसे बीच में खत्म करना होगा। भारत विश्वगुरु था, बाहर के इतिहासकार यहां के बारे में यहां आकर लिखते थे। महिलाओं की इतनी इज्जत थी की भगवानों का नाम महिलाओं के नाम पर रखते थे, नदियों का नाम महिलाओं के नाम पर रखते थे। महिलाओं के बारे में लोग कहते इन्हें ज्यादा पता नहीं, मैंने कहा पुरुषों को सब पता है।भारत माता की जय के नारे लगने चाहिए।यही हमारी परंपरा है।यही वसुधैव कुटुम्बकम है।टण्डन जी ने इस किताब में किस्सा गोई का भी जिक्र किया है।ये समृद्ध संस्कृति को दर्शाती है ये जरुरी है कि हम अपनी महान परंपराओं को याद रखें।

श्री राम का नाम क्यों लेते हैं, इसके पीछे कारण है कि राम राज्य होना चाहिये यानी आदर्श राज्य हो। जहाँ भय, भूख, भ्रष्टाचार न हो। एक पत्नी, सच बोलना, सबका साथ सबका विश्वास ये राम के जमाने की बाते हैं। इसलिए श्री राम का नाम लेते हैं।इसलिए नाम के साथ नारे के साथ ये भी याद रखना होगा।

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''अनकहा'' लालजी टण्डन

लालजी टण्डन ने कहा सबको उत्सुकता है कि इस पुस्तक के जरिये कौन सी अनकही बात कही गई है। लखनऊ के बारे में बहुत लिखा गया। लखनऊ अंग्रेजो के पहले तक राज्य अवध के नाम से जाना जाता था।अवध का छोटा सा हिस्सा लखनऊ है।जब वाजिद अली शाह के हाथ से गया और आसिफुद्दौला यहां आये और राज्य कायम किया।100 साल का पीरियड है।जबकि अवध देश के प्राचीनतम राज्यों में से था।इसलिए मुझे लगा जिस राज्य के बारे में हजारों साल का इतिहास हो, उसे सीमित कर दिया जाये।ये ठीक नहीं।लखनऊ बहुत विशाल है।यहां की कुछ विशेषतायें हैं जो अनकही हैं।जिनकी कोई चर्चा नहीं करता। जहाँ मजहब और जाति नाम की चीज थी ही नहीं।ऐसा सामंजस्य कहीं और देखने को नहीं मिलेगा। यहां का अनकहा पक्ष ये है कि पासियो के शौर्य की कहानियां भरी हुई हैं। लखनऊ के 100 सालों की कहानियां किस्से भी है किताब में है। जैसे लखनऊ का सबसे बड़ा नाला एक कैनाल है।

अगर मैं अगली पीढ़ी तक ये नहीं पहुंचाता तो खुद को लखनऊ का गुनहगार मानता। लखनऊ की टीले वाली मस्जिद लक्ष्मण टीला था।इसमें कोई विवाद नहीं था, केवल नाम चल रहा था।जो पिछले लोग थे क्या उनकों इस बात का ज्ञान नहीं कि नाम क्यों बदला। मैंने ये कोई विवाद नहीं खड़ा किया कि मकबरा या मस्जिद हमारी है।मैंने बस् जो अनकहा था, वो कह दिया।मैं छाती ठोंक के कहता हूँ की जो लिखा है वो सत्य है।

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डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा

टण्डन जी ने अपनी लेखनी के माध्यम से लखनऊ को नई दिशा दी है। चंद्र भानु गुप्त एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें सभी दलों के लोग मानते थे।ऐसे ही हमारे लालजी टण्डन हैं। मैं धन्यवाद अदा करता हूँ की लालजी टण्डन ने लखनऊ को इस किताब का तोहफा दिया।

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सीएम योगी आदित्यनाथ

लखनऊ के अछूते पलों को सबके सामने लाने के लिए लालजी टण्डन का आभार। मैं उनका अभिनन्दन करता हूँ अनकहा लखनऊ को मैंने पढ़ा है।मुझे बहुत अच्छा लगा। टण्डन जी के बारे में कहा जाता है कि ये लखनऊ के निर्विवाद नेता हैं।ये लखनऊ का इनसाइक्लोपीडिया हैं।

गवर्नर रामनाईक

मुझे ऐसा लगता है कि इस पुस्तक पर इसी हाल में एक बड़ी संगोष्ठी करनी चाहिए। बड़ा अच्छा लगा की लालजी टण्डन ने अपने जीवन में जो देखा, वो उसमे लिखा है।और जो उन्हीने देखा वो शायद किसी ने न देखा हो।इसलिए ऐसा ग्रन्थ लिखने के लिए उनको बधाई।

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Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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