Sonbhadra: खेतों को सिंचाई सुविधा के नाम पर गड़प लिए 7.31 लाख, सामग्री आपूर्ति में भी गोलमाल

Sonbhadra News In Hindi: खेतों को सिंचाई सुविधा (Irrigation Facility) उपलब्ध कराने के नाम पर महज एक ग्राम पंचायत में 7.31 लाख से अधिक की धनराशि डकार ली गई है।

Kaushlendra Pandey
Report Kaushlendra PandeyPublished By Shreya
Published on: 12 Feb 2022 9:55 PM IST
Sonbhadra: खेतों को सिंचाई सुविधा के नाम पर गड़प लिए 7.31 लाख, सामग्री आपूर्ति में भी गोलमाल
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किसान (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Sonbhadra News In Hindi: सोनभद्र ग्राम पंचायतों में कराए जाने वाले विकास कार्यों की आड़ में सरकारी धनराशि (Government Funds) डकारने की शिकायतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामला म्योरपुर ब्लाक क्षेत्र (Myorpur Block Chetra) से जुड़ा हुआ है। यहां मनरेगा कोटे (MGNREGA) से खेतों को सिंचाई सुविधा (Irrigation Facility) उपलब्ध कराने के नाम पर महज एक ग्राम पंचायत में 7.31 लाख से अधिक की धनराशि डकार ली गई है। वहीं पूर्व में बने सिंचाई कूप को नया दिखाकर, जिसके खेत में कूप निर्मित होना बताया जा रहा है, उस किसान को भी हैरत में डाल दिया है।

इसी तरह म्योरपुर ब्लाक के साथ ही अन्य ब्लाकों के ग्राम पंचायतों में भी सिंचाई के लिए निर्मित हुए कूपों के लिए की गई सामग्री आपूर्ति में गोलमाल बताया जा रहा है। कार्यों के भौतिक सत्यापन को लेकर जो तस्वीर सामने आई, उसकी रिपोर्ट अधिकारियों को सौंपने के साथ ही शासन को भेज दी गई हैं। वहीं इस तरह के कार्यों के विस्तृत जांच की भी मांग उठाई जाने लगी है।

बताते हैं कि ग्राम पंचायतों में आचार संहिता लागू होने के पूर्व कराए गए कार्यों के भौतिक सत्यापन के क्रम में ग्राम्य विकास विभाग (UP Rural Development Department) की टीम जब म्योरपुर ब्लाक के कूड़पान पहुंची तो वहां वर्ष 2020-21 के रिकर्ड में 7,31,441 रुपये का सिंचाई कूप निर्मित होना पाया गया। बताया जाता है कि ग्रामीणों के साथ दर्शाए गए स्थल पर जब सत्यापन टीम पहुंची तो पता चला कि जिस जगह नया सिंचाई कूप निर्मित होना बताया जा रहा है। वहां पहले से कूप निर्मित है। ग्रामीणों की मानें तो संबंधित किसान भी इस खुलासे से अवाक रह गया। यहां के बाद टीम इसी ब्लाक के गड़िया में निर्मित सिंचाई कूप का हाल जानने पहुंची तो रिकर्ड में 1,94,817 रुपये सामग्री पर व्यय बताए गए लेकिन इसका बिल बाउचर नहीं उपलब्ध कराया गया।

बताया जा रहा है सत्यापन टीम को कार्योंं में इस तरह की गड़बड़ियां कई ग्राम पंचायतों में मिली हैं। कहीं बिल-बाउचर नहीं है तो कहीं बगैर एमबी कराए ही भुगतान कर दिया गया हैं कहीं-कहीं टीम ग्रामीणों को साथ लेकर रिकर्ड में दर्ज कामों को घंटों ढूंढ़ती रह गई, लेकिन न काम का पता चला, न ही उससे जुड़ा कोई बोर्ड अथवा निशान। इस बारे में जानकारी के लिए कुड़पान ग्राम पंचायत के सचिव सुरेंद्र कुमार को रिंग की गई लेकिन काल रिसीव नहीं हुई।

गहनता से हो जांच तो उघड़ेंगी घपले की कई परतें

दस ब्लाकों वाले जिले में महज पांच ब्लाकों के सत्यापन में वर्ष 2020-21 में मनरेगा से कराए गए कार्यों में जिस तरह की गड़बड़ियां मिली हैं, उसको लेकर गहनता से विस्तृत जांच की मांग जोर पकड़ने लगी है। कहा जा रहा है अगर काम दर काम, किए गए भुगतान को लेकर सत्यापन की प्रक्रिया अपना ली जाए तो इसको लेकर बड़े खेल का खुलासा सामने आ सकता है।

मजदूरों से कर ली जा रही 50-50 की डील

लोगों की मानें तो कई काम ऐसे हैं, जिसको लेकर कुछ चुनिंदा जाबकार्डधारकों से 50-50 की डील कर ली जा रही है। इसके एवज में, बगैर काम कराए ही उनके खाते में धनराशि भेज दी जा रही है और इसके बदले में संबंधित कार्डधारकों से लगभग आधी रकम लेकर, इससे जुड़े लोग बंदरबांट कर ले रहे हैं। मजदूरी किसी और द्वारा किए जाने, भुगतान किसी और को जाने की बात, जिले में सामने आ चुकी है। यह स्थिति तब है, जब इन्हीं सारी चीजों को लेकर वर्ष 2007 से वर्ष 2010 के बीच मनरेगा के कार्यों की जांच सीबीआई को दी जा चुकी है।

सत्यापन रिपोर्ट के क्रम में की जाएगी कार्रवाई

म्योरपुर के खंड विकास अधिकारी का प्रभार देख रवि कुमार कहते हैं कि सत्यापन टीम के रिपोर्ट के क्रम में जो भी निर्देश मिलेगा, उसके अनुरूप कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। वहीं उपायुक्त मनरेगा शेषनाथ चैहान का कहना था कि जैसे ही सत्यापन रिपोर्ट उनके सामने आएगी, उसका अध्ययन कर, जहां' जो भी गड़बड़ियां मिली हैं, उस पर कार्रवाई की जाएगी।

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