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UP: प्रदेश के 25 हजार नलों-हैंडपंपों का पानी पीने लायक नहीं, विकास के दावों के बीच सर्वे ने दिखाया आईना
UP News: हर दिन विकास कार्यों को लेकर बड़े बड़े दावे करने वाली योगी सरकार के लिए यह सर्वे रिपोर्ट एक आइना है। योगी सरकार अगले पांच वर्षों में यूपी को देश की दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनाने का दावा कर रही है।
Uttar Pradesh News: कुछ दिनों पहले केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने दिल्ली के पानी को लेकर एक टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि दिल्ली का पानी अच्छा नहीं होता है। पानी अच्छा या बुरा होना एक मुहावरा है, जिसका इस्तेमाल इंसान की सेहत और प्रकृति की अनुकूलता के लिए इस्तेमाल किया जाता है। परन्तु उत्तर प्रदेश में एक सर्वे से खुलासा हुआ है कि यूपी के गांवों में 25 हजार से अधिक जल स्रोत प्रदूषित पानी दे रहे हैं। इसमें नल, हैंडपंप सहित दूसरे स्रोत भी शामिल हैं। इन प्रदूषित जल स्रोतों का पानी पीने योग्य नहीं है। फिर भी मजबूरी में लोगो प्रदूषित पानी पी रहे हैं।
हर दिन विकास कार्यों को लेकर बड़े बड़े दावे करने वाली योगी सरकार के लिए यह सर्वे रिपोर्ट एक आइना है। योगी सरकार अगले पांच वर्षों में यूपी को देश की दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनाने का दावा कर रही है। यही नहीं, अगले वर्ष राज्य में 10 लाख लाख करोड़ रुपए का औद्योगिक निवेश लाने के लिए राज्य में एक ग्लोवल इन्वेस्टमेंट समिट का आयोजन करने जा रही है। इसके अलावा गत सितंबर तक राज्य में हर घर नल योजना के तहत राज्य में एक लाख 20 हजार 821 परिवारों में नल कनेक्शन किए जाने का दावा सरकार कर रही है। इसके बाद भी राज्य में 25 हजार नलों और हैंडपंपों का प्रदूषित पानी लोग पी रहे हैं। यह खुलासा ग्रामीण पेयजल मिशन के तहत महिला समूहों द्वारा घरों से लिए जा रहे फील्ड टेस्ट किट जांच के चलते हुआ है।
प्रदेश के तमाम जिलों में महिलाओं द्वारा लगातार पानी के नमूने लेकर उनकी जांच की जा रही है। इसके लिए उन्हें फील्ड टेस्ट किट दी गई है।यहर जांच के एवज में महिलाओं को 20 रुपये दिए जाते हैं। अब तक वे 28 लाख 15 हजार 976 सैंपलों की जांच कर चुकी हैं।इनमें से 1 लाख 11 हजार 328 जल स्रोतों से लिए गए पानी के नमूने जांच में प्रदूषित निकले। इनकी दोबारा प्रयोगशाला में जांच कराई गई। तब इनमें से 24 हजार 869 नमूनों में गड़बड़ मिली। विभिन्न कारणों से इन जल स्त्रत्तेतों का पानी जहरीला या प्रदूषित था, जिसका प्रयोग पीने या खाना बनाने के लायक नहीं है। पानी के नमूनों की जांच के यह आंकड़े प्रदेश के 29 जिलों के हैं। इनमें सर्वाधिक खराब स्थिति शाहजहांपुर की मिली है। वहां लिए गए नमूनों में से 10 हजार 781 सैंपलों में गड़बड़ी मिली। मथुरा में 7 हजार 54, सीतापुर में 6 हजार 213, इटावा में 4 हजार 325 जबकि संत कबीर नगर में 3686 जल स्रोत प्रदूषित मिले. जांच में पानी के प्रदूषित होने के प्रमुख कारणों में पाइप में लीकेज, भूगर्भीय जल में गड़बड़ी पाया गया।
मंत्री का दावा
इस बारे राज्य के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि गांवों में हर घर नल से जल पहुंचे और सभी को स्वच्छ पेयजल मिले। इसके लिए गांव-गांव पेयजल स्रोतों के सैंपल लेकर महिलाएं जांच कर रही हैं। लैब में भी जांच कराई जा रही है। जहां भी सैंपलों में गड़बड़ी मिली है तो तत्काल सुधार के कदम उठाए गए हैं।