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जानें, आखिर क्यों भंग हुआ जवाहर बाग कांड की जांच के लिए गठित आयोग?
लखनऊ: मथुरा के जवाहर बाग कांड की जांच को गठित एकल सदस्यीय आयोग भंग कर दिया गया है। इसका गठन 7 जून 2016 को किया गया था। इस बीच प्रकरण की सीबीआई जांच की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल हुई। इसका संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया। इसको देखते हुए न्यायिक जांच आयोग को भंग कर दिया गया। इस पर राज्यपाल की भी राय है कि ऐसे में आयोग का विदयमान रहना अनावश्यक है। बुधवार (12 अप्रैल) को राज्य सरकार ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी।
-अब यह आयोग एक अप्रैल से अस्तित्वविहीन हो जाएगा।
-आयोग सरकार को एक अप्रैल तक की गई जांच की मुहरबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपेगा।
-आयोग को उपलब्ध कराए गए साजो-सामान 20 अप्रैल तक सरकार को लौटाने होंगे।
-इसके बाद आयोग को कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।
क्या है जवाहर बाग कांड?
2 जून 2016 को मथुरा के पुलिस बल और प्रशासनिक पदाधिकारियों को जवाहर बाग खाली कराने का आदेश दिया गया था। उद्यान विभाग के स्वामित्वाधीन जवाहर बाग में धरना देने वाले अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर लिया था। इस दौरान पुलिस बल पर अंधाधुंध पथराव और गोलीबारी की गई। इसमें संतोष यादव थानाध्यक्ष फरह और पुलिस अधीक्षक नगर मुकुल द्विवेदी की मौत हो गई। इसमें कई पुलिसकर्मी और प्रशासनिक अफसर भी घायल हुए थे। कुछ धरना देने वालों की भी मौत हो गई थी।
31 मार्च तक बढाया गया था कार्यकाल
उस समय 7 जून 2016 को घटना की जांच के लिए मिर्जा इम्तियाज मुर्तजा (सेवानिवृत्त) न्यायमूर्ति को एकल सदस्यीय आयोग के रूप में नियुक्त किया गया था। आयोग से दो माह की अवधि तक जांच पूरा करने की अपेक्षा की गयी थी। पर आयोग समय से जांच पूरी नहीं कर सकता और 31 मार्च 2017 तक इसका कार्यकाल बढाया गया था।
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