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पूर्वांचल के विकास बिना यूपी के समग्र विकास की कल्पना बेमानीः राष्ट्रपति
गोरखपुर: गोरक्षनाथ मंदिर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह में पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में यंग वर्क फोर्स (युवा शक्ति) की सबसे बड़ी संपदा उपलब्ध है, जिसके बल पर मौजूद संसाधनों का भरपूर लाभ उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि 2032 तक गोरखपुर 'सिटी आॅफ नाॅलेज' रूप में स्थापित हो। इसके लिए उन्होंने संकल्प लेकर लक्ष्य निर्धारण की बात कही।
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राष्ट्रपति ने कहा पूर्वांचल के विकास के बिना उप्र के समग्र विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। इसके साथ ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की। राष्ट्रपति ने कहा कि सीएम योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश का समग्र विकास हो रहा है और गोरखपुर भी अब बदल रहा है।
समारोह में राष्ट्रपति थे मुख्य अतिथि
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गुरु गोरक्षनाथ मंदिर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह में राष्ट्रपति बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि आज से लगभग डेढ़ दशक बाद जब इस 'परिषद' का शताब्दी वर्ष मनाया जाए तब तक सुविचारित योजनाओं और प्रयासों से गोरखपुर को 'सिटी ऑफ नॉलेज' के रूप में स्थापित करने का संकल्प लिया जाए। मुझे विश्वास है कि आप इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल भी होंगे। देश में युवाओं की सबसे बड़ी संख्या उत्तर प्रदेश में है।
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उन्होंने कहा कि प्रदेश में 'स्टार्ट-अप फंड', 'आईटी पाक्र्स' तथा 'ईज आफ डूइंग बिजनेस' के सुधारों पर विशेष जोर दिया जा रहा है जो एक सुखद पहलू है। गोरखपुर में प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेडिकल कालेज के बाद अब एम्स का निर्माण हो रहा है, जो टेक्निकल, मेडिकल और प्रोफेशनल शिक्षा के क्षेत्र में युवाओं को और समर्थ बनाएगा।
राज्यपाल ने विद्यार्थियों को दिए सफलता के कई मंत्र
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह में राज्यपाल रामनाईक ने विद्यार्थियों को सफलता के कई मंत्र दिए। उन्होंने कहा कि पढ़ाई तो करनी चाहिए, लेकिन किताबी कीड़ा नहीं बनना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ योग-व्यायाम भी आवश्यक है। इससे स्वास्थ्य अच्छा और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
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उन्होंने कहा कि सफलता का पहला मंत्र है मुस्कुराते रहना। जो मुस्कुराता है वह सबका प्रिय होता है। जो सबका प्रिय होता है वह जीवन के सभी क्षेत्रों में सफल होता है। दूसरा मंत्र है कि यदि किसी ने अच्छा किया है तो उसे अच्छा कहना सीखो। जरूरी नहीं कि बड़े ही छोटों के काम की तारीफ करें। बड़े भी यदि अच्छा कर रहे हों तो अच्छा कहो।
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राज्यपाल ने कहा कि तीसरा मंत्र है कि किसी का अपमान मत करो। चोट लगी, खून निकला तो भी ठीक हो सकता है, लेकिन अपमान से लगी चोट कभी ठीक नहीं होती। अहंकार स्पीड ब्रेकर पर बिना देखे गाड़ी दौड़ा देने जैसा है। इससे बचना चाहिए। यदि नब्बे प्रतिशत अंक आ गए हैं तो अपनी खुशी जाहिर करो, लेकिन यह मत कहो कि पड़ोस का फलां विद्यार्थी तो दिन-रात पढ़ता था, लेकिन उसके मुझसे कम नंबर आ गए।
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