TRENDING TAGS :
विश्व किडनी दिवस- ब्रेन डेड एवं अंगदान, अपनों को जीवन दान
विश्व किडनी दिवस के मौके पर सेक्टर-62 स्थित फोर्टिस अस्पताल में किडनी (गुर्दा) प्रत्यारोपण के कुछ अनूठे और उल्लेखनीय मामलों को प्रदर्शित कर लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने का संकल्प लिया।
नोएडा: विश्व किडनी दिवस के मौके पर सेक्टर-62 स्थित फोर्टिस अस्पताल में किडनी (गुर्दा) प्रत्यारोपण के कुछ अनूठे और उल्लेखनीय मामलों को प्रदर्शित कर लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने का संकल्प लिया।
केस - 1
हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला के 31वर्षीय रोगी निखिल गुलेरिया को अपने बिगड़ते स्वास्थ्य की वजह से नौकरी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा और जांच में पता चला कि उन्हें किडनी की बीमारी है। उन्हें हफ्ते में तीन दिन डायलिसिस पर रहना होता था और मई 2016 में उन्होंने मृत व्यक्ति से किडनी ट्रांसप्लांट के लिए खुद का पंजीकरण कराया। शुरू में उनकी मां ने अपनी किडनी दान करने की पेशकश की थी लेकिन उनकी किडनी भी ठीक ढंग से काम नहीं कर पा रही थी जिसकी कारण ऐसा नहीं किया जा गया। चिकित्सा कारणों से उनके पिता और बहनें भी किडनी दान करने में सक्षम नहीं थे। नवंबर, 2017 में फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा ने उस समय उनका सफलतापूर्वक किडनी ट्रांसप्लांट किया, जब ब्रेन डेड डोनर से उसे कैडावेरिक किडनी प्राप्त हुई। बीमारी का पता चलने के बाद निखिल करीब एक साल तक डायलिसिस पर रहना पड़ा था।
केस - 2
25 वर्षीय मरीज हरीश जैन का मामला आया। उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट करने की जरूरत थी लेकिन डोनर का ब्लड ग्रुप मरीज के ब्लडग्रुप से मैच नहीं कर रहा था। इस स्थिति को देखते हुए चिकित्सकों की टीम ने एबीओ इनकॉम्पैटिबल सर्जरी करने का निर्णय किया। 48 वर्षीया मां प्रतिभा जैन ने बेटे हरीश को किडनी दान में दिया।
एबीओ इनकॉम्पैटिबल (एबीओ) ट्रांसप्लांट विधि
एबीओ इनकॉम्पैटिबल (एबीओ) ट्रांसप्लांट एक अंग प्रत्यारोपण की एक ऐसी विधि है जिसमें उपलब्ध अंग का इस्तेमाल किया जा सकता है, चाहे डोनर का ब्लड ग्रुप अलग ही क्यों न हो। तकरीबन एक-तिहाई मरीजों के परिवार में डोनर का ब्लड ग्रुप अनुकूल नहीं होता है। इसलिए, एबीओ इनकॉम्पैटिबल ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है और चिकित्सा के क्षेत्र में इसकी इसकी मांग बढ़ रही है। तीसरे मामले में, सभी सामाजिक रूढिवादिताओं को तोड़ते हुए 34 वर्षीय मरीज रूबी की 63 वर्षीय सास सावित्री देवी ने जब अपनी इच्छा से किडनी दान किया तो उन्होंने किडनी ट्रांसप्लांट कराया।
यह कहानी लोगों को प्रेरित कर सकती है क्योंकि सावित्री देवी उस समय किडनी दान करने के लिए आगे आई जब रूबी की मां को जीवित डोनर के तौर पर चिकित्सकीय आधार पर किडनी दान करने से मना कर दिया गया। ऑपरेशन से पूर्व जांच में सावित्री देवी को किडनी दान करने के लिए फिट पाया गया। ट्रांसप्लांट सफल रहा और डोनर तथा प्राप्तकर्ता दोनों स्वस्थ जीवन जी रही हैं। डॉ. मनोज के सिंघल, डायरेक्टर, नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट ने कहा बदलती जीवनशैली और डायबिटीज एवं उच्च रक्तचाप के बढते मामलों की वजह से पिछले कुछ वर्षों में किडनी संबंधी रोग से पीड़ित मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है।
इनमें से अधिकांश मरीज किडनी ट्रांसप्लांट के इंतजार में डायलिसिस पर जीवन गुजार रहे हैं। तीन में से एक मरीज को अपने परिवार में अनुकूल डोनर नहीं मिल पाता है। ब्रेन डेड एवं अंगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाकर मांग और आपूर्ति के इस अंतर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!