UP में गोवंश को मारने पर होगी 10 साल की जेल, लगेगा लाखों का जुर्माना

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज यहां उनके सरकारी आवास पर सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020 के प्रारूप को स्वीकृति प्रदान की गयी।

Dharmendra kumar
Published on: 9 Jun 2020 10:15 PM IST
UP में गोवंश को मारने पर होगी 10 साल की जेल, लगेगा लाखों का जुर्माना
X

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज यहां उनके सरकारी आवास पर सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020 के प्रारूप को स्वीकृति प्रदान की गयी। इस अध्यादेश को प्रख्यापित कराये जाने तथा उसके प्रतिस्थानी विधेयक के आलेख पर विभागीय मंत्री का अनुमोदन प्राप्त करते हुए उसे राज्य विधान मण्डल में पुरःस्थापित कराये जाने का निर्णय भी मंत्रिपरिषद द्वारा लिया गया है।

यह निर्णय राज्य विधान मण्डल का सत्र न होने तथा शीघ्र कार्यवाही किये जाने के दृष्टिगत संशोधन के लिए अध्यादेश प्रख्यापित कराये जाने की आवश्यकता के मद्देनजर लिया गया है। उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020 का उद्देश्य उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण अधिनियम, 1955 को और अधिक संगठित एवं प्रभावी बनाना है एवं गोवंशीय पशुओं की रक्षा तथा गोकशी की घटनाओं से संबंधित अपराधों को पूर्णतः रोकना है।

यह भी पढ़ें...UP की पंचायतों में होगी अब शहरों जैसी ये सुविधा, योगी सरकार ने दिए आदेश

ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम, 1955 दिनांक 6 जनवरी, 1956 को प्रदेश में लागू हुआ था। वर्ष 1956 में इसकी नियमावली बनी। वर्ष 1958, 1961, 1979 एवं 2002 में अधिनियम में संशोधन किया गया तथा नियमावली का वर्ष 1964 व 1979 में संशोधन हुआ। परन्तु अधिनियम में कुछ ऐसी शिथिलताएं बनी रहीं, जिसके कारण यह अधिनियम जन भावना की अपेक्षानुसार प्रभावी ढंग से कार्यान्वित न हो सका और प्रदेश के भिन्न-भिन्न भागों में अवैध गोवध एवं गोवंशीय पशुओं के अनियमित परिवहन की शिकायतें प्राप्त होती रही थीं।

उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम, 1955 (यथासंशोधित) की धारा-8 में गोकशी की घटनाओं हेतु 07 वर्ष की अधिकतम सजा का प्राविधान है। उक्त घटनाओं में सम्मिलित लोगों की जमानत हो जाने के मामले बढ़ रहे हैं। गोकशी की घटनाओं से सम्बन्धित अभियुक्तों द्वारा न्यायालय से जमानत प्राप्त होने के उपरान्त पुनः ऐसी घटनाओं में संलिप्त होने के प्रकरण परिलक्षित हो रहे हैं।

यह भी पढ़ें...प्राइवेट हाॅस्पिटल का बड़ा कारनामा, मृत मासूम का करता रहा इलाज

इन सभी कारणों से जन भावना की अपेक्षा का आदर करते हुए यह आवश्यक हो गया कि गोवध निवारण अधिनियम को और अधिक सुदृढ़, संगठित एवं प्रभावी बनाया जाए। इन्हीं बिन्दुओं पर विचार करते हुए वर्तमान गोवध निवारण अधिनियम, 1955 में संशोधन किए जाने का निर्णय लिया गया है।अभिग्रहित गायों तथा उसके गोवंश के भरण-पोषण पर व्यय की वसूली अभियुक्त से एक वर्ष की अवधि तक अथवा गाय या गोवंश को निर्मुक्त किए जाने तक, जो भी पहले हो, स्वामी के पक्ष में की जाएगी।

उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम, 1955 (यथासंशोधित) की धारा-5 में गोवंशीय पशुओं को शारीरिक क्षति द्वारा उनके जीवन को संकटापन्न किए जाने अथवा उनका अंग-भंग करने एवं गोवंशीय पशुओं के जीवन को संकटापन्न करने वाली परिस्थितियों में मूल अधिनियम में धारा-5 ‘ख‘ के रूप में इस उपबंध का समावेश किया जाएगा कि ‘जो कोई किसी गाय या उसके गोवंश को ऐसी शारीरिक क्षति कारित करता है, जो उसके जीवन को संकटापन्न करे यथा गोवंश का अंग-भंग करना, उनके जीवन को संकटापन्न करने वाली किसी परिस्थिति में उनका परिवहन करना, उनके जीवन को संकटापन्न करने के आशय से भोजन-पानी आदि का लोप करना, वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास, जो अन्यून 1 वर्ष होगा और 7 वर्ष तक हो सकता है, से और ऐसा जुर्माना जो अन्यून 1 लाख रुपए होगा और जो 3 लाख रुपए तक हो सकता है‘ से दण्डित किया जाएगा।

यह भी पढ़ें...इस शहर में बहुत तेजी से फैल रहा कोरोना, अब स्टेडियम को बनाया जाएगा अस्पताल

दण्ड एवं जुर्माने में वृद्धि किए जाने हेतु मूल अधिनियम की धारा-8 में संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं। इसके तहत जो कोई धारा 3, धारा 5 या धारा 5 ‘क’ के उपबन्धों का उल्लंघन करता है या उल्लंघन करने का प्रयास करता है या उल्लंघन करने के लिए दुष्प्रेरित करता है, वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास, जो अन्यून 3 वर्ष होगा और जो 10 वर्ष तक हो सकता है से, और ऐसा जुर्माना जो अन्यून 03 लाख रुपए होगा और 5 लाख रुपए तक हो सकता है, से दण्डनीय किसी अपराध का दोषी होगा। जो कोई इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध की दोषसिद्धि के पश्चात इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का पुनः दोषी हो तो वह द्वितीय दोषसिद्धि हेतु इस अपराध के लिए उपबंधित दोहरे दण्ड से दण्डित किया जाएगा।

गोवध निवारण अधिनियम को और अधिक सुदृढ़, संगठित एवं प्रभावी बनाने तथा जन भावनाओं का आदर करते हुए उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को प्रख्यापित कराये जाने का निर्णय लिया गया है। इस अध्यादेश के प्रख्यापन से गोवंशीय पशुओं का संरक्षण एवं परिरक्षण प्रभावी ढंग से हो सकेगा तथा गोवंशीय पशुओं के अनियमित परिवहन पर अंकुश लगाने में परोक्ष रूप से मदद मिलेगी।

Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!