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कमजोर हुआ अमेरिका: कोरोना ने बना दी ऐसी हालत, सड़क पर आ गए लोग
अमेरिका दुनिया के सबसे ताकतवर देश माना जाने वाला अमेरिका कोरोना के कहर के सामने कमजोर पड़ गया है। कोरोना से जंग में इस शक्तिशाली देश के पास संसाधनों की इस कदर कमी हो गयी है कि लोग सड़क और पार्कों पर उतर आए हैं।
नई दिल्ली: कोरोना का कहर दुनिया के कई देशों पर प्रकोप बन कर टूट पड़ा है। सभी इस जानलेवा वायरस से निपटने के लिए अपने अपने स्तर पर कार्यकर रहे हैं। इसी कड़ी में दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के हालत भी कोरोना के कारण ज्यादा सही नहीं है। यहां कोरोना से निपटने के संसाधनों की कमी हो गयी है। हालत ये हैं कि अमेरिका में अस्थाई टेंट लगाकर कोरोना की जांच की जा रही है तो वहीं पार्कों को अस्पतालों का रूप दे दिया गया है।
अमेरिका के पास कोरोना के खिलाफ जंग में संसाधनों की कमी
दुनिया के सबसे ताकतवर देश माना जाने वाला अमेरिका कोरोना के कहर के सामने कमजोर पड़ गया है। कोरोना से जंग में इस शक्तिशाली देश के पास संसाधनों की इस कदर कमी हो गयी है कि लोग सड़क और पार्कों पर उतर आए हैं।
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अमेरिका के अस्पतालों में बेड की कमी:
दरअसल, अमेरिका में कोरोना मरीजों के लिए अस्पताल में बेड कम पड़ गए हैं तो वहीं वेंटिलेटर भी मौजूद नहीं हैं। अस्पतालों में मरीजों को रखने की जगह न होने के कारण अस्थाई टेंट लगाए गए हैं, जहां डॉक्टर लोगों का कोरोना टेस्ट कर रहे हैं।
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टेंट लगाकर की जा रही जांच
इतना ही नहीं, इस संकट से निपटने के लिए पार्कों को अस्पताल में बना दिया गया है। जगह की कमी होने की वजह से कन्वेंशन सेंटर, रेस ट्रैक और पब्लिक पार्क आदि सभी जगहों को अस्थायी अस्पताल में तब्दील कर दिया गया। तो वहीं आपात काल की हालत में व्यवस्था संभालने के लिए आनन फानन में मदद के लिए सेना को बुला लिया है।

पार्क में 68 बेड का अस्थाई अस्पताल
इसी कड़ी में न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क में 68 बेड का अस्थाई अस्पताल बनाया गया है। इस अस्पताल में कोरोना का टेस्ट हो सकेगा, साथ ही कोरोना पीड़ितों का इलाज भी होगा।
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कार बनाने वाली कंपनियां कर रही वेंटिलेंटर का निर्माण
अमेरिका ने वेंटिलेटर की कमी को पूरा करने के लिए ऑटो कंपनियों को गाड़ियों का प्रोडक्शन रोक कर वेंटिलेटर बनाने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा ये कंपनियां इलाज के दूसरे उपकरण भी बना रही हैं।
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