Diego Garcia ka Itihas: क्या है डिएगो गार्सिया द्वीप का इतिहास, जहां से अमेरिका ने इराक पर बरसाये थे बम, जिसके लिये अमेरिका-ब्रिटेन से भिड़ गया भारत

Diego Garcia ka Itihas: हिंद महासागर के सेंटर में लोकेटड चागोस द्वीपसमूह में करीब 60 द्वीप और सात एटोल शामिल हैं। द्वीपसमूह काफी छोटा है। जिसका क्षेत्रफल 60 वर्ग किलोमीटर और तटरेखा 698 किलोमीटर लंबी है। हिंद महासागर के केंद्र में सुदर और बहुत ही सुरक्षित ये द्वीप अमेरिकी सेना के लिये काफी महत्वपूर्ण द्वीप है। यहां से भारत के दक्षिणी तट की दूरी 970 नॉटिकल मील है और बेहद ही महत्वपूर्ण मलक्का जलडमरूमध्य से 1600 नॉटिकल मील की दूरी पर स्थिति है।

Shivam Srivastava
Published on: 11 March 2025 8:18 PM IST
Diego Garcia ka Itihas: क्या है डिएगो गार्सिया द्वीप का इतिहास, जहां से अमेरिका ने इराक पर बरसाये थे बम, जिसके लिये अमेरिका-ब्रिटेन से भिड़ गया भारत
X

Diego Garcia ka Itihas: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीब 10 साल बाद मॉरीशस के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे है। वो मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में हिस्सा लेंगे। पीएम मोदी का दौरा उस समय हो रहा है जब अमेरिका डिएगो गार्सिया पर स्थित अमेरिकी-ब्रिटिश सैन्य अड्डे को लेकर समझौते की बात कही है। बता दें, संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने चागोस द्वीपसमूह की सम्प्रभुता पर मॉरीशस के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि ब्रिटेन को इस द्वीपसमूह से अपना नियंत्रण जल्द से जल्द खत्म कर देना चाहिए। जिसके बाद ब्रिटेन बाद से ब्रिटेन ने इस द्वीप की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने के कोशिश में लग गया है।

बता दें, इस द्वीपसमूह की सम्प्रभुता को लेकर ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच चला आ रहा एक पुराना विवाद है। इसमें पाया गया कि मॉरीशस के हिस्से वाला चागोस द्वीपसमूह में, अमेरिका द्वारा पट्टे पर लिया गया डिएगो गार्सिया द्वीप गैरकानूनी था।



क्या है चागोस द्वीप की भौगोलिक स्थिति

हिंद महासागर के सेंटर में लोकेटड चागोस द्वीपसमूह में करीब 60 द्वीप और सात एटोल शामिल हैं। द्वीपसमूह काफी छोटा है। जिसका क्षेत्रफल 60 वर्ग किलोमीटर और तटरेखा 698 किलोमीटर लंबी है। इसका स्पेशल इकनॉमिकल जोन लगभग 5,44,000 वर्ग किलोमीटर दूर तक फैली हुई है। चागोस द्वीपसमूह, मॉरीशस के मुख्य द्वीप से लगभग 2,200 किलोमीटर दूर है और वर्तमान में ब्रिटेन के नियंत्रण में ब्रिटिश इंडियन ओशन टेरिटरी के नाम से जाना जाता है। सामरिक स्थिति की बात करें तो चागोस द्वीपसमूह पश्चिम में अफ्रीका के तट और पूर्व में दक्षिण-पूर्व एशिया से समान दूरी पर स्थित है। इसके पश्चिम में सोमालिया और पूर्व में सुमात्रा का तट लगभग 1,500 समुद्री मील दूर हैं। यह भारतीय उप-महाद्वीप के दक्षिण से लगभग 1,000 समुद्री मील की दूरी पर स्थित है।


क्या इस द्वीपसमूह का इतिहास

अफ्रीका में बसे इस आइलैंड पर सबसे पहले कब्जे का इतिहास डचों का मिलता है जिन्होंने 1638 से 1710 के बीच इसपर कब्जा किया था। इसके बाद 1715 से 1810 तक फ्रांस का यहां पर उपनिवैशिक शासन कहा। वह इस द्वीप का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर मछली पकड़ने और नारियल के लिये करते थे। लेकिन 1814 में पेरिस में हुई संधि के बाद फ्रांस ने चागोस द्वीपसमहू सहित मॉरीशस को ब्रिटेन को सौंप दिया था। जिसके बाद करीब 157 साल तक मॉरीशस ब्रिटेन का गुलाम रहा। मॉरीशस को 1968 में ब्रिटेन से आजादी मिली थी। लेकिन ब्रिटेन ने चालाकी दिखाते हुये मॉरीशस से चागोस को अलग कर दिया गया। शीत युद्द के दौर में हिंद महासागर के बीचो-बीच बसे इस द्वीप की सामरिक स्थिति बेहद ही खास थी जिसकी वजह से ब्रिटेन को इसे छोड़ना नहीं चाह रहा था। इसी बीच ब्रिटेन ने डिएगो गार्सिया को नौसैनिक अड्डे निर्माण के लिये 50 साल के लिये अमेरिका को पट्टे पर सौंप दिया था। समझौते के तहत अमेरिका की डिमांड थी कि द्वीप पर कोई इंसानी बसाहट नहीं होनी चाहिये। इसी के बाद साल 1971 में इस द्वीप पर रहने वाले 1500 लोगों को अपने ही मातृभूमि से निष्कासित कर दिया गया जिसकी वजह से इन लोगों को मॉरीशस या सेशेल्स में जाके शरण लेनी पड़ी।


क्यों है डिएगो गार्सिया का रणनीतिक महत्व

हिंद महासागर के केंद्र में सुदर और बहुत ही सुरक्षित ये द्वीप अमेरिकी सेना के लिये काफी महत्वपूर्ण द्वीप है। यहां से भारत के दक्षिणी तट की दूरी 970 नॉटिकल मील है और बेहद ही महत्वपूर्ण मलक्का जलडमरूमध्य से 1600 नॉटिकल मील की दूरी पर स्थिति है। इसकी स्थिति का ऐसे अंदाजा लगा सकते हैं कि आज तक यह किसी भी हमले से अछूता रहा है और स्थानीय लोगों की आबादी न होने के कारण यहां पर कभी किसी तरह का राजनैतिक विद्रोह नही हुआ है

अमेरिका के लिये बेहद महत्वपूर्ण है चागोस

हिंद महासागर में अमेरिका की उपस्थिति 1960-70 के दशकों में तब बढ़ी जब ब्रिटेन ने इस क्षेत्र से अपनी 'ईस्ट ऑफ स्वेज' नीति के तहत हटने का निर्णय लिया। इस दौरान पूर्वी अफ्रीका और दक्षिण एशिया में सोवियत संघ का प्रभाव भी बढ़ रहा था। 1960 के दशक की शुरुआत में, अमेरिकी सैनिकों ने हिंद महासागर में एक सैन्य आधार की आवश्यकता महसूस की, जो आकस्मिक ऑपरेशनों को आसान बना सके। इसके तहत, जहाजों और विमानों के लिए संचार स्टेशन, लंबी दूरी की टोही विमान के लिए हवाई क्षेत्र और आपूर्ति डिपो की आवश्यकता थी।

रणनीतिक दृष्टि से, डिएगो गार्सिया द्वीप पूर्वी अफ्रीका, पूर्वी एशिया और दक्षिण एशिया के बीच स्थित है, जिससे यह अमेरिकी नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण चौकी बन जाता है। वर्तमान में इस द्वीप पर 1700 सैन्यकर्मी और 1500 नागरिक ठेकेदार हैं, जिनमें 50 ब्रिटिश सैनिक भी शामिल हैं। अमेरिकी नौसेना और वायु सेना द्वारा संयुक्त रूप से इस द्वीप का उपयोग किया जाता है। 1991 के खाड़ी युद्ध, 1998 के इराक युद्ध और 2001 में अफगानिस्तान में हुए कई हवाई अभियानों का संचालन डिएगो गार्सिया से ही किया गया था।

शीत युद्ध के दौरान, डिएगो गार्सिया द्वीप अमेरिका के लिए बेहद महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह सोवियत संघ की गतिविधियों पर नजर रखने का एक प्रमुख केंद्र था। शीत युद्ध के बाद, अमेरिका इसे अपनी सुरक्षा और विदेश नीति के तहत हिंद महासागर क्षेत्र में अन्य नौसैनिक गतिविधियों की निगरानी और आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के लिए महत्वपूर्ण मानता है। यह द्वीप 14 मील लंबा और 4 मील चौड़ा है, जो "विश बोन" के आकार का एक कोरल एटोल है।


Diego Garcia ka Itihas: क्या है डिएगो गार्सिया द्वीप का इतिहास, जहां से अमेरिका ने इराक पर बरसाये थे बम, जिसके लिये अमेरिका-ब्रिटेन से भिड़ गया भारतब्रिटेन चागोस को क्यों नहीं देना चाहता?

इस क्षेत्र के प्रमुख प्राकृतिक संसाधन नारियल और मछली हैं। ब्रिटिश सरकार को इस द्वीप से वाणिज्यिक मछली पकड़ने के लाइसेंस से लगभग $2 मिलियन की वार्षिक आय होती है, हालांकि अक्टूबर 2010 से ऐसे लाइसेंस नहीं दिए गए हैं। सभी आर्थिक गतिविधियाँ डिएगो गार्सिया द्वीप से केंद्रित होती हैं, और इस द्वीप पर ब्रिटिश और अमेरिकी सैन्य सुविधाएं मौजूद हैं। यहां पर निर्माण परियोजनाओं और विभिन्न सेवाओं को यूके, मॉरीशस, फिलीपींस और अमेरिका के सैन्य और अनुबंध कर्मचारियों द्वारा संचालित किया जाता है।

क्या है विवाद का कारण?

चागोस द्वीपसमूह को लेकर ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच मुख्य रूप से तीन विवाद हैं। पहला और सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा इस द्वीपसमूह की सम्प्रभुता है, जिस पर ब्रिटेन और मॉरीशस दोनों अपने-अपने दावे करते हैं। दूसरा विवाद चागोस द्वीपवासियों के विस्थापन की वैधता को लेकर है, जब ब्रिटेन ने इस द्वीपसमूह पर नियंत्रण किया था और द्वीपवासियों को उनके पैतृक घरों से जबरन बेदखल कर दिया था। तीसरा विवाद 1 अप्रैल 2010 को ब्रिटिश संसद द्वारा पारित समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (Marine Protected Areas) की स्थापना को लेकर है। इस प्रस्ताव के तहत, 200 समुद्री मील के आर्थिक अपवर्जित क्षेत्र (डिएगो गार्सिया को छोड़कर) के दायरे में मछली पकड़ने और किसी भी प्रकार की समुद्री गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया गया था। हालांकि, मॉरीशस ने इसे चुनौती दी और कहा कि यह 1982 में बने समुद्री आधारित कानून का उल्लंघन है। इसके अलावा, मॉरीशस का कहना है कि ब्रिटेन तटीय राज्य नहीं है, इसलिए उसे इस तरह के कदम उठाने का अधिकार नहीं है।

Shivam Srivastava

Shivam Srivastava

Next Story