अमेरिकी पाबंदियों के असर को निष्प्रभावी बनाएंगे इन दो देशों के रक्षा व्यापार समझौते

Aditya Mishra
Published on: 25 Aug 2018 5:46 PM IST
अमेरिकी पाबंदियों के असर को निष्प्रभावी बनाएंगे इन दो देशों के रक्षा व्यापार समझौते
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नई दिल्ली: भारत और रूस अमेरिका द्वारा रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों से निपटने के रास्ते तलाश रहे हैं, लेकिन बड़े रक्षा सौदों के लिए चुनौतियां अब भी मुंह बाए खड़ी हैं। इनमें एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के लिए 39,000 करोड़ रुपये का वह समझौता भी है जिस पर इसी वर्ष दोनों देश दस्तखत कर सकते हैं।

हालांकि, भारत को अमेरिकी पाबंदियों वाले कानून से छूट दी गई है, लेकिन रूस से हथियारों की खरीद के लिए पैसे के आदान-प्रदान पर रोक लगाने वाली वित्तीय पाबंदियां अब भी लागू हैं। इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के बीच अक्टूबर में द्विपक्षीय सम्मेलन के दौरान कम-से-कम तीन रक्षा सौदों को लेकर संभावित समझौते संकट में आ सकते हैं।

भारत ने डिफेंस हार्डवेयर के लिए रूस को डॉलर में पेमेंट किया है, लेकिन अब वह रास्ता बंद हो चुका है। इस वजह से अब रुपया-रूबल में सीमित आदान-प्रदान ही हो सकता है। दिक्कत यह है कि रक्षा खरीद के बड़े आकार को देखते हुए पूरी खरीदारी के लिए घरेलू मुद्रा पर्याप्त नहीं होगी।

भारत को विदेशों से होनेवाले सैन्य साजो-सामान के निर्यात पर नजर रखनेवाली संस्था रसियन फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री टेक्निकल को-ऑपरेशन के प्रमुख दमित्री शगेव ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा, 'हम (पाबंदियों की वजह से पैदा हुए) वित्तीय मसलों को सुलझाने में जुटे हैं। हम उन सभी नई संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं जिससे हमारा काम बन जाए। हमारे पास कई विकल्प हो सकते हैं। इनमें दोनों देशों की अपनी-अपनी मुद्राओं में व्यापार करने का विकल्प भी शामिल है।'

इकनॉमिक टाइम्स ने पहले ही बताया था कि सैन्य साजो-सामान की खरीद के लिए भारत को रूस को अतिरिक्त 2 अरब डॉलर देने होंगे। अभी पाबंदियों की वजह से इस खरीद को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। यहां तक कि परमाणु क्षमता युक्त आईएनएस चक्र सबमरीन की रिपेयरिंग जैसे महत्वपूर्ण के लिए डेढ़ करोड़ डॉलर का अति महत्वपूर्ण भुगतान भी शामिल है।

हालांकि, लिगेसी कॉन्ट्रैक्ट्स पेमेंट इस समस्या का एक समाधान हो सकता है, लेकिन अमेरिकी पाबंदियों के प्रभाव में नए समझौतों पर बैंकिंग सिस्टम की निगरानी बढ़ सकती है। कुल मिलाकर, स्थायी समाधान के अभाव में रक्षा खरीद के कम-से-कम तीन समझौते खटाई में पड़ सकते हैं जिनको लेकर अभी शुरुआती दौर की बातचीत हो रही है।

एस-400 मिसाइलों के अलावा ऑर्डनैंस फैक्ट्री के साथ भारत में ही एक-103 राइफलों के निर्माण किए जाने को लेकर बातचीत भी आखिरी दौर में है। अन्य समझौतों में 48 नए एमआई- 17वी हेलिकॉप्टरों के लिए 1 अरब डॉलर का सौदा भी शामिल है। इनके अलावा, रूस से दो नए युद्धपोत खरीदने का भी सौदा होना है जिनमें एक युद्धपोत का निर्माण में गोवा में किया जाएगा। हालांकि, यह समझौता पूरा होने में थोड़ा वक्त लगेगा।

भारत और रूस, दोनों देश ऐसे बैंक तलाशने की जद्दोजहद कर रहे हैं जो अमेरिकी पाबंदियों का जोखिम उठाकर भी पैसे ट्रांसफर करने को राजी हो जाएं। भारत की तरफ से विजया बैंक, इंडियन बैंक जबकि रूस की तरफ से भारत में उसके सबसे बड़े बैंकिंग संस्थान सुबेर बैंक (Sberbank) से बाचतीत चल रही है।

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