Trump Tariff on China: अब अमेरिका और चीन आपने-सामने, दुनिया के बाजारों में आया भूचाल

Donald Trump Tariffs Alert China: खासकर अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ से आर्थिक प्रतिबंध की स्थिति पैदा हो गई है और चीन के लिए अमेरिका को कपड़े, खिलौने जैसी सस्ती चीजों का एक्सपोर्ट करना मुश्किल हो रहा है।

Neel Mani Lal
Published on: 13 April 2025 5:17 PM IST
Donald Trump Tariffs Alert China and World Global Markets Crash
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Donald Trump Tariffs Alert China and World Global Markets Crash

Donald Trump Tariffs Alert China: नई दिल्ली। अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में व्यापार युद्ध के तेज होने से ग्लोबल बाजारों में काफी उथल-पुथल मची हुई है।अमेरिकी बिजनसों को महत्वपूर्ण इम्पोर्ट पर ऊंचे टैक्सों का सामना करना पड़ रहा है। दशकों बाद अमेरिका में रोजमर्रा की चीजों के दाम बढ़ने के हालात बनने लगे हैं। वजह ये है कि अमेरिका में बहुत सारा इम्पोर्ट चीन से होता है और ट्रम्प ने चीनी इम्पोर्ट पर 145% टैरिफ लागू किया है। जवाबी कार्रवाई में चीन ने अमेरिका से आने वाले सामानों पर 125% टैरिफ लगा दिया है। नतीजा ये है कि अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों पर निर्भर बिजनेस और काम - धंधे लड़खड़ा गए हैं।

सस्ते सामानों पर चली तलवार

खासकर अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ से आर्थिक प्रतिबंध की स्थिति पैदा हो गई है और चीन के लिए अमेरिका को कपड़े, खिलौने जैसी सस्ती चीजों का एक्सपोर्ट करना मुश्किल हो रहा है। नतीजतन, अमेरिकी बिजनेसों को अब चीनी सप्लायर्स की बजाए नए विकल्प तलाशने की जरूरत पड़ रही है।


कपड़े बांग्लादेश से खरीदे जा सकते थे लेकिन उस पर भारी टैरिफ लगने ये ये काम मुश्किल हो गया है। फिलवक्त, मेक्सिको और कनाडा अब अमेरिका के टॉप सप्लायर्स बने हुए हैं। लेकिन बहुत सी छोटी मोटी चीजों में चीन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैरिफ के नतीजे कई स्तरों पर विनाशकारी हो सकते हैं।

क्या है ट्रेड की स्थिति

2024 में चीन के साथ अमेरिका का माल व्यापार लगभग 582.4 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जिसमें चीनी इम्पोर्ट 2.8% बढ़ने की वजह से व्यापार घाटा लगभग 295 बिलियन डॉलर हो गया था। येल यूनिवर्सिटी बजट लैब के अनुमानों के अनुसार, टैरिफ से 2025 तक अमेरिकी आर्थिक विकास में 1.1 प्रतिशत अंकों की कमी आने का अनुमान है।

अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग

ट्रम्प प्रशासन द्वारा पारस्परिक टैरिफ से स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स को बाहर रखने से ये संभावना बन रही है कि इन आइटम्स की मैन्यूफैक्चरिंग जल्द ही अमेरिका में ट्रांसफर हो सकती है। ये आइटम अभी चीन, ताइवान, भारत आदि देशों में बन कर अमेरिका जाते हैं। ट्रम्प ने कई इलेक्ट्रॉनिक सामानों को टैरिफ शिकंजे से छूट दे तो दी है लेकिन इसके बावजूद चीन अभी भी चुनिंदा इलेक्ट्रॉनिक्स पर 20% टैरिफ का सामना कर रहा है।


इसके चलते भारत और वियतनाम को एक मौका मिल रहा है कि कम दाम पर ऐसे आइटम बना कर अमेरिकी बाजार में कदम जमा सकते हैं।

ट्रम्प ने बाजार की स्थिति और एप्पल जैसी बड़ी कंपनियों की चिंताओं को देखते हुए स्मार्टफोन और कंप्यूटर के अलावा सेमीकंडक्टर, सोलर सेल, फ्लैट पैनल टीवी डिस्प्ले, फ्लैश ड्राइव, मेमोरी कार्ड और सॉलिड-स्टेट ड्राइव को भी टैरिफ से छूट की कैटेगरी में रख दिया है। ये छूट मूल टैरिफ ऑर्डर से जुड़ी हैं, जिसने चुनिंदा क्षेत्रों को ओवरलैपिंग लेवी से दोहरी मार से बचाया था। इनमें सेमीकंडक्टर छूट विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

बहरहाल, ट्रम्प का निशाना चीन है। अपने पहले टर्म में भी उन्होंने चीन को घेरा था। ऐसा माना जा रहा है कि चीन को पहले से पता था कि ऐसे हालात एक न एक दिन आएंगे सो उसने इसकी तैयारी भी कर रखी है। चीन ने कई सेक्टरों में अपनी आंतरिक क्षमता मजबूत की है ताकि उसे इम्पोर्ट पर निर्भर न रहना पड़े। ये काम चीन ने धीरे धीरे मगर लगातार किया है। स्टील जैसे सेक्टर इसके उदाहरण हैं। अब वर्तमान टैरिफ युद्ध किस दिशा में जायेगा और कब जाएगा, ये देखने वाली बात है।

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