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कतर पर हमले के बाद ईरान ने बुलाई 60 मुस्लिमों देशों की इमरजेंसी मीटिंग, इजराइल के खिलाफ बनाया ये मास्टरप्लान
कतर पर इजरायल के हमले के बाद ईरान ने 60 मुस्लिम देशों की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। दोहा शिखर सम्मेलन में इजरायल के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने की बड़ी चेतावनी दी गई।
60 Muslim Countries Emergency Meeting: इजरायल द्वारा कतर पर किए गए हमले ने दुनिया के मुस्लिम देशों को एक बड़ा और गंभीर संदेश दिया है। कतर की राजधानी दोहा में हुए अरब-इस्लामी आपातकालीन शिखर सम्मेलन में ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने एक 'महा-चेतावनी' जारी करते हुए कहा कि मुस्लिम देशों के पास अब एक ही विकल्प है: एकजुट हो जाएं, वरना कल किसी भी अरब देश या इस्लामिक राजधानी की बारी आ सकती है। यह बयान सीधे तौर पर इजरायल के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाने का आह्वान है, जो मध्य पूर्व में एक बड़े धार्मिक और सैन्य संघर्ष का खतरा पैदा कर रहा है।
कतर पर 'हमास' को लेकर हमला
इजरायल ने 9 सितंबर को कतर की राजधानी दोहा में एक हमला किया था, जिसका मुख्य लक्ष्य वहां मौजूद हमास के वरिष्ठ नेता थे। इस हमले में 6 लोगों की मौत हुई थी, जिसने कतर की संप्रभुता का उल्लंघन किया था। कतर ने इसे शांति वार्ताओं को बाधित करने का प्रयास बताया और कहा कि वे इजरायल के अपराधों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करेंगे। इस हमले के बाद, अरब लीग और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के लगभग 60 सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष और विदेश मंत्री एकजुट हुए। उन्होंने कतर के साथ "पूर्ण समर्थन" का वादा किया और इजरायल के इस कदम की तीखी आलोचना की।
'ईरान' का 'आक्रोश' और 'कड़ा' रुख
ईरान, जो खुद कुछ महीने पहले इजरायली हमले का शिकार हुआ था, ने इस हमले पर गहरा रोष जताया। राष्ट्रपति पेजेशकियान ने कहा कि "कल किसी भी अरब देश या इस्लामिक राजधानी की बारी आ सकती है।" उन्होंने मुस्लिम देशों से अपील की कि वे इजरायल से अपने संबंध तोड़ लें और एकता बनाए रखें। वहीं, इस सम्मेलन की मेजबानी कर रहे कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने कहा कि "जो कोई भी वार्ता में शामिल पक्ष की हत्या करने की कोशिश करता है वह वार्ता को विफल करने का इरादा रखता है।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू "अरब क्षेत्र को इजरायली प्रभाव क्षेत्र में बदलने का सपना देख रहे हैं।"
'मुस्लिम उम्माह' का 'विभाजन'?
इस शिखर सम्मेलन में एक दिलचस्प बात यह थी कि इसमें वे पांच मुस्लिम देश भी शामिल थे, जो इजरायल को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देते हैं। इनमें संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मिस्र, जॉर्डन और मोरक्को शामिल थे। इन देशों की मौजूदगी यह सवाल खड़ा करती है कि क्या 'मुस्लिम उम्माह' (मुस्लिम समुदाय) इजरायल के खिलाफ एकजुट हो पाएगा या फिर उसमें विभाजन बना रहेगा।
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन ने भी इजरायल के खिलाफ तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया और कहा कि "यह आतंकवादी मानसिकता जो खुलेआम संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन करती है... इसलिए जीवित है क्योंकि इसके अपराधों पर कोई कार्रवाई नहीं होती।" वहीं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी इजरायल की आक्रामकता की कड़ी निंदा की और 'मुस्लिम उम्माह' में एकजुटता की अपील की। यह सम्मेलन दिखाता है कि इजरायल के हमलों से मुस्लिम जगत में गुस्सा और निराशा बढ़ रही है। अब यह देखना होगा कि क्या यह गुस्सा सिर्फ बयानों तक सीमित रहेगा या फिर मुस्लिम देश मिलकर इजरायल के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाएंगे।
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