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अमेरिका के लिए जासूसी के आरोप में ईरान ने वैज्ञानिक को दी फांसी
तेहरान: ईरान ने अपने उस परमाणु वैज्ञानिक को फांसी दे दी है, जो देश छोड़कर साल 2009 में अमेरिका चला गया था। साल भर पहले ही यह वैज्ञानिक देश लौटा था। ईरानी अधिकारियों ने बताया कि पहली बार उन्होंने गुपचुप तरीके से उसे हिरासत में रखा। फिर उस पर केस चलाया गया। बाद में उसे फांसी की सजा दी गई।
क्या था मामला ?
-इस वैज्ञानिक का नाम था शहराम अमीरी।
-यह साल 2009 में सऊदी अरब में मुस्लिम धर्मस्थलों के तीर्थाटन के दौरान गायब हो गया था।
-वह एक साल बाद ऑनलाइन वीडियो में दिखा जिसे अमेरिका में फिल्माया गया था।
-वह वाशिंगटन में पाकिस्तान दूतावास में ईरान संबधों को देखने वाले विभाग में पहुंचे और फिर स्वदेश भेजे जाने की मांग की।
-उस वक्त तेहरान लौटने पर उनका नायक की तरह स्वागत हुआ था।
अमेरिका पर जबरन रखने का लगाया था आरोप
-अपने इंटरव्यू में अमीरी ने अपनी इच्छा के खिलाफ सऊदी और अमेरिकी जासूसों द्वारा उन्हें रखे जाने का आरोप लगाया था।
-जबकि अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि ईरान के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम को समझने में उनकी मदद के एवज में उन्हें लाखों डॉलर मिलने वाले थे।
कब दी फांसी ?
-उसे उसी हफ्ते फांसी दी गई जब ईरान ने आतंकियों के एक समूह को फांसी दी थी।
-इससे एक साल पहले तेहरान आर्थिक प्रतिबंध हटाए जाने के एवज में अपने यूरेनियम संवर्धन को सीमित करने संबंधी ऐतिहासिक समझौते पर राजी हुआ था।
दुश्मन को मुहैया कराई सूचना
-ईरानी न्यायपालिका के प्रवक्ता ने पत्रकारों को बताया कि अमीरी को जासूसी के आरोप में दोषी ठहराया गया।
-उसने देश की महत्वपूर्ण सूचना दुश्मन को मुहैया कराई थी।
-प्रवक्ता ने अमेरिका का जिक्र करते हुए कहा, अमीरी की गोपनीय सूचना तक पहुंच थी और वह हमारे दुश्मन नंबर एक के संपर्क में था।
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