TRENDING TAGS :
ओली के इस निर्णय से नेपाल में बदल जाएगी तस्वीर, लेकिन फायदा किसका ?
काठमांडू : नेपाल के भावी प्रधानमंत्री की दौड़ में शामिल नेकपा-एमाले के अध्यक्ष के. पी. शर्मा ओली ने कहा है कि मधेशी समूह के सरोकारों को लेकर वह नेपाल के संविधान में संशोधन करने को तैयार हैं। हिमालयन टाइम्स की रपट के मुताबिक, पूर्व में संविधान संशोधन के मुखर विरोधी रहे ओली ने शुक्रवार को पोखरा शहर में कहा कि वह संविधान में संशोधन करने को तैयार हैं, लेकिन मधेशी ताकतें मुद्दे को टाल रही हैं, क्योंकि उनको डर है कि संविधान में संशोधन करने से उनके चुनावी नारे समाप्त हो जाएंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि वह पहाड़ी और मधेशियों को बांटने के किसी भी प्रयास का समर्थन नहीं करेंगे।
ये भी देखें : बड़े खतरे की ओर उत्तराखंड, नेपालियों को सौंप रहे हैं अपने खेत
मधेश के राजनीतिक दलों की ओर से संवैधानिक संशोधन के माध्यम से आबादी अनुपात के मुताबिक निकायों की संख्या बढ़ाने की मांग होती रही है। नेपाल की तकरीबन आधी आबादी तराई व मधेश इलाके में बसती है। लिहाजा, मधेशी लोग आबादी अनुपात के आधार पर ज्यादा हिस्सेदारी चाहते हैं।
नेकपा-एमाले नेता सुबास चंद्र नेमबांग ने अपनी पार्टी प्रमुख के बयान को इस संदर्भ में पेश करने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, "हमने पूर्व में संविधान संशोधन विधेयक का विरोध किया, क्योंकि इसे उस समय लागू नहीं किया गया और प्रांतीय विधानसभाओं का गठन नहीं हुआ। हालात बदल गए हैं। हम कह रहे हैं कि संविधान में आवश्यकता और औचित्य के अनुसार संशोधन किया जा सकता है।"
उधर, मधेशी दलों का गठबंधन राष्ट्रीय जनता पार्टी-नेपाल के नेता राजेंद्र महतो ने कहा कि अगर कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल- यूनाइटेड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (नेकपा-एमाले) मधेशियों के मसलों को लेकर संविधान में संशोधन करने को प्रतिबद्ध है तो उसे संसद में प्रस्ताव लाना चाहिए और प्रस्ताव को पारित करने की कोशिश करनी चाहिए।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!