मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार : इम्यून सिस्टम पर बड़ी खोज, कैंसर और डायबिटीज के इलाज का रास्ता खुलेगा

Nobel Prize 2025 के लिए चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मैरी ई. ब्रुनको, फ्रेड रामस्डेल और शिमोन सकागुची को दिया गया है जिन्होंने इम्यून सिस्टम को कंट्रोल करने वाले सेल्स के बारे में महत्वपूर्ण खोज की है।

Neel Mani Lal
Published on: 6 Oct 2025 5:29 PM IST (Updated on: 7 Oct 2025 4:54 PM IST)
Nobel Prize 2025 Medicine Immune System Research
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Nobel Prize 2025 Medicine Immune System Research 

Nobel Prize 2025 के लिए चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मैरी ई. ब्रुनको, फ्रेड रामस्डेल और शिमोन सकागुची को दिया गया है जिन्होंने इम्यून सिस्टम को कंट्रोल करने वाले सेल्स के बारे में महत्वपूर्ण खोज की है। मैरी ई. ब्रुनको अमेरिका में सिएटल स्थित इंस्टीट्यूट फॉर सिस्टम्स बायोलॉजी में वैज्ञानिक हैं, फ्रेड रैम्सडेल सैन फ्रांसिस्को स्थित सोनोमा बायोथेरेप्यूटिक्स में वैज्ञानिक हैं जबकि शिमोन सकागुची जापान के ओसाका विश्वविद्यालय में हैं।

क्या खोज की?

इन वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि इम्यून सिस्टम को कैसे कंट्रोल किया जाता है। कैंसर, डायबिटीज, और तमाम अन्य बीमारियाँ इम्यून सिस्टम के खराब या फेल हो जाने से होती हैं जब शरीर की इम्यूनिटी बीमारी पैदा करने वाले विषाणुओं से लड़ नहीं पाती है और अपने ही शरीर के टिश्यू पर हमला करने लगती है। इसे ही पेरीफेरल इम्यूनिटी कहते हैं जिसमें हमारे ‘टी सेल्स’ का योगदान होता है। यह शरीर के डिफेन्स का एक ऐसा तरीका है जो इम्यून सिस्टम को बाहरी आक्रमणकारियों के बजाय अपने ही टिश्यू पर हमला करने से रोकता है। नवीनतम खोज इस बारे में है कि शरीर के ताकतवर इम्यून सिस्टम को कैसे नियंत्रित की जाती है।

हमारा इम्यून सिस्टम हर समय हमारे शरीर पर आक्रमण करने की कोशिश करने वाले हजारों विभिन्न सूक्ष्मजीवों से हमें बचाता है। इन सभी सूक्ष्मजीवों का रूप अलग-अलग होता है, और कई ने सिस्टम को धोखा देने के लिए इंसानी सेल्स के रूप में समानताएँ विकसित कर ली हैं। ऐसे में इम्यून सिस्टम कैसे तय करे कि उसे किस पर हमला करना चाहिए और किससे बचाव करना चाहिए?

मैरी ब्रुनको, फ्रेड रामस्डेल और शिमोन सकागुची ने इम्यून सिस्टम के सिक्यूरिटी गार्ड यानी ‘टी सेल्स’ की पहचान की, जो इम्यून सेल्स को हमारे ही शरीर पर हमला करने से रोकती हैं। नोबेल विजेता वैज्ञानिकों की खोजें इस बात को बताती हैं कि प्रतिरक्षा प्रणाली कैसे काम करती है और हम सभी को गंभीर ऑटो इम्यून रोग क्यों नहीं होते हैं। डिफेन्स की क्या वजह है।

शिमोन सकागुची

शिमोन ने 1995 में पहली महत्वपूर्ण खोज की थी। उस समय कई शोधकर्ता मानते थे कि हमारी छाती में मौजूद ‘थाइमस’ में संभावित नुकसानदेह इम्यून सेल्स को नष्ट करने के प्रोसेस से इम्यून टॉलरेंस बनती है।


शिमोन सकागुची ने अपनी रिसर्च द्वारा दिखाया कि इम्यून सिस्टम कहीं ज्यादा जटिल चीज है। उन्होंने इम्यून सेल्स के एक पहले से अज्ञात वर्ग की खोज की, जो शरीर को ऑटो-इम्यून रोगों से बचाती है।

मैरी ब्रुनको और फ्रेड रामस्डेल

मैरी ब्रुनको और फ्रेड रामस्डेल ने 2001 में एक और महत्वपूर्ण खोज की, जब उन्होंने यह थ्योरी प्रस्तुत की कि चूहों की एक विशिष्ट प्रजाति ऑटो इम्यून बीमारियों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील क्यों थी। उन्होंने पाया कि चूहों के एक जीन में एक म्यूटेशन होता है जिसे उन्होंने Foxp3 नाम दिया। उन्होंने यह भी दर्शाया कि इंसानों में एक ऐसे ही जीन में जब म्यूटेशन होता है तो वह एक गंभीर ऑटो-इम्यून बीमारी ‘आईपेक्स’ (IPEX) का कारण बनता है।


इसके दो साल बाद शिमोन सकागुची ने इन खोजों को आपस में सफलतापूर्वक लिंक किया और उन्होंने सिद्ध किया कि Foxp3 जीन उन कोशिकाओं के डेवलपमेंट को नियंत्रित करता है जिनकी उन्होंने 1995 में पहचान की थी। ये कोशिकाएँ, जिन्हें अब ‘रेगुलेटरी टी सेल्स’ कहा जाता है, अन्य इम्यूनिटी सेल्स की निगरानी करती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली हमारे अपने टिश्यू को सहन कर सके, उन पर हमला न करे।

आगे की उम्मीद

नोबेल पुरस्कार विजेताओं की खोजों से कैंसर और ऑटो इम्यून बीमारियों के इलाजों के डेवलपमेंट को बढ़ावा मिला है जिनमें से कई के क्लिनिकल ट्रायल भी हो रहे हैं। उम्मीद है कि अब ऑर्गन ट्रांसप्लांट और भी ज्यादा सफलतापूर्वक किये जा सकेंगे और कई खराब बीमारियों का इलाज मुमकिन हो सकेगा।

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