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तेज आंधी में गिरा करतारपुर गुरुद्वारे का गुंबद, पाकिस्तान की खुली पोल
पिछले साल पाकिस्तान के करतारपुर में भारतीय सिखों के लिए खुले करतारपुर गुरुद्वारे के निर्माण में खराब क्वॉलिटी का सामान इस्तेमाल करने के आरोप लगने लगे हैं। दरअसल, शनिवार को आई एक आंधी में यहां गुंबद टूटकर गिर गए। बता दें कि पिछले साल गुरु नानक देव के 550वें जन्मोत्सव पर भारत और पाकिस्तान के बीच कॉरिडोर खोला गया था।
करतारपुर पिछले साल पाकिस्तान के करतारपुर में भारतीय सिखों के लिए खुले करतारपुर गुरुद्वारे के निर्माण में खराब क्वॉलिटी का सामान इस्तेमाल करने के आरोप लगने लगे हैं। दरअसल, शनिवार को आई एक आंधी में यहां गुंबद टूटकर गिर गए। बता दें कि पिछले साल गुरु नानक देव के 550वें जन्मोत्सव पर भारत और पाकिस्तान के बीच कॉरिडोर खोला गया था।
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रिपोर्ट्स के मुताबिक शनिवार को पाकिस्तान के करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के चार गुंबद आंधी के बाद गिर गए। सिख समुदाय इस घटना से बेहद नाराज हुआ है।आरोप लगाया जा रहा है कि पाकिस्तान सरकार ने जिस तरह से यहां निर्माण कराया है, वह सही नहीं है। कहा जा रहा है कि गुंबदों का निर्माण सीमेंट नहीं बल्कि फाइबर से किया गया था। करतारपुर में ही गुरु नानक देव ने अपने जीवन के 18 साल बिताए थे। इसलिए सिखों में इसकी बहुत अहमियत है। पिछले साल भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच कॉरिडोर खोला गया जिससे भारतीयों को बिना वीजा के वहां जाने की इजाजत मिल गई।
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करतारपुर गुरुद्वारे का जीर्णोद्धार और रंगरोगन किया गया था। गुरुद्वारा परिसर का भी पुर्ननिर्माण कराया गया था। गुंबदों के निर्माण में सीमेंट, लोहे और कंक्रीट का इस्तेमाल नहीं हुआ है। ये गुंबद फाइबर से बनाए गए थे। लेकिन, अब साफ हो गया है कि फाइबर भी बेहद घटिया क्वॉलिटी का था। ये मामूली आंधी भी नहीं झेल सके।
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पाकिस्तान में सिखों के दो पवित्र तीर्थ स्थल हैं। लाहौर से लगभग 75 किलोमीटर दूर ननकाना साहिब। ये गुरु नानक देवजी महाराज का जन्म स्थल है। दूसरा करतारपुर। यहां गुरु नानकदेव अंतरध्यान हुए थे। यह लाहौर से लगभग 117 किलोमीटर दूर है। करतारपुर साहिब गुरुद्वारे में भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर कॉरीडोर बनाया गया था। पिछले साल नवंबर में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने अपने - अपने देशों में इसका उद्घाटन किया था। भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से करतारपुर 3.80 किलोमीटर दूर है। गुरु नानक देव जी अपनी 4 प्रसिद्ध यात्राओं को पूरा करने के बाद 1522 में परिवार के साथ करतारपुर में रहने लगे थे।
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