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कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा करने वाले इस मुल्क पर लगा फार्मूला चोरी का आरोप
गुरुवार को तीन देशों ने आरोप लगाया कि हैकिंग करने वाला समूह 'एपीटी29' कोरोना वायरस के टीके को विकसित करने में जुटे एकेडेमिक और चिकित्सा अनुसंधान संस्थानों में हैकिंग (डिजिटल सेंधमारी) कर रहा है।
नई दिल्ली : कोरोना वायरस के वैक्सीन बनाने को लेकर दुनिया के कई बड़े मुल्कों में घमसान मचा हुआ है। अभी हाल ही में रूस ने कोरोना की वैक्सीन बना लेने का दावा किया था, अब खबर ये आ रही है कि दुनिया के कई बड़े मुल्कों जिसमें ब्रिटेन, अमेरिका और कनाड़ा भी शामिल हैं।
सभी ने रूस पर वायरस के वैक्सीन बनाने के फार्मूला चोरी करने का आरोप लगाया है। ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा ने आरोप लगाया है कि रूस कोविड-19 का टीका विकसित करने में जुटे अनुसंधानकर्ताओं से इस बारे में सूचना चोरी करने की कोशिश कर रहा है।
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जिसके बाद से गुरुवार को तीन देशों ने आरोप लगाया कि हैकिंग करने वाला समूह 'एपीटी29' कोरोना वायरस के टीके को विकसित करने में जुटे एकेडेमिक और चिकित्सा अनुसंधान संस्थानों में हैकिंग (डिजिटल सेंधमारी) कर रहा है।
ब्रिटेन के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा केंद्र ने इस बाबत घोषणा की, जिसने अमेरिका और कनाडा के विभागों के साथ समन्वय स्थापित किया था।
उनका कहना है कि कोजी बियर नाम से पहचाने जाने वाला यह समूह रूस की खुफिया सेवा का एक पार्ट है। खुफिया अधिकारी लगातार हो रही इस सेंधमारी को बौद्धिक संपदा की चोरी के तौर पर देख रहे हैं।
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भारत में भी दो वैक्सीन पर ट्रायल
भारत में भी दो वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है। ये ट्रायल बंदर और खरगोशों पर सफल रहा है और अब इसका ट्रायल इंसानों पर किया जा रहा है। अगर सब कुछ सही रहा तो इस साल के अंत तक या फिर 2021 के शुरूआत में ही कोरोना वैक्सीन आ जाएगी। लेकिन इससे पहले विश्व की दो अग्रिणी कंपनियां बिल्कुल फाइनल स्टेज में पहुंच गई हैं।
ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वायरस वैक्सीन का पहला ह्यूमन ट्रायल सफल हो गया है। ब्राजील में किए गए ह्यूमन ट्रायल के नतीजे बहुत अच्छे आए हैं। ट्रायल में शामिल वॉलंटियर्स में वैक्सीन से वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 (AZD1222) के पूरी तरह सफल होने को लेकर आश्वस्त हैं।
इसके साथ ही वैज्ञानिकों को भरोसा है कि सितंबर 2020 तक ये वैक्सीन लोगों को उपलब्ध करा दी जाएगी। इस वैक्सीन को AstraZeneca कंपनी बनाएगी। इस परियोजना में भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) भी शामिल है।
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