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संयुक्त राष्ट्र: अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी कानून अपनाएं - भारत
संयुक्त राष्ट्र: भारत ने विश्व संगठन से 'संकीर्ण भूराजनैतिक हितों' को दूर करने और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद (सीसीआईटी) पर व्यापक परिपाटी अपनाने का आग्रह किया है। भारतीय सांसद पी.डी. राय ने सोमवार को कानूनी मामलों से निपटने वाली महासभा समिति को बताया कि आतंकवाद एक 'खतरनाक चिंता' है जो हम सभी को प्रभावित करता है और इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय कानून विकसित करने के लिए प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "हालांकि, संकीर्ण भूराजनैतिक हितों को देखते हुए इस मुद्दे पर कानून बनाने में बाधा आ रही है।"
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सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेता और राज्य (सिक्किम) के इकलौते सांसद राय ने कहा, "विडंबना यह है कि अक्सर विभिन्न संदर्भों के लिए डिजाइन किए गए कानूनी अवधारणाओं के पीछे देश छिप जाते हैं। इसमें सीसीआईटी के मसौदे के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र में इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रगति को रोकना भी शामिल है।"
महासभा की अध्यक्ष मारिया फर्नांडा एस्पिनोसा ने सीसीआईटी को अंतिम रूप देने के लिए समिति के समक्ष पुरजोर ढंग से आग्रह किया।
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भारत ने 1966 में सीसीआईटी का प्रस्ताव दिया, लेकिन इस पर वार्ता अब तक असफल रही है, क्योंकि देश आतंकवाद और आतंकवादियों की परिभाषा पर सहमत नहीं हो पाए हैं, जो कानून तैयार करने के लिए आवश्यक होगा।कुछ देशों ने दावा किया है कि आतंकवादियों की कुछ श्रेणियां 'स्वतंत्रता सेनानियों की हैं और कुछ आतंकवादी संगठन 'लिबरेशन मूवमेंट' हैं और इसलिए, उन्हें अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी कानून के दायरे में नहीं रखा जाना चहिए।
एस्पिनोसा ने समिति से कहा, "मैं अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को खत्म करने और वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति को आगे बढ़ाने के तरीकों को लागू करने की जरूरत पर बल देती हूं।"
राय ने सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए भी कहा, ताकि वैश्विक शासन संरचना की समकालीन वास्तविकताएं प्रतिबिंबित हो सकें।
--आईएएनएस
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