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क्या हम विश्व युद्ध-तीन की ओर बढ़ रहे हैं?

World War III : दुनिया में हर तरफ तनाव की स्थिति है जहाँ ईरान और इज़राइल के बीच तनाव है वहीँ रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है साथ ही मध्य पूर्व में उथल-पुथल तीसरे विश्व युद्ध के लगातार संकेत दे रहा है।

Shashi Dubey
Published on: 29 May 2025 11:52 AM IST
World War III
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World War III (Image Credit-Social Media)

World War III : ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव, रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध, और मध्य पूर्व में उथल-पुथल ने तीसरे विश्व युद्ध की आशंका को बल दिया है। हाल ही में जेपी मॉर्गन चेस के सीईओ जेमी डिमोन ने यूक्रेन और मध्य पूर्व के युद्धों को लेकर चिंता जताई और रूस, चीन, उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों के बीच बढ़ते सहयोग को चेतावनी की घंटी बताया। उन्होंने कहा – “जोखिम असाधारण है।” वाशिंगटन डीसी में इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल फाइनेंस की वार्षिक बैठक में अपने भाषण के अंत में डिमोन ने यह तक कह दिया कि विश्व युद्ध-तीन पहले ही शुरू हो चुका है।

अब युद्धों की अपनी अलग प्रकृति होती है। यह कोई सामान्य सैन्य संघर्ष नहीं, बल्कि एक ऐसी प्रक्रिया बन चुकी है, जो दुश्मन को खत्म करने के लिए मिसाइलें दागती है और फिर लौट जाती है। यही बात रूस ने यूक्रेन पर फरवरी 2022 में आक्रमण करके दिखा दी। जब इज़राइल ने हमास के ‘डेयरडेविल’ अक्टूबर 7 मिसाइल हमले का जवाब दिया, तब भी यही रणनीति दिखी। दोनों ही मामलों में नागरिकों को बंधक बनाया गया और युद्ध की विभीषिका आम जनता पर टूटी। रूस और इज़राइल दोनों अब ऐसे युद्धों में फंस चुके हैं जो खत्म होने का नाम नहीं ले रहे।

संयुक्त राष्ट्र की असहायता भी इन स्थितियों को और गंभीर बना देती है। यूएन द्वारा संघर्ष विराम के प्रस्ताव बार-बार ठुकराए जाते हैं, इज़राइल अपनी बढ़ती कट्टरता के साथ खड़ा है। इतिहास के विद्यार्थी मौजूदा यूएन की तुलना लीग ऑफ नेशंस से कर सकते हैं, जो दो विश्व युद्धों के बीच शांति बनाए रखने में विफल रहा था।


आज जो दो युद्ध यूरोप और मध्य पूर्व में चल रहे हैं, वे किसी के भी नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं — जब तक कि इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यह नहीं मान लें कि उन्होंने अपने युद्ध के उद्देश्य हासिल कर लिए हैं।

बदलती रूपरेखा और नई चुनौतियाँ

पहले के दो विश्व युद्धों के विपरीत, तीसरा विश्व युद्ध पारंपरिक सेनाओं और टैंकों की लड़ाई नहीं होगी। आज का युद्ध कई मोर्चों पर लड़ा जा रहा है — प्रॉक्सी युद्ध, आर्थिक दबाव, साइबर अटैक, आतंकवाद और मिसाइल हमले इसके प्रमुख औजार बन गए हैं।

इज़राइल-हमास संघर्ष इस बदले हुए युद्ध का सबसे लंबा चलने वाला उदाहरण है। यह अब केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक शक्तियों का द्वंद्व बन चुका है। सीरिया का गृहयुद्ध इसी का उदाहरण है, जो एक स्थानीय समस्या से बदलकर प्रॉक्सी युद्ध में तब्दील हो गया, जिसमें अमेरिका, रूस और अन्य देश शामिल हो गए।

तुर्की, ईरान और अन्य देश अपने-अपने प्रभाव क्षेत्रों को सुरक्षित करने में लगे हैं। इसने लाखों लोगों को विस्थापित किया है और वैश्विक व्यवस्था को ढहाने के कगार पर पहुंचा दिया है। आज यह तय करना मुश्किल हो गया है कि कौन असली दुश्मन है और कौन सहयोगी।

यह अस्पष्टता “आतंक के खिलाफ युद्ध” में भी दिखती है। ऑपरेशन इनहेरेंट रिजॉल्व के तहत अमेरिका ने 80 देशों के साथ मिलकर ISIS के खिलाफ सीरिया और इराक में कार्रवाई की, लेकिन इसके असली उद्देश्य आज तक स्पष्ट नहीं हैं। अफगानिस्तान और लीबिया जैसे देशों में भी यही स्थिति है।


नए मोर्चे और खिलाड़ी

यमन एक और गंभीर उदाहरण है। अमेरिका और यूके के नेतृत्व में गठबंधन द्वारा की गई कार्रवाई में निशाने को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। यह पारदर्शिता की कमी आधुनिक युद्धों की खासियत बन गई है।

मध्य पूर्व ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र नहीं है जो इस नए युद्ध के साये में है। यूक्रेन-रूस युद्ध में रूस की ओर से मिसाइल और ड्रोन हमलों ने यह स्पष्ट कर दिया है। नाटो का विस्तार भी रूस की सीमा पर तनाव को और गहरा करता है। इससे प्रत्यक्ष युद्ध की संभावना और बढ़ गई है।

तटस्थता का महत्व समाप्त

परंपरागत अर्थों में तटस्थता अब प्रासंगिक नहीं रही। तटस्थ माने जाने वाले देश जैसे स्विट्ज़रलैंड और ऑस्ट्रिया अब यूक्रेन को हथियार दे रहे हैं। स्वीडन और फिनलैंड जैसे देश भी अब नाटो का हिस्सा बन चुके हैं।

यह बदलाव स्पष्ट करता है कि युद्धों की आपसी जटिलताएं इतनी बढ़ गई हैं कि तटस्थ बने रहना भी अब एक राजनीतिक निर्णय बन चुका है। भारत और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के बीच परमाणु हथियारों की दौड़, मिसाइल परीक्षण और बढ़ती असुरक्षा भी तीसरे विश्व युद्ध की संभावनाओं को बढ़ाती हैं।


निष्कर्ष

अब जब परमाणु हथियारों का प्रयोग केवल रणनीति तक सीमित नहीं रह गया, और जब छोटे से गलत अनुमान के कारण विश्व एक त्रासदी में धकेला जा सकता है, तो यह जरूरी हो गया है कि वैश्विक नेतृत्व इस संकट को समझे। अफ्रीका भी हथियारों, आतंकवादियों और भाड़े के सैनिकों के संघर्ष से अछूता नहीं रहा है।

ईरान, इज़राइल, रूस, चीन, अमेरिका, यूके, फ्रांस जैसे देश जब एक-दूसरे के खिलाफ या प्रॉक्सी के ज़रिए लिप्त हैं, तो “तीसरे विश्व युद्ध” की आहट अब सिर्फ एक चेतावनी नहीं रही — यह एक कड़वी वास्तविकता बनती जा रही है।

(लेखक जीवन एवं आध्यात्मिक गुरु, और दिल्ली स्थित इंडियन स्कूल ऑफ नेचुरल एंड स्पिरिचुअल साइंसेज़ के संस्थापक हैं।)

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