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Kajari Teej 2025 Me kab hai :2025 में कजरी तीज कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Kajari Teej 2025 mein kab hai :2025 में कजरी तीज कब है, इसका क्या महत्व है,,जानते इससे जुड़ी मान्यताएं और क्यों मनाई जाती है।
Kajari Teej 2025 भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज मनाई जाती है। इसे बूढ़ी तीज या सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है, इसे विवाहित महिलाओं के लिए सौभाग्यदायिनी माना जाता है। कजरी , हरियाली तीज के लगभग 15 दिन बाद आता है । जानते हैं 2025 में कजरी तीज कब है, इसका क्या महत्व है,
कजरी तीज 2025 कब है?
इस दिन व्रत रखकर महिलाएं भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-शांति की कामना करती हैं। इस साल 2025 में, कजरी तीज 12 अगस्त, 2025 मंगलवार को है।
तृतीया तिथि का आरंभ: 11 अगस्त 2025, 10:33 AM बजे
तृतीया तिथि का समापन: 12 अगस्त 2025, 08:40 AM बजे
उदया तिथि के अनुसार, कजरी तीज का व्रत 12 अगस्त को ही रखा जाएगा।
अभिजीत मुहूर्त - 12:06 PM – 12:57 PM
अमृत काल - 05:59 AM – 07:29 AM
ब्रह्म मुहूर्त - 04:30 AM – 05:18 AM
सर्वार्थसिद्धि योग - Aug 12 11:52 AM - Aug 13 06:06 AM
कजरी तीज का महत्व
कजरी तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य और सौभाग्य की कामना के लिए रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। इसके पीछे कई मान्यताएं है...
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। कजरी तीज का दिन उसी तपस्या और उनके शिव से मिलन का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, विवाहित महिलाएं पार्वती जी से प्रेरणा लेकर अपने पति के कल्याण के लिए व्रत रखती हैं। माना जाता है कि जो महिलाएं सच्चे मन से इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करती हैं, उन्हें सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह व्रत वैवाहिक जीवन में प्रेम, सौहार्द और खुशहाली लाता है। यह व्रत पति-पत्नी के बीच के प्रेम और समर्पण के अटूट बंधन को मजबूत करता है। यह एक-दूसरे के प्रति सम्मान और विश्वास को गहरा करता है।
कजरी तीज व्रत के नियम
कजरी तीज के दिन महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं। इस व्रत को बहुत कठिन माना जाता है, क्योंकि इसमें महिलाएं पूरे दिन बिना कुछ खाए-पिए रहती हैं। इस व्रत का संकल्प लेकर महिलाएं पूरी निष्ठा के साथ इसे निभाती हैं। शाम के समय पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है।
नोट : ये जानकारियां धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित हैं। Newstrack.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।इसे सामान्य रुचि को ध्यान में रखकर लिखा गया है
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