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122 वर्ष बाद ग्रहण के साए में होगी पितृपक्ष की शुरुआत और अंत, जानें भारत पर इसका क्या होगा असर
Pitru Paksha 2025: इस बार पितृपक्ष की शुरूआत और अंत दोनों ही ग्रहण के साए में होगी।
Pitru Paksha 2025
Pitru Paksha 2025: हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान दान-पुण्य और श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के 15 दिनों में पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों के घर वास करते हैं। वह अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष के दौरान पितरों की शांति के लिए श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है। इस साल पितृपक्ष की शुरूआत सात सितंबर (रविवार) को होगी और 21 सितंबर को खत्म होगा।
इस बार का पितृपक्ष बेहद खास है क्योंकि इस बार पितृपक्ष की शुरूआत और अंत दोनों ही ग्रहण के साए में होगी। सात सितंबर को पितृपक्ष की शुरूआत चंद्रग्रहण से होगी। वहीं 21 सितंबर पितृपक्ष के अंतिम दिन सूर्यग्रहण लगेगा। 122 साल बाद पितृपक्ष की पहले और अंतिम दिन ग्रहण लग रहा है। सनातन धर्म मर्मज्ञों का मानना है कि पितृपक्ष पर ग्रहण को कोई असर नहीं होगा। लेकिन भारत के लिए यह बेहद शुभ होगा। हालांकि इस दौरान विश्व में अशांति बढ़ेगी। लेकिन भारत में राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से मजबूती मिलने की संभावना है। भारत पर इसका सार्थक प्रभाव पड़ेगा।
1903 में दो ग्रहण का बना था संयोग
ज्योतिर्विदों के मुताबिक इससे पहले साल 1903 में पितृपक्ष पर दो ग्रहण का संयोग बना था। हालांकि उस समय चंद्र ग्रहण भारत भारत में दृश्यमान नहीं था। सूर्यग्रहण का असर देखने को मिला था। लेकिन इस बार भारत में पितृपक्ष से पहले लगने वाला चंद्रग्रहण तीन घंटों तक नजर आएगा। लेकिन विसर्जन के दिन लगने वाला सूर्यग्रहण भारत में दिखायी नहीं देगा।
विश्व में अशांति तय, भारत की स्थिति होगी मजबूत
बीएचयू में ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. गिरिजाशंकर शास्त्री के मुताबिक पितृपक्ष की शुरूआत और विसर्जन पर ग्रहण लगने के चलते विश्व में उथल-पुथल देखने को मिलेगी। हालांकि इसका प्रभाव भारत पर नहीं होगा। क्योंकि विसर्जन के दिन लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं है। वहीं पितरों का लोक चंद्रमा के ऊपरी भाग में माना जाता है। ऐसे में इसका भी असर भारत पर नहीं होगा। बल्कि इससे भारत की स्थिति राजनीति, वैज्ञानिक और आर्थिक रूप से मजबूत ही होगी। हालांकि इस दौरान आतंरिक राजनीति में मतभेद देखने को मिलेगा। सत्ता पक्ष और विपक्ष में सामंजस्य नहीं होगा।
चंद्रग्रहण शतभिज्ञा नक्षत्र व कुंभ राशि पर होगा
सात सितंबर (रविवार) को चंद्र ग्रहण की शुरूआत रात्रि 8.58 बजे से होगा और मोक्ष 2.25 बजे होगा। भारत में चंद्रग्रहण दृश्य होगा। शतभिषा नक्षत्र तथा कुंभ राशि पर यह ग्रहण होगा। शास्त्रों में कहा गया है कि चंद्रग्रहण लगने से नौ घंटे पहले और सूर्यग्रहण लगने के 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है। सूतक काल के दौरान बच्चों, बुजुर्ग और बीमार को छोड़ अन्य के लिए खानपान भी वर्जित माना गया है।
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