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July Panchak 2025 Me Kab Hai जुलाई में पंचक कब से कब तक है, जाने आने वाला कौन सा 5 दिन है कष्टदायी, जानिए

July Panchak 2025 Me Kab Hai: जुलाई 2025 में पंचक कब से लगेगा? 13 जुलाई रविवार से लगने वाले पंचक के दिन घनिष्ठा नक्षत्र है। रविवार को शुरू होने वाला पंचक अनिष्टकारक हैं, इसमें आप कुछ शुभ काम नहीं कर सकते हैं।इसे रोग पंचक कहते हैं।

Suman  Mishra
Published on: 9 July 2025 8:29 AM IST (Updated on: 9 July 2025 11:22 AM IST)
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July 2025 me Panchak Kab Hai ( जुलाई में पंचक कब है 2025)

साल 2025 के जुलाई में पंचक की शुरुआत 13 जुलाई, रविवार को सुबह 6:53 बजे से 18 जुलाई, को दोपहर 15:39 बजे तक है । इस बार रोग पंचक लगेगा।है। इस बार पंचक की शुरुआत रविवार को हो रही है। शास्त्रोनुसार रविवार को शुरू होने वाला पंचक को रोग पंचक कहते हैं इसमें शुभ काम नहीं कर सकते हैं। इस दौरान संभलकर रहना चाहिए। इस पंचक में यात्रा करने की मनाही है। इस पंचक ( Panchak) में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के सौदे करने चाहिए। पंचक मना किए गए कार्य करने से धन हानि हो सकती है।

यह पंचक परेशानी देने वाला होता है। इन पांच दिनों में किसी भी तरह के जोखिम भरे काम नहीं करना चाहिए। इसके प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना आदि होने का खतरा रहता है।

रोग पंचक के कारण आने वाले 5 दिन विशेष रुप से सर्व कष्ट और मानसिक परेशानियों को देने वाले होते हैं। इस पंचक में शुभ कार्यों को सर्वथा त्यागना चाहिए क्योंकि यह हर तरह के शुभ कार्यों में अशुभ माने जाते हैं। ज्योतिष में पंचक अशुभ नक्षत्रों का योग है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समय-समय पर ग्रहों और नक्षत्रों की चाल की गणना के आधार पर किसी मांगलिक कार्य को करने के लिए समय निर्धारित किया जाता है। इसी को शुभ और अशुभ मुहूर्त ( Good-Bad Time)काहा जाता है। साल 2025 में जुलाई में कब से कब तक है पंचक का समय। जानते हैं..

जुलाई में पंचक की शुरूआत कब से

जुलाई में पंचक का आरंभ

13 जुलाई 2025, रविवार को 6:53 बजे से

जुलाई पंचक का समापन

18 जुलाई 2025, शुक्रवार को 15:39 बजे-इस बार पंचक में इस दौरान सावन सोमवार का पहला व्रत, मंगला गौरी व्रत और कर्क संक्रान्ति, कालाष्टमी का पर्व भी मनाया जाएगा।

पंचक का समापन

गरूड़ पुराण में कहा गया है कि यदि पंचक में किसी की मृत्यु होती है तो उसके कुल खानदान में किसी मौत होती है। श्रीराम द्वारा रावण के वध के बाद से पंचक की प्रक्रिया शुरू हुई, ऐसी मान्यता है।

पंचक के नक्षत्रों का अलग-अलग अशुभ प्रभाव

इस बार मृत्यु पंचक धनिष्ठा नक्षत्र में लग रहा है जो शुभ रहता है। मंगल से जुड़ी चीजों का प्रयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए। अग्नि से बचना चाहिए। क्रोध से दूर रहना चाहिए और वाणी को मधुर बनाना चाहिए। इस बार शनिवार को पंचक धनिष्ठा नक्षत्र में लगता है। शतभिषा नक्षत्र में वाद-विवाद होने के योग बनते हैं। पूर्वाभाद्रपद रोग कारक नक्षत्र है यानी इस नक्षत्र में बीमारी होने की संभावना सबसे अधिक होती है। उत्तरा भाद्रपद में धन हानि के योग बनते हैं। रेवती नक्षत्र में नुकसान व मानसिक तनाव होने की संभावना होती है। लेकिन शनिवार को लगने वाला पंचक काल बनकर आता है।

पंचक के दौरान ना करें ये काम

पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से पहले किसी योग्य पंडित की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। यदि ऐसा न हो पाए तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश (एक प्रकार की घास) से बनाकर अर्थी पर रखना चाहिए और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करना चाहिए, तो पंचक दोष समाप्त हो जाता है। ऐसा गरुड़ पुराण में लिखा है।पंचक में चारपाई बनवाना भी अच्छा नहीं माना जाता। विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि जलने वाली वस्तुएं इकट्ठी नहीं करना चाहिए, इससे आग लगने का भय रहता है।
पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है। इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है।
इस दौरान गृह कार्य का आरंभ नहीं किया जाता है।पंचक में गृह निर्माण नहीं किया जाता है।गृह प्रवेश पंचक में नहीं होता है।मकान का छत ढलाई पंचक में वर्जित होता है।इस दौरान बहु बेटियों को मायके ससुराल नहीं भेजा जाता है।


आने वाले माह 2025 में कब- कब है पंंचक...

अगस्त में पंचक का आरंभ

10 अगस्त 2025, रविवार को 02:11 AM बजे

अगस्त में पंचक का समापन

14 अगस्त 14, 2025, बृहस्पतिवार को 09:06AM बजे

सिंतबर में पंचक का आरंभ

6 सिंतबर 2025, शनिवार को 11:21AM बजे

सिंतबर पंचक का समापन

10 सिंतबर2025, बुधवार को 04:03 PM बजे

अक्टूबर में पंचक का आरंभ

3 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को 09:27 PM बजे

अक्टूबर पंचक का समापन

8 अक्टूबर 2025, बुधवार को 01:28 AMबजे

नंवबर में पंचक का आरंभ

31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को 06:48AM बजे

नंवबर पंचक का समापन

4 नंवबर 2025, मंगलवार को 12:34 PM बजे

नंवबर पंचक आरम्भ

27नवम्बर, 2025, बृहस्पतिवार को 02:07 PM बजे

नंवबर पंचक समापन

1 दिसम्बर 2025 सोमवार को 11:18 PMबजे

दिसम्बर में पंचक का आरंभ

24 दिसम्बर 2025, बुधवार को 07:46 PM बजे

दिसम्बर पंचक का समापन

29 दिसम्बर 2025, सोमवार को 07:41AM बजे

पंचक क्या होता है?

ज्योतिष में पंचक को शुभ नक्षत्र नहीं माना जाता है। इसे अशुभ नक्षत्रों का योग मानते हैं। नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहते हैं। जब चन्द्रमा, कुंभ और मीन राशि पर रहता है, तब उस समय को पंचक कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र में पंचक को अशुभ माना गया है। पंचक कितने प्रकार का होता है और इसमें कौन-कौन से काम नहीं करने चाहिए। पंचक के दौरान कुछ विशेष काम करने की मनाही है। इसके अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समय-समय पर ग्रहों और नक्षत्रों की चाल की गणना के आधार पर किसी मांगलिक कार्य को करने के लिए समय निर्धारित किया जाता है। इसी को शुभ और अशुभ मुहूर्त कहा जाता है। शुभ मुहूर्त में कार्य करने पर उस काम में सफलता की प्राप्ति होती है, जबकि अशुभ मुहूर्त में किया गया कार्य में कई तरह की बाधाएं उत्पन्न होती है। जब कभी अशुभ नक्षत्र का योग बनता है तब इस योग को पंचक कहा जाता है। ज्योतिष में पंचक को अशुभ माना गया है।

पंचक कब लगता है ?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पांच नक्षत्रों के संयोग को पंचक कहा जाता है। इन पांच नक्षत्रों में घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती हैं। पंचक का स्वामी ग्रह कुंभ और राशि मीन होती है। प्रत्येक माह आने वाले पंचक में इन पांच नक्षत्रों की भी गणना की जाती है।घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद तथा रेवती ये नक्षत्र पर जब चन्द्रमा गोचर करते हैं तो उस काल को पंचक काल कहा जाता है। पंचक निर्माण तभी होता है जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि पर गोचर करते हैं।

पंचक के प्रकार रोग

पंचक रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। इसके प्रभाव से ये पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं। इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ काम नहीं करने चाहिए। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है।

राज पंचक सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है। ये पंचक शुभ माना जाता है। इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कामों में सफलता मिलती है। राज पंचक में संपत्ति से जुड़े काम करना भी शुभ रहता है।

अग्नि पंचक मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इन पांच दिनों में कोर्ट कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम किए जा सकते हैं। इस पंचक में अग्नि का भय होता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। इनसे नुकसान हो सकता है।

मृत्यु पंचक शनिवार को शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है। नाम से ही पता चलता है कि अशुभ दिन से शुरू होने वाला ये पंचक मृत्यु के बराबर परेशानी देने वाला होता है। इन पांच दिनों में किसी भी तरह के जोखिम भरे काम नहीं करना चाहिए। इसके प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना आदि होने का खतरा रहता है।

चोर पंचक शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। विद्वानों के अनुसार, इस पंचक में यात्रा करने की मनाही है। इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के सौदे भी नहीं करने चाहिए। मना किए गए कार्य करने से धन हानि हो सकती है।

बुधवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक में ऊपर दी गई बातों का पालन करना जरूरी नहीं माना गया है। इन दो दिनों में शुरू होने वाले दिनों में पंचक के पांच कामों के अलावा किसी भी तरह के शुभ काम किए जा सकते हैं।

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Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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