BJP कैसे बचाएगी कुर्सी? नीतीश के लिए बड़ी टेंशन बनेगा बिहार चुनाव, इस वजह से लग सकता है बड़ा झटका

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कुर्सी बचाने की चुनौती, BJP और JDU के सामने बढ़ी टेंशन, NDA और महागठबंधन के बीच सीट बंटवारे और राजनीतिक समीकरणों की पूरी जानकारी।

Harsh Srivastava
Published on: 6 Oct 2025 9:30 PM IST
BJP कैसे बचाएगी कुर्सी? नीतीश के लिए बड़ी टेंशन बनेगा बिहार चुनाव, इस वजह से लग सकता है बड़ा झटका
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Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सियासी समर का शंखनाद हो चुका है। चुनाव आयोग ने आखिरकार बिहार में अब तक के सबसे छोटे चुनावी कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। पिछली बार के तीन, पांच और छह चरणों की तुलना में इस बार सिर्फ दो चरणों (6 और 11 नवंबर) में मतदान होगा, जबकि नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।

यह चुनाव सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू (JDU) के लिए एक राजनीतिक अग्निपरीक्षा साबित होगा। नीतीश कुमार ने पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से वफादारियां बदलीं हैं, उसके बावजूद जेडीयू ने बिहार की राजनीति में अपनी प्रमुख भूमिका बनाए रखी है, लेकिन पार्टी की सीटें और वोट हिस्सेदारी लगातार घटती रही है। विशेष रूप से अंतिम दो विधानसभा चुनावों में, जेडीयू ने अपने सहयोगी बीजेपी और चिर-प्रतिद्वंद्वी आरजेडी दोनों के हाथों अपनी जमीन खो दी है।

2010 का 'स्वर्ण युग': जब जेडीयू बनी 'बिग ब्रदर'

1990 से 2005 तक लालू यादव और राबड़ी देवी के 15 साल के आरजेडी शासन के बाद, नीतीश कुमार ने 2005 में सत्ता संभाली। सफल कार्यकाल के बाद 2010 विधानसभा चुनाव में जेडीयू को अब तक का सबसे मजबूत जनादेश मिला:

जेडीयू: 115 सीटें (22.58% वोट शेयर)। पार्टी 'बड़े भाई' की भूमिका में थी और 141 सीटों पर लड़ी थी।

बीजेपी: 91 सीटें (16.49% वोट शेयर)। पार्टी 'छोटे भाई' के रूप में 102 सीटों पर फाइट की थी।

वहीं, विपक्षी खेमे में आरजेडी-एलजेपी गठबंधन को सिर्फ 25 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को केवल चार सीटें नसीब हुईं, जो कि उसका सबसे निराशाजनक प्रदर्शन था।

2015 का 'महागठबंधन': जब आरजेडी बनी सबसे बड़ी पार्टी

2015 में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गए। एनडीए से अलग होकर जेडीयू ने अपने पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाया। इस गठबंधन को जबरदस्त सफलता मिली:

महागठबंधन: कुल 178 सीटें (41.84% वोट शेयर)।

आरजेडी: 80 सीटें (18.35% वोट), सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।

जेडीयू: 71 सीटें (16.83% वोट), दूसरे स्थान पर खिसक गई।

एनडीए: कुल 58 सीटें। बीजेपी को 157 सीटों पर लड़ने के बावजूद सिर्फ 53 सीटें मिलीं, हालांकि उसका वोट शेयर (24.42%) आरजेडी से लगभग 6% अधिक था।

इस चुनाव में नीतीश ने सहयोगी बदलकर सत्ता तो हासिल की, लेकिन उनकी पार्टी सीटों के मामले में दूसरे पायदान पर आ गई।

2020 का 'ट्विस्ट': घटती सीटें, फिर भी सीएम की कुर्सी

2020 में जेडीयू वापस एनडीए में लौटी। यह चुनाव जेडीयू के लिए एक टर्नओवर पॉइंट साबित हुआ, जहां उसकी सीटें रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गईं।

एनडीए: कुल 125 सीटें, बहुमत मुश्किल से पार हुआ।

बीजेपी: 74 सीटें (19.46% वोट), दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी।

जेडीयू: 43 सीटें (15.39% वोट), तीसरे स्थान पर पहुंच गई।

महागठबंधन: 110 सीटें, आरजेडी 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी।

सीटों के लिहाज से तीसरी पार्टी होने के बावजूद, बीजेपी ने वचनबद्धता के चलते नीतीश कुमार को ही फिर से मुख्यमंत्री बनाया।

वर्तमान स्थिति: जेडीयू की कमजोर बुनियाद

जनवरी 2024 में नीतीश कुमार चौथी बार गठबंधन बदलकर फिर से एनडीए में लौट आए। लोकसभा चुनाव में यह कदम फायदेमंद साबित हुआ, जहां एनडीए ने 30 सीटें जीतीं।

वर्तमान 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में स्थिति कुछ इस प्रकार है:

एनडीए (सत्ता पक्ष): जेडीयू के 45 और बीजेपी के 78 विधायक हैं, जो एक निर्दलीय के समर्थन से बहुमत (122) से ऊपर है।

महागठबंधन (विपक्ष): 114 विधायक हैं।

नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती 45 सीटों की इस कमजोर बुनियाद पर 2025 में पार्टी का जनाधार फिर से मजबूत करना है। मतदाता सूचियों के विवादित पुनरीक्षण (SIR) के बाद घोषित हुए इन चुनावों में, नीतीश को न सिर्फ अपने गठबंधन को एकजुट रखना होगा, बल्कि यह भी साबित करना होगा कि वह अब भी बिहार की राजनीति का अपरिहार्य चेहरा क्यों हैं। यह चुनाव तय करेगा कि 2010 से शुरू हुआ उनका राजनीतिक सफर किस दिशा में आगे बढ़ता है।

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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