बेबी प्लानिंग कर रहे हैं? पहले जानें डिलीवरी से पहले साल का पूरा खर्च और वित्तीय योजना कैसे करें!

बेबी प्लानिंग के लिए जानें कैसे सही वित्तीय योजना और छोटे निवेश से बच्चे के पहले साल के सभी खर्च आसानी से मैनेज किए जा सकते हैं।

Sonal Girhepunje
Published on: 22 Oct 2025 6:34 PM IST
बेबी प्लानिंग कर रहे हैं? पहले जानें डिलीवरी से पहले साल का पूरा खर्च और वित्तीय योजना कैसे करें!
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Baby First Year Expenses: बच्चा होना हर परिवार के लिए एक अनमोल आशीर्वाद है। यह खुशी और प्यार का पल है, लेकिन आज के समय में यह एक बड़ी वित्तीय जिम्मेदारी भी बन गया है। भारत में बच्चे का जन्म और पहले साल की परवरिश का खर्च आसानी से लाखों रुपये तक पहुँच सकता है। डिलीवरी, मेडिकल चेकअप, दवाइयां, बेबी एसेंशियल्स और टीकाकरण, ये सभी खर्च तेजी से बढ़ते हैं। अक्सर परिवार इसे संभालना मुश्किल पाते हैं। इसलिए बच्चे के जन्म और पहले साल की लागत 2025 को ध्यान में रखते हुए सही फाइनेंशियल प्लानिंग करना हर परिवार के लिए अनिवार्य है।

बच्चे के पहले साल का खर्च - शहर और विकल्प के हिसाब से

बच्चे का पहला साल हर परिवार के लिए सबसे खर्चीला और चुनौतीपूर्ण होता है। भारत में यह खर्च शहर, अस्पताल और आपके विकल्पों पर निर्भर करता है। डिलीवरी, मेडिकल जांच, दवाइयां, बेबी सामान और टीकाकरण, ये सभी खर्च तेजी से बढ़ते हैं।

डिलीवरी का खर्च: टियर 1 शहरों (मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई) में डिलीवरी ₹80,000 - ₹2 लाख तक हो सकती है। C-Section ₹1.5 लाख - ₹2.5 लाख और Normal डिलीवरी ₹80,000 - ₹1.2 लाख में आती है। टियर 2 शहरों में खर्च कम होता है, Normal ₹40,000 - ₹60,000 और C-Section ₹70,000 - ₹1 लाख। NICU में बच्चा होने पर प्रति दिन ₹5,000 - ₹15,000 अतिरिक्त खर्च हो सकता है।

गर्भावस्था के दौरान जरूरी जांच: टियर 1 शहरों में प्रसवपूर्व जांच ₹15,000 - ₹30,000 और टियर 2 शहरों में ₹10,000 - ₹20,000 आती है। इसमें सोनोग्राफी, रक्त परीक्षण, थायराइड और अन्य स्क्रीनिंग शामिल हैं।

दवाइयां और सप्लीमेंट्स: गर्भावस्था और प्रसव के बाद मां को कई दवाइयों और सप्लीमेंट्स की जरूरत होती है। टियर 1 शहरों में यह ₹10,000 - ₹20,000 और टियर 2 शहरों में ₹7,000 - ₹15,000 में आता है। फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, विटामिन डी और प्रसव के बाद की दवाइयां शामिल हैं।

बेबी का पहला सामान - डायपर्स, कपड़े और आरामदायक पालना: बच्चे के पहले छह महीनों में डायपर्स, कपड़े, पालना, स्ट्रॉलर, फीडिंग बोतल और बेबी केयर प्रोडक्ट्स की जरूरत होती है। टियर 1 शहरों में ₹40,000 - ₹80,000 और टियर 2 शहरों में ₹25,000 - ₹50,000 तक खर्च आता है। प्रीमियम ब्रांड्स लेने पर यह ₹1 लाख+ तक भी जा सकता है।

टीकाकरण: पहले साल में जरूरी टीके BCG, Hepatitis B, DTP, Polio, Rotavirus, Pneumococcal, Hib और MMR हैं। टियर 1 शहरों में खर्च ₹25,000 - ₹35,000 और टियर 2 शहरों में ₹15,000 - ₹25,000 तक होता है। सरकारी अस्पतालों में कई टीके मुफ्त या कम कीमत पर उपलब्ध हैं।

वित्तीय योजना के दो आसान कदम

बच्चों के लिए SIP - छोटी बचत, बड़ा लाभ

हर महीने सिर्फ ₹2,000 की SIP से 5 साल में ₹3 लाख+ तक पैसा बढ़ सकता है। SIP से हर महीने ऑटो-बचत होती है, कंपाउंडिंग से लंबी अवधि में पैसा तेजी से बढ़ता है, और ₹500 से भी निवेश शुरू किया जा सकता है। ELSS में निवेश पर टैक्स बचत भी मिलती है। अगर आप हर महीने ₹2,000 बचत करके 5 साल तक निवेश करते हैं और सालाना 12% की बढ़त मानते हैं, तो यह राशि लगभग ₹1.62 लाख बन जाएगी। बच्चों के लिए HDFC Children’s Gift Fund या SBI Magnum Children’s Benefit Fund जैसे प्लान अच्छे विकल्प हैं, जो उनके भविष्य के लिए सुरक्षित फंड तैयार करते हैं।

मैटर्निटी इंश्योरेंस - क्यों जरूरी

मैटर्निटी इंश्योरेंस हर परिवार के लिए जरूरी है क्योंकि यह डिलीवरी और नवजात शिशु से जुड़े सभी खर्चों को कवर करता है। इसके बिना, एक सी-सेक्शन डिलीवरी या अचानक मेडिकल खर्च आपकी बचत पर बड़ा बोझ डाल सकता है।

क्या-क्या कवर होता है:

- प्रसवपूर्व देखभाल और सभी जरूरी टेस्ट

- डिलीवरी का खर्च (Normal या C-Section)

- प्रसवोत्तर देखभाल और दवाइयां

- नवजात शिशु का मेडिकल खर्च (जन्म के 90 दिन तक)

- कुछ पॉलिसी में पहले साल के टीकाकरण का खर्च ₹5,000 - ₹10,000 तक

ध्यान रखें - अधिकांश मैटर्निटी इंश्योरेंस पॉलिसी में वेटिंग पीरियड होता है, जो 9 महीने से 36 महीने तक हो सकता है। इसका मतलब है कि पॉलिसी खरीदने के तुरंत बाद लाभ नहीं मिलता।

डिस्क्लेमर

यह केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। निवेश से पहले अपनी रिसर्च करें या वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।

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