भारत को एक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का लक्ष्य: सपने से वास्तविकता की ओर

Making India a Manufacturing Hub: भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और अब वो दिन दूर नहीं जब भारत का ‘मैन्युफैक्चरिंग हब’ बनने का सपना सच हो सकता है। इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा और देश की कमाई भी बढ़ेगी।

Sonal Girhepunje
Published on: 3 Jun 2025 1:05 PM IST
Making India a Manufacturing Hub
X

Making India a Manufacturing Hub (Image Credit-Social Media)

Making India a Manufacturing Hub : भारत ने लंबे समय से एक ‘मैन्युफैक्चरिंग हब’ बनने का सपना देखा है।यह सपना वर्षों से देखा जा रहा है, लेकिन अब यह तेज हो गया है। सोचिए, अगर आपके लैपटॉप, मोबाइल, कपड़े, टीवी, दवाइयाँ और कार सब भारत में बनाए जाएं और फिर पूरी दुनिया में भेजे जाएं, तो क्या होगा?लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा और देश की कमाई बढ़ेगी।

केंद्रीय सरकार, राज्य सरकारें और निजी कंपनियाँ भारत को एक वैश्विक उत्पादन केंद्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

भारत को एक मजबूत औद्योगिक शक्ति बनाने के लिए ‘मेक इन इंडिया’, ‘पीएलआई योजना’, ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसे बड़े कार्यक्रमों ने जमीन काट दी है।

1.मैन्युफैक्चरिंग हब बनने के लिए क्या मायने रखते हैं?


भारत को एक उत्पादन हब बनाने के कई कारण हैं:

* रोजगार के अवसर: निर्माण क्षेत्र में अधिकांश अवसर हैं। भारत के युवा लोगों को काम मिलना चाहिए।

* आयात निर्भरता घटाना: भारत को अपनी खुद की उत्पादन क्षमता बढ़ा देने से बाहर से माल खरीदने की आवश्यकता कम होगी।

* अधिक निर्यात: विदेशी मुद्रा उत्पन्न होगी और अर्थव्यवस्था मजबूत होगी अगर भारत में निर्मित उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में भेजा जाएगा।

* स्थानीय उद्यमों को बढ़ावा देना: छोटे और मझोले उद्यमों को ज्यादाअवसर मिलेंगे, जिससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का विकास होगा।

2. भारत की आज की स्थिति :

भारत हाल ही में उत्पादन में विश्व में पांचवें स्थान पर है, लेकिन चीन, अमेरिका, जापान और जर्मनी से बहुत पीछे है। जबकि इसे 25% तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है, भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अभी भीजीडीपी का केवल लगभग 17% योगदान देता है।

अगर सही योजनाएं लागू की जाएं तो भारत का उद्योग 2025 तक लगभग1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।

3. भारत सरकार की प्रमुख चालें:


1. मेक इन इंडिया:

2014 में भारत सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ (भारत में बनाओ, दुनिया में बेचो) नामक एक बड़ा और बदलावकारी अभियान शुरू किया।इसका लक्ष्य था भारत को सिर्फ एक उपभोक्ता देश नहीं बनाना, बल्कि एक उत्पादक देश बनाना।

इसका अर्थ है कि हम अब बाहर से आयातित सामान देश में बनाकर दुनिया भर में बेचेंगे।

राष्ट्रीय उत्पादन पावरहाउस बनाने के लिए सरकार ने 25 क्षेत्रों पर ध्यान दिया। ऐसे:

* ऑटोमोबाइल्स: कार, बाइक और इलेक्ट्रिक व्हीकल का

* इलेक्ट्रॉनिक्स: मोबाइल फोन, लैपटॉप,टीवी

* रक्षा उत्पादन: हथियार, टैंक, मिसाइल

* केमिकल्स: दवा, रंग, औद्योगिक केमिकल्स

* खाद्य निर्माण: पैकेज्ड भोजन, बिस्किट, जूस

इन क्षेत्रों में निवेश करने वाली कंपनियों को सरकार ने विभिन्न प्रोत्साहनों के मार्फ़त लाभ दिया:

पुराने और मुश्किल नियमों को हल्का किया, फैक्ट्री खोलने की प्रक्रिया को तेज किया, निवेशकों को टैक्स छूट और सब्सिडी दी, और परिवहन, बिजली, पानी और सड़कों की मरम्मत की।

"मेक इन इंडिया" ने भारत को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया:

भारत अब उत्पादन और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में भी अग्रणी बनने को तैयार है।

2. उत्पादन आधारित प्रोत्साहन कार्यक्रम (PLI):

PLI योजना से सरकार सीधे लाभ उठाती है। इसका उपयोग मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल, सौर ऊर्जा और ऑटोमोबाइल क्षेत्रों में हुआ है।

इस कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक:

* 14 महत्वपूर्ण क्षेत्रों को शामिल किया गया है

* ₹2 लाख करोड़ से अधिक का प्रोत्साहन पैकेज घोषित किया गया है

* 60 लाख तक की नौकरी मिलने की संभावना है

3.आत्मनिर्भर भारत अभियान:


कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू हुआ आत्मनिर्भर भारत अभियान का लक्ष्य घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है। यह ‘वोकल फॉर लोकल’ है, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स बनाने और MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) का समर्थन करता है।

4. डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया:

इंडस्ट्री 4.0 (AI, IoT, Robotics) को अपनाना आसान हो रहा है, क्योंकि डिजिटल इंडिया ने तकनीकी सुविधाओं को शहरी और ग्रामीण दोनों स्थानों में पहुंचाया है।

स्किल इंडिया अभियान युवाओं को उत्पादन क्षेत्र में आवश्यक कौशल सिखा रहा है।

5. निवेश और वैश्विक कंपनियों की भूमिका:

भारत में हाल के वर्षों में कई वैश्विक कंपनियों ने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित की हैं:

* Apple: भारत में अब iPhone बनाया जा रहा है।

* Samsung: नोएडा में दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फैक्ट्री।

* Foxconn, Wistron और Pegatron: इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में सक्रिय

* मारुति, टेस्ला और टोयोटा: इलेक्ट्रिक वाहनों और कार सेक्टर में निवेश की योजना

सरकार ने FDI नियमों को आसान बनाया है, जिससे विदेशी कंपनियों के लिए भारत आकर्षक बन गया है।

6. राज्य सरकारों की भागीदारी: जब हर राज्य बना भारत की प्रगति का इंजन

भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की असली ताकत सिर्फ केंद्र से नही आती, बल्कि राज्यों की ज़मीन पर उभरती फैक्ट्रियों, नीतियों और नए विजन से आती है। हर राज्य अपनी अलग पहचान और रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है।

उत्तर प्रदेश: अब सिर्फ खेती नहीं, तकनीकी क्रांति भी उत्तर प्रदेश में बन रहा है ‘डिफेंस कॉरिडोर’, जहाँ टैंक, मिसाइल और आधुनिक रक्षा उपकरण तैयार होंगे। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे मोबाइल, चिप्स और लैपटॉप अब यूपी की मिट्टीसे तैयार होंगे।

महाराष्ट्र: भविष्य की गाड़ियाँ यहीं बनेंगी राज्य एक इलेक्ट्रिक वाहन हब बन रहा है, जहाँ ई-बाइक, ई-कार और बैटरियां तैयार की जा रही हैं।इसके अलावा, कई औद्योगिक पार्क बन रहे हैं, जहाँ विभिन्न सेक्टरों की कंपनियाँ मिलकर काम करेंगी — यह उद्योगों के लिए एक नई ऊर्जा लेकरआ रहा है।

गुजरात: टेक्नोलॉजी का अगला ठिकाना गुजरात ने सीधे सेमीकंडक्टर मिशन को अपनाया है — यानी अब माइक्रोचिप्स और एडवांसटेक्नोलॉजी भारत में ही बनेगी। Foxconn जैसी वैश्विक कंपनियाँ यहां निवेश कर रही हैं, जो दिखाता है कि गुजरात अब हाई-टेक निवेश का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है।

कर्नाटक और तमिलनाडु: तकनीक और उत्पादन का संगम कर्नाटक और तमिलनाडु खासतौर पर बेंगलुरु और चेन्नई, ऑटोमोबाइल और आईटी दोनों क्षेत्रों में अग्रणी हैं। यहाँ पर विश्व की बड़ी कार कंपनियाँ और तकनीकी संस्थान सक्रिय हैं — जिससे यह क्षेत्र ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंगनेटवर्क का हिस्सा बन चुका है।

"Ease of Doing Business" के मामले में भी राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा तेज हुई है, जिससे नीतियों में तेजी से सुधार हुआ है और निवेशकों का विश्वास बढ़ा है।

7. भारत के पास क्या-क्या मजबूत पक्ष हैं?


भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने में कई चीजें मददगार हैं:

* युवा बल: भारत, अपनी बड़ी जनसंख्या और मेहनती श्रमबल के कारण करोड़ों युवा काम करने को तैयार हैं। ये युवा बलवान, कठोर और सीखने को तैयार हैं; यही मैन्युफैक्चरिंग की असली ताकत है।

* भारत में मिडिल क्लास की मांग तेजी से बढ़ रही है, जो नए सामान खरीदना चाहते हैं : मोबाइल फोन, टीवी, बाइक, कार और फ्रिज।जिस देश में खरीददार ज़्यादा हों, वहां मैन्युफैक्चरिंग अपने आप बढ़ती है।

* कम लागत में अधिक उत्पादन: भारत में मजदूरी और उत्पादन लागत काफ़ी कम हैं, जो चीन या अमेरिका से काफी कम हैं। कम लागत पर अधिक मुनाफा कमाने की क्षमता से कंपनियां भारत कीओर आकर्षित होती हैं।

* भू-राजनीतिक लाभ: भारत, चीन के बाद सबसे भरोसेमंद है, क्योंकि कई देश चीन पर निर्भर नहीं रहना चाहते हैं. यह एक मजबूत और स्थिर विकल्प बनकर उभर रहा है।यहाँ के बेहतर कानून और लोकतंत्र विदेशी कंपनियों को भरोसा दिलाते हैं।

* सरकार का पूरा समर्थन, सरकार निरंतर सुधार कर रही है: टैक्स कम कर रहे हैं, लाइसेंस को आसान कर रहे हैं और नए स्कीम्स जोड़ रहे हैं।भारतीय कानूनों, डिजिटल प्रक्रियाओं और वित्तीय संस्थाओं ने देश को और भी आकर्षक बना दिया है।

8. मुख्य चुनौतियाँ:

भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनने के रास्ते में कई चुनौतियां भी हैं:

* अधोसंरचना की कमी अभी भी कई क्षेत्रों में दिखाई देती है, जहां सड़कें टूटी हैं, बिजली अनियमित है, पानी की कमी है और लॉजिस्टिक धीमा है। चीन के मुकाबले हवाई कार्गो और बंदरगाहकी क्षमता भी कम है।

* नौकरशाही और लाइसेंस प्रक्रियाओं को पुनर्गठित किया जा रहा है, लेकिन अनुमति और सरकारी प्रक्रियाएं अभी भी कठिन और धीमीहैं। "Ease of Doing Business" को तेज और आसान बनाना होगा।

* स्किल गैप बहुत युवा हैं, लेकिन बहुतों को आवश्यक औद्योगिक और तकनीकी ज्ञान नहीं है।

डिग्री है, लेकिन उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाया, जिससे उत्पादन धीमा होता है।

* निवेशकों को नीति में अस्थिरता महसूस होती है और टैक्स सिस्टम के नियमों टैक्सों और सरकारी नीतियों में बार-बार बदलाव से अनिश्चितता महसूस होती है। भरोसा केवल स्थिर और पारदर्शी नीतियों से पैदा हो सकता है।

9. 2025 तक के लक्ष्य:

भारत सरकार ने 2025 तक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़े कुछ प्रमुख लक्ष्य तय किए हैं:

* जीडीपी में 25% हिस्सेदारी

* 100 मिलियन (10 करोड़) नए रोजगार

* 1 ट्रिलियन डॉलर की मैन्युफैक्चरिंग इकॉनमी

* हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स, EV आदिमें अग्रणी भूमिका

* निर्यात में तेजी से वृद्धि

10. भविष्य की रणनीतियाँ:

1.क्लस्टर आधारित विकास मॉडल

सरकार मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स को बढ़ावा दे रही है, ताकि एक ही क्षेत्र में कई संबंधित उद्योग एक साथ विकसित हो सकें। इससे लागत कम होती है। और कुशल श्रम उपलब्ध होता है।

2.ग्रीन मैन्युफैक्चरिंग

2025 तक पर्यावरण-अनुकूल और ऊर्जा-कुशल उत्पादन प्रणाली विकसित करना जरूरी है। सोलर एनर्जी, ईवी और रीसायक्लिंग इंडस्ट्री को प्राथमिकता दी जा रही है।

3. स्टार्टअप और इनोवेशन को बढ़ावा

सरकार ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ को जोड़ रही है ताकि नये उद्यमी नई तकनीक के साथ उत्पादन कर सकें।

4. अंतरराष्ट्रीय समझौते और निर्यात नीति

भारत अब मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) और वैश्विक साझेदारियों पर ध्यान दे रहा है जिससे भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाज़ारों में प्रतिस्पर्धा मिल सके।

Start Quiz

This Quiz helps us to increase our knowledge

Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

Next Story