Why Petrol Costs Differ? : भारत में पेट्रोल के दाम हर राज्य में अलग-अलग क्यों होते हैं? जानिए इसके पीछे की पूरी सच्चाई

Why Petrol Costs Differ : क्या आपने कभी सोचा है कि जब पूरे देश में कच्चा तेल एक ही खरीदा जाता है, तो दाम इतने अलग क्यों होते हैं?

Sonal Girhepunje
Published on: 17 July 2025 5:51 PM IST
Why Petrol Costs Differ
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Why Petrol Costs Differ (Image Credit-Social Media)

Why Petrol Costs Differ? : क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे शहरों में पेट्रोल की कीमतें अलग-अलग होती हैं? कभी आपने सोचा है कि जब पूरे देश में कच्चा तेल एक ही खरीदा जाता है, तो दाम इतने अलग क्यों होते हैं? आम नागरिक के लिए यह भ्रम पैदा कर देता है कि कहीं सरकार या तेल कंपनियां मनमानी तो नहीं कर रहीं? लेकिन असलियत इससे कहीं ज़्यादा तकनीकी और नीति आधारित है। आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि भारत में पेट्रोल के दाम क्यों अलग-अलग होते हैं और इसके पीछे की असली वजह क्या है।

1. टैक्स सिस्टम: हर राज्य को अपनी मर्जी से टैक्स (VAT) लगाने की छूट

• पेट्रोल और डीज़ल पर अब भी GST लागू नहीं है; हर राज्य अपनी-अपनी वैट दर तय करता है।

• उदाहरण के लिए, दिल्ली में VAT कम है इसलिए दाम कम (₹94.77/L), जबकि आंध्र प्रदेश या तेलंगाना में VAT ज्यादा है, इसलिए वहां पेट्रोल बहुत महंगा है (₹109.69/L तक)।

• राज्य सरकारों की कमाई का बड़ा हिस्सा इन्हीं टैक्स से आता है - इसी वजह से राज्यों को GST लागू करने में आपत्ति है।

2. ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स कॉस्ट

• रिफाइनरी से पेट्रोल हर राज्य तक पहुँचता है, इस प्रक्रिया में पाइपलाइन, डिपो, टैंकर आदि की लागत जुड़ती है।

• जिन इलाकों में रिफाइनरी दूर है या इन्फ्रास्ट्रक्चर कमजोर है, वहां ट्रांसपोर्ट खर्च ज्यादा होता है, इसलिए दाम भी बढ़ जाते हैं।

3. केंद्र + राज्य टैक्स का डबल इफेक्ट

• पेट्रोल का बेस प्राइस (रिफाइनरी गेट पर) सस्ता होता है, लेकिन केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी और हर राज्य के अलग VAT से कीमत लगभग दोगुनी हो जाती है।

• एक लीटर पेट्रोल पर कुल टैक्स 50-60% तक हो सकता है — जो आपके शहर, राज्य की टैक्स नीति पर निर्भर करता है।

• उदाहरण: दिल्ली (₹94.77), मुंबई (₹104.21), चेन्नई (₹100.73), कोलकाता (₹103.94) — सिर्फ टैक्स के कारण इतना फर्क।

4. अंतरराष्ट्रीय कच्चा तेल और डॉलर रेट का प्रभाव

• भारत ज्यादातर कच्चा तेल विदेश से आयात करता है; इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाज़ार, डॉलर-रुपये के भाव और ग्लोबल प्राइस से जुड़ी है।

• क्रूड प्राइस और एक्सचेंज रेट में बदलाव से पेट्रोल-डीजल की बेस कीमत सभी राज्यों के लिए ऊपर-नीचे होती है, लेकिन अंतिम रेट टैक्स और ट्रांसपोर्ट के कारण अलग-अलग रहते हैं।

5. पेट्रोल की कीमतें हर रोज़ तय होती हैं ("डायनेमिक प्राइसिंग")

• 2017 से पेट्रोल की कीमतें रोज़ सुबह 6 बजे अपडेट होती हैं; यह पूरी तरह क्रूड प्राइस, फॉरेक्स, टैक्स और लोकल लॉजिस्टिक्स बेस्ड है।

क्या समाधान है? एक देश, एक रेट?

अगर पेट्रोल को GST के दायरे में लाया जाए तो टैक्स स्ट्रक्चर पूरे देश में लगभग एक जैसा हो जाएगा, जिससे एक देश - एक रेट लागू करना संभव है। फिलहाल राज्य सरकारें टैक्स की बड़ी आमदनी के चलते इससे सहमत नहीं हैं।

निष्कर्ष:

भारत में पेट्रोल की कीमतों में फर्क मुख्य रूप से राज्यों के टैक्स (VAT), केंद्र के टैक्स, ट्रांसपोर्टेशन/लॉजिस्टिक्स कॉस्ट और अंतरराष्ट्रीय मार्केट की वजह से है।

यदि आपको पूरे देश में एकसमान पेट्रोल कीमत की उम्मीद चाहिए तो "एक देश, एक रेट" यानी GST पर आम सहमति जरूरी है, लेकिन यह फिलहाल संभव नहीं दिखता।

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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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