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RBI MPC Meeting June 2025: क्या फिर से होगा ब्याज दरों में बदलाव?
RBI MPC Meeting June 2025: RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की जून 2025 की मीटिंग एक बार फिर सुर्खियों में है।
RBI MPC Meeting June 2025 Will the Interest Rates Change Again
RBI MPC Meeting June 2025: भारत की आर्थिक दिशा और वित्तीय बाजारों की धड़कन तय करने वाली बैठक – RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की जून 2025 की मीटिंग एक बार फिर सुर्खियों में है। निवेशकों, कॉरपोरेट जगत, आम जनता और सरकार की निगाहें इस बैठक पर टिकी हुई हैं। इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि इस बार की मीटिंग कब है, इसमें क्या फैसले हो सकते हैं, और ये फैसले आपकी जेब और बाजार पर कैसे असर डाल सकते हैं।
RBI MPC क्या है और क्यों है इतनी महत्वपूर्ण?
ये सब एक साथ जुड़ते हैं, चाहे वह महंगाई, बैंक ब्याज दर या EMI हो: भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ये आम बैठक नहीं होगी। ये दो महीने में होने वाली बैठक देश में ब्याज दरों को निर्धारित करती हैं, जिससे बैंक आपको ब्याज पर कितना लोन देंगे और जमा पर कितना रिटर्न मिलेगा।
RBI द्वारा बैंकों को कर्ज देने वाली दर, रेपो रेट, सबसे महत्वपूर्ण निर्णय है। यह दर भी ऊपर-नीचे होती है, जिससे आपके घर की EMI से लेकर शेयर बाजार तक सुनाई देता है। इसलिए, चाहे आप एक सामान्य कर्मचारी हों या एक बड़ा निवेशक, हर बार MPC की मीटिंग होती है, क्योंकि यह आपकी जेब और भविष्य की योजनाओं पर सीधा असर डालता है।
MPC मीटिंग जून 2025: तारीख और समय :
RBI की जून 2025 की MPC बैठक 5 से 7 जून 2025 के बीच आयोजित की जा रही है।
अंतिम दिन यानी 7 जून 2025 को सुबह 10 बजे RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से फैसलों की घोषणा करेंगे। यह मीटिंग ऐसे समय में हो रही है जब भारत की आर्थिक स्थिति स्थिर तो है, लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं और घरेलू चुनौतियों का दबाव भी बना हुआ है।
पिछली MPC बैठक का संक्षिप्त पुनरावलोकन :
मार्च 2025 की पिछली MPC बैठक में RBI ने लगातार सातवीं बार रेपो रेट को 6.50% पर स्थिर रखा था।
इसका कारण था कि महंगाई दर नियंत्रण में थी, लेकिन वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में अस्थिरता बनी हुई थी।
RBI ने स्पष्ट किया था कि वह 'withdrawal of accommodation' के रुख पर कायम है, यानी अभी दरों में कटौती की संभावना नहीं।
इस बार की मीटिंग से क्या हैं उम्मीदें?
आइए देखते हैं कि इस बार जून 2025 की MPC बैठक में किन प्रमुख पहलुओं पर चर्चा हो सकती है और बाजार क्या उम्मीद कर रहा है:
रेपो रेट में बदलाव की संभावना कितनी है?
विश्लेषकों की राय: अधिकांश विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बार भी RBI रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा।
कारण:
• अप्रैल-मई में खुदरा महंगाई दर (CPI) 5.1% के आसपास रही, जो RBI के 4% लक्ष्य से थोड़ी अधिक है।
• मानसून सामान्य रहने की उम्मीद है, जिससे खाद्य महंगाई में राहत मिल सकती है।
• वैश्विक स्तर पर फेडरल रिज़र्व की पॉलिसी अभी भी टाइट है, जिससे RBI पर भी दबाव बना हुआ है।
सारांश : रेपो रेट 6.50% पर यथावत रह सकती है।
लोन लेने वालों के लिए क्या मतलब है इसका?
यदि रेपो रेट नहीं बदलती, तो यह लोन लेने वालों के लिए राहत की खबर है:
• होम लोन, ऑटो लोन या एजुकेशन लोन की EMI फिलहाल स्थिर रह सकती है।
• लेकिन बैंकों द्वारा की जाने वाली आंतरिक दर (MCLR या RBLR) में बदलाव हो सकता है, जो बाजार की मांग और क्रेडिट ग्रोथ पर निर्भर करेगा।
बचतकर्ताओं को मिलेगा क्या फायदा?
बचत खातों, फिक्स्ड डिपॉजिट और अन्य जमा योजनाओं की ब्याज दरों में भी बदलाव की संभावना कम है। हालांकि कुछ निजी बैंक प्रतिस्पर्धा के कारण दरें बढ़ा सकते हैं।
MPC के एजेंडे में क्या रहेगा खास?
• महंगाई पर नजर:
RBI की सबसे बड़ी प्राथमिकता खुदरा महंगाई को 4% के आसपास बनाए रखना है। इस बार समिति इस बात की समीक्षा करेगी कि खाद्य महंगाई किस हद तक नियंत्रण में आई है।
• विकास दर की समीक्षा:
RBI ने FY26 के लिए GDP ग्रोथ अनुमान 6.8% रखा है। यदि आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी दिखाई देती है, तो RBI विकास दर का अनुमान बढ़ा सकता है।
• वैश्विक आर्थिक संकेत:
अमेरिका, यूरोप और चीन की आर्थिक स्थिति पर भी RBI नजर बनाए रखेगा, खासतौर पर यदि वहां ब्याज दरों में कटौती शुरू होती है, तो भारत के लिए स्पेस बन सकता है।
बाजार और निवेशकों की प्रतिक्रिया क्या हो सकती है?
MPC की मीटिंग से पहले और बाद में बाजार में हलचल रहना तय है।
शेयर बाजार:
• अगर रेपो रेट स्थिर रहती है और RBI का रुख तटस्थ होता है, तो Nifty-Bank, रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर के शेयरों में तेजी देखी जा सकती है।
बॉन्ड मार्केट:
• रेपो रेट में कोई कटौती न होने पर बॉन्ड यील्ड्स स्थिर रह सकती हैं।
• अगर RBI भविष्य में नरमी के संकेत देता है, तो लॉन्ग टर्म बॉन्ड्स की मांग बढ़ सकती है।
आम जनता पर क्या असर होगा?
ब्याज दर स्थिर रहने पर:
• EMI का बोझ नहीं बढ़ेगा
• बैंक में जमा पर ब्याज स्थिर रह सकता है
• घर खरीदने या वाहन लोन लेने वालों के लिए थोड़ी राहत
लेकिन, अगर महंगाई दर फिर से बढ़ती है, तो भविष्य में ब्याज दरों में बढ़ोतरी संभव है।
MPC के 6 सदस्यों की राय का महत्व :
MPC में कुल 6 सदस्य होते हैं – 3 RBI की ओर से और 3 सरकार द्वारा नामांकित स्वतंत्र सदस्य। निर्णय बहुमत से लिया जाता है। पिछली बैठकों में सभी सदस्यों की राय समान रही थी, लेकिन अगर इस बार मतभेद सामने आते हैं, तो इससे संकेत मिल सकता है कि नीति में बदलाव निकट भविष्य में संभव है।
क्या अगली मीटिंग में दरों में कटौती की उम्मीद हो सकती है?
अगर आने वाले महीनों में:
• खाद्य वस्तुओं की कीमतें स्थिर रहती हैं
• वैश्विक ब्याज दरों में नरमी आती है
• घरेलू मांग सुधरती है
तो अगस्त 2025 या अक्टूबर 2025 की बैठक में RBI रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है।
विशेषज्ञों की राय:
• SBI रिसर्च: “महंगाई अभी भी आरबीआई के कंफर्ट ज़ोन से ऊपर है, इसलिए कोई ढील नहीं दी जाएगी।”
• ICICI Securities: “नीतिगत दर स्थिर रह सकती है लेकिन स्टेटमेंट में नरमी का संकेत संभव है।”
• Nomura India: “RBI वैश्विक संकेतकों का इंतज़ार कर रहा है – कटौती की संभावना Q3 से।”
आपके लिए क्या रणनीति होनी चाहिए?
बचतकर्ता:
• FD में लॉक-इन करने से पहले दरों की दिशा देखें
• फ्लोटिंग रेट डिपॉजिट पर विचार करें
लोन लेने वाले:
• अगर नई लोन लेने की योजना है, तो अभी की दरों पर विचार करें
• फ्लोटिंग रेट बेहतर विकल्प हो सकता है
निवेशक:
• इक्विटी(equity) में चुनिंदा सेक्टर (बैंकिंग, ऑटो, इंफ्रा) में अवसर
• बॉन्ड फंड्स में SIP के रूप में निवेश की रणनीति रखें
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