जानिए क्यों अमेरिका ने भारत समेत 50 से अधिक कंपनियों और नागरिकों पर लगाया सख्त प्रतिबंध

अमेरिका ने 50 से अधिक लोगों, कंपनियों और जहाजों पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें तीन भारतीय नागरिक भी शामिल हैं। इस कदम से भारत-ईरान के तेल और गैस व्यापार पर बड़ा असर पड़ सकता है और व्यापारिक संबंधों में नई चुनौतियां सामने आ सकती हैं।

Sonal Girhepunje
Published on: 10 Oct 2025 2:43 PM IST
जानिए क्यों अमेरिका ने भारत समेत 50 से अधिक कंपनियों और नागरिकों पर लगाया सख्त प्रतिबंध
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US Targets 50 Firms Including India: अमेरिका ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लेते हुए भारत समेत कई देशों के नागरिकों, कंपनियों और जहाजों पर ईरान से तेल और गैस व्यापार में शामिल होने के आरोप में सख्त प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिका का दावा है कि ईरान अपने तेल और गैस निर्यात से होने वाली कमाई का इस्तेमाल आतंकी संगठनों को फंड देने में करता है। इसी वजह से OFAC (Office of Foreign Assets Control) ने कार्रवाई करते हुए 50 से अधिक व्यक्तियों और कंपनियों को अपनी प्रतिबंध सूची में डाला है। इनमें भारत के तीन नागरिक, वरुण पुला, सोनिया श्रेष्ठा, और अय्यप्पन राजा भी शामिल हैं। अमेरिका का उद्देश्य ईरान की ऊर्जा निर्यात प्रणाली को कमजोर करना है ताकि वह आतंकवाद और परमाणु गतिविधियों को आर्थिक सहायता न दे सके।

भारतीय नागरिकों पर आरोप

अमेरिका ने तीन भारतीय नागरिकों को इस सूची में शामिल किया है:

वरुण पुला: वरुण पुला की कंपनी Bertha Shipping Inc. मार्शल आइलैंड्स में स्थित है। यह कंपनी Comoros झंडे वाला जहाज PAMIR चलाती है। अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार, इस जहाज ने जुलाई 2024 से चीन को लगभग 40 लाख बैरल ईरानी LPG (Liquefied Petroleum Gas) की आपूर्ति की थी।

सोनिया श्रेष्ठा: सोनिया श्रेष्ठा की कंपनी Vega Star Ship Management Pvt. Ltd. पर आरोप है कि उसने जनवरी 2025 से पाकिस्तान को ईरानी LPG की आपूर्ति की। यह कंपनी जहाजों के संचालन और ईंधन परिवहन से जुड़ी सेवाएं देती है।

अय्यप्पन राजा: अय्यप्पन राजा की कंपनी Evie Lines Inc. पर आरोप है कि उसने अप्रैल 2025 से चीन को 1 मिलियन बैरल से अधिक ईरानी LPG भेजी। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह कंपनी ईरान के तेल निर्यात नेटवर्क का हिस्सा रही है और उस प्रक्रिया में सहायता प्रदान की।

अमेरिकी प्रतिबंधों का असर

अमेरिका द्वारा लगाए गए इन प्रतिबंधों का असर काफी गंभीर है। जिन व्यक्तियों और कंपनियों के नाम इस सूची में शामिल हैं, उनकी संपत्तियां अमेरिका में फ्रीज (जमा) कर दी गई हैं। इसका मतलब है कि वे अब अपनी किसी भी अमेरिकी बैंक या वित्तीय संस्था से जुड़ी संपत्ति या खाते का इस्तेमाल नहीं कर सकते। साथ ही, कोई भी अमेरिकी नागरिक या कंपनी अगर इन प्रतिबंधित व्यक्तियों या कंपनियों के साथ व्यापार करती पाई गई, तो उस पर कानूनी कार्रवाई या भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। इन भारतीय कंपनियों के लिए अब अमेरिकी डॉलर में लेन-देन करना या अमेरिकी बैंकिंग सिस्टम का उपयोग करना पूरी तरह से अवैध होगा। यहां तक कि जो विदेशी कंपनियां इन भारतीय कंपनियों से व्यापार करेंगी, वे भी अमेरिकी जांच और निगरानी के दायरे में आ सकती हैं। इस कदम से भारत के विदेशी व्यापार, ऊर्जा कारोबार और ईरान के साथ संबंधों पर सीधा असर पड़ सकता है।

भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने अमेरिका के इस कदम पर कड़ा विरोध जताया है। भारतीय सरकार का कहना है कि वह केवल संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा लगाए गए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को ही मान्यता देती है, न कि किसी एक देश के घरेलू कानूनों पर आधारित प्रतिबंधों को। भारत का मानना है कि इस तरह की एकतरफा कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय व्यापार की स्वतंत्रता को प्रभावित करती है।

भारत और ईरान के बीच संबंध केवल तेल व्यापार तक सीमित नहीं हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक साझेदारी भी लंबे समय से कायम है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है चाबहार बंदरगाह परियोजना, जिसके माध्यम से भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंचने का एक वैकल्पिक रास्ता मिला है।

भारत का स्पष्ट मानना है कि अमेरिका की यह कार्रवाई उसके राष्ट्रीय हितों और आर्थिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे भारत-ईरान के पारंपरिक रिश्तों पर नई कूटनीतिक चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।

अमेरिका की “मैक्सिमम प्रेशर पॉलिसी” क्या है

अमेरिका की यह रणनीति “Maximum Pressure Policy” के नाम से जानी जाती है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य ईरान पर आर्थिक और कूटनीतिक दबाव बढ़ाना है ताकि वह परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में आगे न बढ़ सके। इसके तहत अमेरिका लगातार ईरान के ऊर्जा निर्यात को लगभग शून्य स्तर तक लाने की कोशिश कर रहा है।

अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि अगर ईरान के तेल और गैस निर्यात पर पूरी तरह रोक लगाई जाए, तो उसकी सरकार के पास आतंकी संगठनों को फंड देने की क्षमता काफी हद तक खत्म हो जाएगी। अब तक अमेरिका 166 से अधिक जहाजों, कंपनियों और व्यक्तियों पर इसी नीति के तहत प्रतिबंध लगा चुका है।

इन सख्त कदमों के कारण ईरान की अर्थव्यवस्था कमजोर हो गई है और उसकी मुद्रा ऐतिहासिक गिरावट के स्तर पर पहुंच गई है। इससे ईरान की आम जनता पर भी गहरा असर पड़ा है और देश के अंदर आर्थिक संकट और बढ़ गया है।

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