शॉकिंग! गर्भ में पल रहा 'जहर'...मां की कोख से ही बच्चों की सेहत पर मंडरा रहा बड़ा खतरा: रिपोर्ट

Air Pollution Pregnancy Risks: वायु प्रदूषण गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है, जो जन्मजात रोग और सांस की बीमारियां बढ़ाता है।

Akriti Pandey
Published on: 23 Oct 2025 1:21 PM IST (Updated on: 23 Oct 2025 3:43 PM IST)
Air Pollution Pregnancy Risks
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Air Pollution Pregnancy Risks

Air Pollution Pregnancy Risks: वायु प्रदूषण आज विश्व के सामने एक गंभीर समस्या बन चुका है। यह केवल वयस्कों को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु से लेकर छोटे बच्चों और किशोरों तक के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है। जब गर्भवती मां प्रदूषित हवा में सांस लेती है, तो इससे भ्रूण को गंभीर नुकसान पहुंचता है, जो बाद में बच्चे की सेहत पर जीवन भर असर डालता है। खासकर वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के देशों में यह समस्या और भी चिंताजनक स्थिति में पहुंच चुकी है। भारत में हर साल लगभग एक-चौथाई नवजात शिशु पहले महीने में ही मर जाते हैं, जिसका मुख्य कारण प्रदूषण को माना जाता है। वैज्ञानिकों ने यह साफ कर दिया है कि वायु प्रदूषण के जहरीले कण किस प्रकार शरीर में प्रवेश कर अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं। ये समस्या केवल सांस से जुड़ी बीमारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे शरीर के कई हिस्सों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

गर्भावस्था में प्रदूषण का असर

गर्भ में पल रहे बच्चे (भ्रूण) प्रदूषण के सबसे संवेदनशील शिकार होते हैं। जब मां प्रदूषित हवा में सांस लेती है तो उसके शरीर में मौजूद जहरीले धूल-धुआं के कण बच्चे तक पहुंच जाते हैं। इससे बच्चे के जीवित रहने की संभावना कम हो जाती है और जन्म के बाद भी कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं सामने आती हैं।

गर्भावस्था में प्रदूषण से होने वाले नुकसान:

मृत जन्म (Stillbirth): बच्चा गर्भ में ही मृत पैदा हो जाता है।

कम वजन जन्म (Low Birth Weight): बच्चा सामान्य से छोटे आकार का और कमजोर होता है।

समय से पहले जन्म (Preterm Birth): बच्चे का समय से पहले जन्म होना, जो शिशु को अतिरिक्त कमजोर बना देता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार प्रदूषण मां के फेफड़ों को प्रभावित करता है, जिससे भ्रूण तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व कम पहुंचते हैं। इसके अलावा, फेफड़ों का विकास गर्भ में ही बाधित हो सकता है, जिससे बच्चे को बाद में सांस की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। छोटे कण (Particulate Matter) मां के शरीर में सूजन पैदा करते हैं और उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। परिणामस्वरूप संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और बच्चे का मानसिक विकास भी प्रभावित होता है।



जीवनभर की बीमारियां

गर्भ में प्रदूषण का सामना करने वाले बच्चे अक्सर जीवनभर कई गंभीर बीमारियों से ग्रस्त रहते हैं। इनमें हार्मोनल और पाचन संबंधी समस्याएं (एंडोक्राइन व मेटाबॉलिक डिसऑर्डर) जैसे डायबिटीज़ शामिल हैं। इसके अलावा, उनकी सांस की क्षमता कमजोर होती है, जिससे वयस्क अवस्था में फेफड़ों की पुरानी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। गरीब परिवारों के बच्चे इस समस्या से अधिक प्रभावित होते हैं क्योंकि उनके पास साफ वातावरण, बेहतर इलाज और पर्याप्त पोषण का अभाव होता है। वैज्ञानिकों ने यह भी बताया है कि प्रदूषण के जहरीले तत्व नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर खून में मिल जाते हैं और अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं।

पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर प्रदूषण का खतरा

छोटे बच्चे, विशेषकर पांच साल से कम उम्र के, प्रदूषित हवा से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। उनके फेफड़े अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुए होते, इसलिए नुकसान अधिक गहरा होता है।

प्रदूषण के मुख्य प्रभाव:

फेफड़ों की कमजोरी: सांस लेने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे मोटापा (Obesity) जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

दिमागी विकास में बाधा: ध्यान की कमी, हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD), कम बुद्धिमत्ता और न्यूरोलॉजिकल विकास में कमी जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

कम मात्रा में प्रदूषण भी खतरनाक: थोड़ी सी भी प्रदूषित हवा फेफड़ों को स्थायी रूप से कमजोर कर सकती है, जिससे वयस्कता में पुरानी बीमारियां हो सकती हैं।

छोटे बच्चे प्रदूषण से लड़ने में असमर्थ होते हैं क्योंकि उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। यहां तक कि साधारण संक्रमण भी उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है।



वैश्विक दक्षिण और भारत में स्थिति

वैश्विक दक्षिण के देशों में प्रदूषण की समस्या बेहद गंभीर है। औद्योगिक धुआं, वाहनों से निकलने वाली गैसें, जलावन के धुएं से हवा जहरीली हो चुकी है। भारत में यह स्थिति सबसे खराब है, जहां नवजात शिशुओं की मृत्यु दर बहुत अधिक है। गरीबी इस समस्या को और बढ़ा देती है क्योंकि गरीब परिवारों के बच्चे प्रदूषित वातावरण में रहते हैं, साफ पानी, अच्छा खाना और इलाज नहीं मिल पाता। बच्चे खुले में खेलते हैं और प्रदूषित हवा के संपर्क में आते हैं। सरकारें और वैज्ञानिक इस खतरे को एक महामारी के रूप में देख रहे हैं और इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की सलाह दे रहे हैं।

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