गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों पर चुनाव आयोग ने कसा शिकंजा, खर्च और आय छुपाने को लेकर सख्त कार्रवाई की तैयारी

Election Commission News: जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत इन दलों को अपनी आय का वार्षिक विवरण, ऑडिट रिपोर्ट, संगठनात्मक जानकारी और किसी भी प्रकार के बदलाव की सूचना आयोग को समय पर देनी होती है। साथ ही पंजीकरण के पांच साल के भीतर चुनाव में भाग लेना अनिवार्य है। ये दल 100% आयकर छूट के पात्र होते हैं इसलिए पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी है।

Newstrack          -         Network
Published on: 14 May 2025 10:00 PM IST
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Election Commission News: चुनाव आयोग ने उन पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के खिलाफ जांच तेज कर दी है जो चुनाव लड़ने के बावजूद न तो समय पर खर्च का ब्योरा देते हैं और न ही अपनी आय की जानकारी आयोग को सौंपते हैं। इन दलों की संख्या खासकर बिहार, बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में ज्यादा है। जहां आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर आयोग ने विशेष सतर्कता बरती है। इनमें कई ऐसे दल शामिल हैं जिन्होंने पिछला चुनाव लड़ा मगर जरूरी वित्तीय रिपोर्टिंग नहीं की। अब ऐसे दलों पर चुनाव आयोग ने दलों की गहन जांच शुरू कर दी है।

क्या है नियम?

नियमों के अनुसार विधानसभा चुनावों के बाद 75 दिन और लोकसभा चुनावों के बाद 90 दिन के भीतर सभी दलों को अपने चुनावी खर्च का विवरण देना अनिवार्य है। देशभर में कई दल ऐसे हैं जिन्होंने अब तक न तो अपने खर्च का ब्योरा दिया है और न ही वार्षिक आय की सूचना दी है। आयोग इन मामलों की जांच कर रहा है और जल्द इनकी पूरी सूची सार्वजनिक हो सकती है। आयोग का यह कदम लोकतांत्रिक व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है

पंजीकरण रद्द करने की तैयारी

देश में फिलहाल 2000 से अधिक पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दल हैं। आयोग इससे पहले 2022 में कई ऐसे दलों का पंजीकरण रद्द कर चुका है। नियमों की अवहेलना पर फिर से वैसी ही कार्रवाई की जा सकती है।

आरयूपीपी के लिए अनिवार्य नियम

जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत इन दलों को अपनी आय का वार्षिक विवरण, ऑडिट रिपोर्ट, संगठनात्मक जानकारी और किसी भी प्रकार के बदलाव की सूचना आयोग को समय पर देनी होती है। साथ ही पंजीकरण के पांच साल के भीतर चुनाव में भाग लेना अनिवार्य है। ये दल 100% आयकर छूट के पात्र होते हैं इसलिए पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी है।

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