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Pak का POK पर कब्जा खत्म...! भारत ने दुश्मन देश का 'नक्शा बदलने' की तैयारी कर ली? चीन वाली चाल से...
India Pakistan tension: अब भारत की नीति रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक और निर्णायक हो सकती है। पीओके और सर क्रीक पर सख्त चेतावनियों के बाद क्या भारत पाकिस्तान के भूगोल को बदलने की तैयारी कर रहा है?
India Pakistan tension: भारत के शीर्ष नेताओं और सेना प्रमुखों के हाल के बयानों ने देश की सुरक्षा और रणनीतिक सोच में एक बड़ा बदलाव ला दिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दशहरे के दिन पाकिस्तान को दो टूक चेतावनी दी कि सर क्रीक क्षेत्र में कोई भी दुस्साहस किया गया तो इसका ऐसा निर्णायक जवाब मिलेगा कि इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे। उन्होंने याद दिलाया कि कराची जाने का एक रास्ता सर क्रीक से होकर गुजरता है। इस बयान की स्याही सूखी भी नहीं थी कि अगले ही दिन सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पाकिस्तान को सीधा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान को भूगोल पर अपनी जगह चाहिए तो वह आतंकवाद फैलाने से बाज आ जाए।
शीर्ष नेताओं के बयानों ने बढ़ाई हलचल
इन बयानों के ठीक एक दिन बाद, गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा पर एक महत्वपूर्ण बैठक की। सरकार के इन उच्च-स्तरीय और एक-दूसरे से जुड़े कदमों को देखकर सोशल मीडिया पर यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या सरकार पाकिस्तान के इतिहास और भूगोल को बदलने की कोई बड़ी तैयारी कर रही है?
सोशल मीडिया एक्स पर भी लोग इसी बात पर चर्चा कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "पहले रक्षामंत्री का बयान कि भूगोल बदल देंगे। उसके बाद एयरफोर्स-आर्मी चीफ के ऐसे ही बयान और बाद में विदेश मंत्री ने दोहराया कि POJK हमारा है। अमित शाह फिलहाल JK सुरक्षा पर बड़ी बैठक कर रहे हैं। निश्चित रूप से सरकार के स्तर पर तैयारी चल रही है- और वो तैयारी पाकिस्तान के इतिहास भूगोल को बदल देने की ही है।" इन लगातार, सधे हुए और आक्रामक बयानों से यह साफ संकेत मिलता है कि अब भारत की नीति सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक और निर्णायक भी हो सकती है।
पीओके पर क्यों है भारत की नजर?
पीओके जिसे पाकिस्तान ने ऑपरेशन गुलमर्ग के तहत 1947 में कबायलियों की मदद से जम्मू-कश्मीर का एक-तिहाई हिस्सा कब्जा लिया था, भारत के लिए रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। डिफेंस एनालिस्ट लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) जेएस सोढ़ी बताते हैं कि अगर उस समय भारत संयुक्त राष्ट्र नहीं गया होता तो आज हालात कुछ और होते।
पीओके कई अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को साझा करता है। इसमें पाकिस्तान का पंजाब, खैबर-पख्तूनख्वा, अफगानिस्तान का लाखन हॉल और उत्तर में चीन का शिंजियांग प्रांत शामिल है। यह करीब 13 हजार वर्ग किमी का क्षेत्र है, जहां लगभग 30 लाख आबादी रहती है। दिलचस्प बात यह है कि इस क्षेत्र में आए दिन पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन होते रहते हैं, जो वहां के लोगों के असंतोष को दर्शाता है।
'टू-फ्रंट वॉर' की चुनौती और नई रणनीति की जरूरत
पीओके को वापस लेना इतना आसान नहीं होगा। डिफेंस एक्सपर्ट के अनुसार, अगर पीओके के लिए जंग होती है, तो यह केवल पाकिस्तान से जंग नहीं होगी, इसमें चीन भी कूदेगा। यह एक 'टू-फ्रंट वॉर' की स्थिति होगी। रूस-यूक्रेन और इजरायल-गाजा के उदाहरण बताते हैं कि आधुनिक युद्ध लंबी, जटिल और मुश्किल चुनौती होते हैं।
सोढ़ी बताते हैं कि पीओके के लिए इंडियन आर्मी को बिल्कुल नई स्ट्रैटेजी बनानी होगी। सामान्यतः मैदानों में किसी जमीन को कब्जाने के लिए 'अटैकर टू डिफेंडर' का अनुपात 3:1 होता है, यानी दुश्मन के 100 जवानों के मुकाबले हमारी सेना को 300 जवान लगाने पड़ते हैं। लेकिन पहाड़ों में यह अनुपात 9:1 हो जाता है। इसका मतलब है कि दुश्मन के 100 जवानों को खदेड़ने के लिए 900 सैनिकों को तैनात करना पड़ता है। 1999 की कारगिल की जंग में भी भारतीय सेना ने इसी मुश्किल रणनीति को अपनाकर जीत हासिल की थी।
चीन का गहरा इंटरेस्ट
सोढ़ी यह भी बताते हैं कि चीन का सरकारी अखबार विनवीपू ने 2013 में भविष्यवाणी की थी कि 2035 में टू-फ्रंट वॉर होगी, जिसमें चीन-पाकिस्तान मिलकर भारत पर हमला करेंगे। चीन का पीओके में गहरा आर्थिक और रणनीतिक हित है। 65 बिलियन डॉलर का इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट पीओके से होकर ही गुजरना है। चीन ने यहां कई पनबिजली परियोजनाओं में भी पैसा लगाया है। पाकिस्तान ने 1963 में एक गैरकानूनी समझौते के तहत 5,180 वर्ग किमी की शक्सगाम घाटी चीन को दे दी थी, जो चीन के इरादों को स्पष्ट करता है।
भारत की तरफ से आए ये सख्त और सीधे बयान अब सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी नहीं रह गए हैं। वे एक गंभीर चेतावनी और एक संभावित सैन्य कार्रवाई का संकेत दे रहे हैं। सरकार के स्तर पर चल रही ये "तैयारी" आने वाले समय में भारत-पाकिस्तान के संबंधों और क्षेत्र के भूगोल को निर्णायक रूप से बदल सकती है।
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